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Saturday, September 25, 2010

सम्पादकीय ( समीर चतुर्वेदी ) 24/09/2010

साँसों की रफ़्तार एक बार फिर तेज है अयोध्या फिर दुबारा सुर्ख़ियों में है   इंतज़ार है अब एक ऐतिहासिक फैसले का उच्च न्यायालय वैसे तो फैसले का दिन तय कर चुका था पर रमेश चन्द्र त्रिपाठी नामक एक पुराने नौकरशाह ने उच्चतम न्यायालय में इस फैसले को रोकने की अर्जी दे डाली जिसमे तर्क दिया गया था की यदि ये फैसला आया तो देश में तनाव की स्तिथि पैदा हो सकती है ! रमेश चन्द्र ने अपनी अर्जी में कहा की सुलह सफाई की एक और कोशिश की जानी चाहिए ! हालांकि उच्च न्यायालय ने रमेश चन्द्र की अर्जी खारिज करते हुए उस पर अदालत का समय नष्ट करने के लिए जुरमाना तक लगा डाला था ! लेकिन रमेश चन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में दुबारा अर्जी लगा दी जिस पर कोर्ट ने २४ तारीख को आने वाले फैसले को रोक दिया और अगली तारीख दे डाली !


                                                                                              आखिर ये रमेश चन्द्र है कौन ? रमेश चन्द्र त्रिपाठी पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र की बुआ के बेटे हैं। रमेश चन्द्र अयोध्या मामले में डिफेन्डेंट नम्बर 17 हैं। सन् 2000 में उन्होंने हरिशंकर जैन को वकील किया लेकिन आर्थिक तंगी से पैरवी नहीं कर सके। कुछ वर्षो से हृदय रोग से पीड़ित हैं। राजधानी में उन्होंने इलाज भी कराया था। राजनैतिक विचारधारा के  त्रिपाठी खुद भी राजनीति में आना चाहते थे। रमेश चन्द्र त्रिपाठी की याचिका उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करते समय अदालत ने उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना आयद किया था और उसी समय यह बात भी प्रकाश में अदालत के सामने लायी गयी थी कि वर्ष 2005 में किसी अन्य मुकदमे में किसी अदालत के सामने स्वयं रमेश चन्द्र त्रिपाठी द्वारा यह कहा गया था कि उनका मानसिक संतुलन ठीक नही है।अब प्रश्न यह है कि ऐसे व्यक्ति द्वारा ऐसे महत्व पूर्ण वाद में अंतिम समय में हस्तक्षेप को क्यों संज्ञान मे लिया जा रहा है? खैर २४ सितम्बर  जिसका इंतजार अयोध्या मुकदमे के तमाम पक्षकार कर रहे थे। फिर चाहे वह बाबरी मस्जिद  एक्शन कमेटी हो, या फिर विहिप या फिर फैसले का इंतजार कर रहा कोई आम भारतीय। यह एेसा अनोखा संयोग था, जिस पर दोनों पक्ष  बहुप्रतीक्षित फैसले का सर्वसम्मित से इंतजार कर थे,  लेकिन अचानक रमेश चन्द्र त्रिपाठी जागे और उन्हें कामेनवेल्थ गेम, पंचायत चुनाव, नक्सली हिंसा और तमाम तरह की चिंता सताने लगी, जिन्हें देश लम्बे समय से देखता आ रहा है, पर हलकिसी का नहीं निकल सका और फैसला इन सबका नहीं बल्कि अयोध्या विवाद पर आने वाला था। आखिर रमेश चन्द्र की नींद ६० साल से क्यों नहीं टूटी ? अगर वो सुलह करवाना चाहते है तो इतने साल से क्यों नहीं प्रयास किया और उनकी सुलह की बात मानने वाला पक्ष है कौन सा ? अब जब फैसला आने को था तभी त्रिपाठी को तनाव की चिंता क्यों सताने लगी ? किसी के भी गले के नीचे ये याचिका नहीं उतर रही ! अयोध्या मसले  पर कोर्ट में दोनों पक्ष ही  इस याचिका से सहमत नहीं दिखे !
               रमेश चन्द्र की नींद तब टूटी जब देश की लगभग पूरी आबादी फैसले के इन्तेजार में थी ! कहीं ऐसा तो नहीं की सिर्फ कन्धा रमेश चन्द्र का हो और गोली कोई और चलाना चाह रहा है ! आखिर वे कौन लोग हैं जो  इस फैसले को टालना चाहते हैं ? कौन है वो जो इस मुद्दे को सिर्फ लटकाना चाह रहे है जिससे इसका फैसला कभी न हो और उन्हे इसे इस्तेमाल करने की समय सीमा मिलती रहे ! एक दिन पहले गृह मंत्री कहते है की फैसला होना ही चाहिए और अगले दिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाये जाने पर कांग्रेस इसका स्वागत करती है ! आखिर कांग्रेस में फैसले को लेकर इतनी बेचैनी क्यों है क्यों कांग्रेस का बयान आया की रमेश चन्द्र न कभी कांग्रेस के सदस्य रहे हैं न कभी उन्होंने कांग्रेस के लिए काम किया है ! सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जाफरयाब जिलानी ने बयान देकर कांग्रेस की तरफ ऊँगली उठायी है की यदि इसमें कांग्रेस का इसमें कोई हाथ नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सिर्फ कांग्रेस ने क्यों स्वागत किया है किसी और दल ने क्यों नहीं ?असल में कांग्रेस की मजबूरी दिख रही है क्युकी कोर्ट का फैसला जिस भी पक्ष के खिलाफ जाएगा उसकी नाराजगी सत्तारूढ़ दल से ही  होगी ! अभी कई राज्यों में चुनाव सर पर है राहुल गांधी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है सो सबसे ज्यादा बेचैन कांग्रेस ही है !


   खैर जो भी हो आज हिन्दुस्तान ही नहीं पूरे विश्व की नज़र इस फैसले पर टिकी है  एक हफ्ते का समय आगे किये जाने से  फैसले  पर तो कोई असर नहीं होगा हालांकि जिस तरह से अब फैसले में  रुकावट दिखाई दे रही है तो सभी के मन में एक शंका सी उभर रही है की अभी भी फैसला होगा या नहीं ?  लेकिन तब भी अगर फैसला दे दिया जाए तो शायद इस विवाद से मुक्ति शायद मिल ही जाए !

Wednesday, September 22, 2010

आपकी कुंडली और धन के योग

यदि आप धन कुबेर बनने का सपना देखते हैं, तो आप अपनी जन्म कुण्डली में इन ग्रह योगों को देखकर उसी अनुसार अपने प्रयासों को गति दें।

१ यदि लग्र का स्वामी दसवें भाव में आ जाता है तब जातक अपने माता-पिता से भी अधिक धनी होता है।

2 मेष या कर्क राशि में स्थित बुध व्यक्ति को धनवान बनाता है।

3 जब गुरु नवे और ग्यारहवें और सूर्य पांचवे भाव में बैठा हो तब व्यक्ति धनवान होता है।

4 शनि ग्रह को छोड़कर जब दूसरे और नवे भाव के स्वामी एक दूसरे के घर में बैठे होते हैं तब व्यक्ति को धनवान बना देते हैं।

5 जब चंद्रमा और गुरु या चंद्रमा और शुक्र पांचवे भाव में बैठ जाए तो व्यक्ति को अमीर बना देते हैं।

6 दूसरे भाव का स्वामी यदि ८ वें भाव में चला जाए तो व्यक्ति को स्वयं के परिश्रम और प्रयासों से धन पाता है।

७ यदि दसवें भाव का स्वामी लग्र में आ जाए तो जातक धनवान होता है।

8 सूर्य का छठे और ग्यारहवें भाव में होने पर व्यक्ति अपार धन पाता है। विशेषकर जब सूर्य और राहू के ग्रहयोग बने।

९ छठे, आठवे और बारहवें भाव के स्वामी यदि छठे, आठवे, बारहवें या ग्यारहवे भाव में चले जाए तो व्यक्ति को अचानक धनपति बन जाता है।

१० यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में शनि या मंगल या राहू बैठा हो तो व्यक्ति खेल, जुंए, दलाली या वकालात आदि के द्वारा धन पाता है।

११ मंगल चौथे भाव, सूर्य पांचवे भाव में और गुरु ग्यारहवे या पांचवे भाव में होने पर व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से, खेती से या भवन से आय प्राप्त होती है, जो निरंतर बढ़ती है।

Saturday, September 11, 2010

सम्पादकीय ( समीर चतुर्वेदी ) 11/09/2010


वैसे तो हमारा देश कई तरह के बाढ़ में डूबा हुआ है जैसे- घोटालों की बाढ़, भ्रष्टाचार की बाढ़, महंगाई की बाढ़ लेकिन अभी कुछ ही हफ्तों पहले गर्मी से तिलमिला रही दिल्ली अचानक पानी में डूब गई।दिल्ली में बाढ़ का खतरा एक बार फिर से मंडराया निचले इलाको में पानी भी आ गया ! दिल्ली वालो की मुसीबत कम होती नहीं दिखती ! पहले कोमनवेल्थ खेलो के की वजह से ट्रेफिक  जाम और अन्य मुसीबतों में फंसे लोग अब यमुना के बढते क्रोध का सामना कर रहे हैं ! खबरिया चेंनल कई दिन पहले से लोगो को सचेत करते दिखाई दे रहे थे !लेकिन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तो शायद अब भगवान् हो गयी है जिन्होंने पहले से ही खबर दिखने और चेतावनी देने वालो को कह दिया की दिल्ली में  बाढ़ जैसी कोई चीज नहीं है ! गोया की दिल्ली जब डूब ही जाए और जब तक लोग पूरी तरह बेघर न हो जाए तब तक बाढ़ नहीं कहा जा सकता ! दिल्ली  सरकार के बाढ़ राहत मंत्री राजकुमार चौहान ने तो अति उत्साहित होके यह तक कह दिया की यदि यमुना का जलस्तर 208 मीटर तक भी होगा तब भी दिल्ली  को कोई खतरा नहीं है  ! शाबास है ऐसे राजनेताओ को कोई राजकुमार चौहान से पूछे की उन्होंने इस विभाग का मंत्री होने से पहले बाढ़ के बारे में क्या जानकारी ली है और जिन निचले इलाकों में पानी भरा है क्या एक बार भी वो वहाँ के लोगो की हालत देखने गए है क्या ? पर जब तक सरकारी बंगलो में पानी न भरे तो भाई साहब कैसी बाढ़ ,जब तक सूबे की मुख्यमंत्री जाम में न फंसे कैसा जाम कहाँ है जाम ?
                                                             दरअसल मुख्यमंत्री आज अपने को जनता से बड़ा समझने लगी है जिस जनता ने उन्हें एक बार फिर गद्दी सौंपी उसी  जनता से शायद उनका मोह भंग हो गया है ! मुख्यमंत्री ने अपने शहर के दौरे के नाम पर उन इलाकों का दौरा किया जहां पानी का नामोनिशान नहीं था ! ठीक है बाढ़ एक प्राकर्तिकसमस्या है किसी भी सरकार या व्यक्ति का दोष नहीं है लेकिन यदि  हमारी

सरकार ही लोगो की मदद करने की बजाय सच्चाई से मुह मोड़ने लगे तो बेचारी
जनता कहाँ जाए ! अगर बात की जाए मुख्यमंत्री की तो जब दो दिन पहले ही उन्होंने कहा की दिल्ली में बाढ़ नहीं आ सकती तो आज अचानक इतनी हाय तौबा क्यों मची है !
                                         पिछले दस दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना के किनारे रहने वाले लोग अभी भी बुनियादी समस्याओं के लिए परेशान हैं और बाढ़ की वजह से अन्य स्थानों पर पलायन कर रहे हैं।यमुना नदी में आई बाढ़ से तटीय यमुना बाजारके निवासियों की जीवन शैली पूरी तरह से बदल गई है। इलाके में रहने वाले लोगों की संख्या हजारों में है, लेकिन खाना महज कुछ सौ लोगों को ही मिल पा रहा है। यमुना बाजार में पूरी तरह से पानी भरने की वजह से क्षेत्र के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि क्षेत्र के रहने वाले लोगों को अपने बच्चों और परिवार की महिलाओं के भोजन और अन्य सुविधाओं के लिए खासी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। कुल मिलकर त्रस्त जनता ही हो रही है ! शीला दीक्षित हैं की दिल्ली  को समस्याओ से पूरा मुक्त मानती हैं ! यदि  गलती से कोई दिल्ली की समस्याओं का नाम भी ले दे तो शायद उनका पारा सातवें आसमान पर चला जाता है !
                 लोगो की समस्याओं से अपना ध्यान हटाने वाले नेताओ को ये समझ लेना चाहिए की जिस गद्दी पर वो बैठे है वो उन्हें उसी जनता ने दी है जिसको आज वो नज़रअंदाज कर रहे हैं! यदि इसी जनता ने इन्हें नज़रंदाज़ करना शुरू किया तो शायद इनके लिए अपनी राजनीति भी करना मुश्किल होगा !

Wednesday, September 8, 2010

राहु का प्रभाव और उपाय

प्रथम भाव में राहु

प्रथम भाव में राहु सिंहासन पर बिराजमान राजा के समक्ष चिंघाड़ते हुए हाथी की तरह है। यह एक कुशल प्रशासक है। ४२ वर्ष बाद राहु का अनिष्ट प्रभाव दूर होता है।

अनिष्ट  प्रभाव और कारण

१. जातक को अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा संबध हो।
२. दुश्मन उनसे डरते हैं।
३. वे अपना कार्य अच्छी तरह पूरा नहीं कर सकते, बारंबार नौकरी बदला करते हैं।
४. यदि सातवें भाव में शुक्र हो तो जातक के धनवान होने की संभावना है, परंतु उसकी पत्नी को सहन करना पड़ता है।

उपाय

१. गेहूँ, गुड़ और ताम्रपात्र का दान करना, तांबे के पात्र में गेहूँ तथा गुड़ भर कर रविवार बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
२. ब्लू रंग के कपड़े न पहनें ।
३. गले में चाँदी की सिकड़ी पहनें ।
४. बहते जल में नारियल प्रवाहित करें।

दूसरे भाव में राहु

यह राहु धन और परिवार के लिए प्रतिकूल है। किसी शस्त्र द्वारा व्यक्ति की मृत्यु होती है।

अनिष्ट प्रभाव और कारण

१. धार्मिक संस्थाओं की तरफ से मिलनेवाली वस्तुओं पर उसका जीवन नीर्वाह होता है।
२. उसका पारिवारिक जीवन सुखी होता है। उसकी आर्थिक परिस्थिति का आधार कुंडली में गुरु के बैठने के स्थान पर आधारित है कि वह किस स्थान पर बैठा है।
३. वार्षिक कुंडली में यदि शनि प्रथम भाव में हो और गुरु अनुकूल हो तो सबकुछ सरलता से चलता है। परंतु शनि यदि नीच का हो तो उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।

उपाय

१. चाँदी का एक छोटा सा ठोस गोला पास में रखें।
२. ससुराल से विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।
३. माता के साथ अच्छा सम्बंध रखने से लाभ होगा।
४. सोने का ठोस गोला पास में रखें अथवा चाँदी की डिबिया में केसर रखने से लाभदायक रहेगा।

तीसरे भाव में राहु

जातक समाज में अच्छा मान- सम्मानवाला होगा। बहुत जल्दी उसकी बराबरी में कोई खड़ा रहनेवाला नहीं होगा। वह स्वयं अच्छा होगा, परंतु अपने बाइयों के लिए बहुत लाभदायक साबित नहीं होता। उसके स्वप्न साकार होते हैं और जोरदार दूरदर्शिता रखता है। तलवार से भी अधिक उसकी कलम धारदार होती है। वह दीर्धजीवी और धनवान होता है।

अनिष्ट प्रभाव और कारण

१. बाईस वर्ष की आयु में उसका भाग्योदय होता है। उसके बालक सुखी और समृद्ध होते हैं।
२. जातक एक प्रबल लेखक होने की क्षमता रखता है।
३. चंद्र यदि नीच का हो तो जातक के लिए कष्टदायक परिस्थिति निर्मित होती है।
४. शुक्र यदि शुभ स्थान में बैठा हो तो ससुराल पक्ष में धन संपत्ति में वृद्धि होती हुई देखी जा सकती है।

उपाय

१. शरीर पर चाँदी का कोई आभूषण पहनने की सलाह है।
२. ४०० ग्राम हरा धनिया बहते जल में प्रवाहित करें।
३. ४०० ग्राम बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।

चौथे भाव में राहु

यह स्थान चंद्र का है, जो राहु का दुश्मन है। इस भाव में यदि राहु शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, श्रीमंत तथा शुभ कार्यों के पीछे धन खर्च करेगा। तीर्थयात्रा उसके लिए लाभदायक साबित होगी। यदि गुरु भी शुभ हो तो विवाह के बाद जातक का ससुराल पक्ष धनवान बनता है। यदि चंद्र उच्च का हो तो जातक अत्यंत समृद्धशाली बनता है और उसे पारा के साथ जुड़े किसी काम या व्यवसाय से लाभ होता है। यदि राहु अशुभ हो और चंद्र भी कमजोर हो तो पैसे के मामले में सहना पड़ता है। कोयला इकट्ठा करना, शौचालय मरम्मतकार्य, घर पर छप्पर बदलना और चून्हे बनाने जैसे कार्य उसके लिए अशुभ रहते हैं।

उपाय

१. चाँदी के आभूषण पहनें।
२. बहते जल में ४०० ग्राम हरा धनिया या बादाम अथवा दोनों जल में प्रवाहित करें।

पाँचवे भाव में राहु

पाँचवाँ स्थान सूर्य का है और वह पुत्र संतान का सूचक है। यदि राहु शुभ हो तो जातक श्रीमंत, बुद्धिमान और तंदुरुस्त होता है। उसकी आय बहुत अच्छी होगी और प्रगति भी अच्छी करता है। ऐसे जातक चिंतक या दार्शनिक होते हैं। यदि राहु अशुभ हो तो स्त्री को गर्भवती होने की संभावना रहती है। पुत्र जन्म के पश्चात बारह वर्ष तक पत्नी की तबीयत खराब रहती है। यदि गुरु भी पाँचवाँ भाव हो तो जातक का पिता कठिनाई में पड़ता है।

उपाय

१. चाँदी की हाथी साथ में रखें।
२. शराब, मांसाहार और व्यभिचार से दूर रहें।
३. पत्नी के साथ पुनः विवाह करें।

छठा भाव में राहु

इस भाव में बुध अथवा केतु का प्रभाव पड़ता है। यहाँ राहु उच्च का बनता है और बहुत अच्छा परिणाम देता है। जातक कपड़ों के पीछे अधिक पैसे खर्च करता है। वह बुद्धिमान होते हैं और प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त करता है। राहु यदि अशुभ हो तो जातक के भाई या मित्रों केलिए हानिकारक साबित होता है। बुध या मंगल जब बारहवें भाव में होता है तब राहु खराब फल देता है। जातक विविध बीमारियों से पीड़ित होता है और धन का व्यय होता है। किसी काम के लिए बाहर निकलते समय छींक आना अच्छे शकुन नहीं है।

उपाय

१. काला कुत्ता साथ में रखें।
२. जेब में शीशे की कील रखें।
३. किसी के भाई- बहन को नुकसान न पहुँचाएँ।

सातवें भाव में राहु

जातक धनवान होगा, परंतु पत्नी की तबीयत अच्छी नहीं रहेगी। अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करेगा। २१ वर्ष पहले यदि विवाह होगा तो अशुभ साबित होता है। जातक का सरकार के साथ अच्छे सम्बंध होने की संभावना है। परंतु यदि वह इलेक्ट्रीक उपकरण जैसे राहु के साथ जुड़े बिजनेस में पड़ेगा। तो नुकसान होगा। जातक को सिर दर्द रहेगा और यदि बुध, शुक्र अथवा केतु ११ वें भाव में हों तो बहन, पत्नी अतवा पुत्र द्वारा उस जातक का नाश होता है।

उपाय

१. २१ वर्ष से पहले विवाह न करें।
२. नदी में छः नारियल प्रवाहित करें।

आठवाँ भाव में राह

आठवाँ भाव शनि और मंगल के साथ जुड़ा है, इसलिए इस भाव में राहु अशुभ फल देता है। जातक कोर्ट के केसों के पीछे विपुल पैसा खर्च करता है। पारिवारिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि कुंडली में मंगल शुभ हो और पहले या आठवे भाव में बैठा हो अथवा शनि आठवें भाव में बैठा हो तो जातक के अत्यंत समृद्धशाली होने की संभावना है।

उपाय

१. चाँदी का एक चौरस टुकड़ा साथ रखें।
२. सोते समय तकिया के नीचे सौंफ रखें।
३. विद्युत विभाग में काम न करें।

नौवें भाव में राहु

नौवें भाव पर गुरु का प्रभाव है। यदि जातक का उसके संतानों के साथ अच्छा सम्बंध हो तो वह फलदायक है, अन्यथा वह जातक पर विपरीत प्रभाव डालता है। यदि जातक धार्मिक विचार न रखता हो तो उसके बच्चे उसके लिए निरर्थक साबित होंगे। यदि गुरु पाँचवें या ग्यारहवें भाव में हो तो वह निरर्थक है। नौवें भाव में राहु अशुभ हो तो पुत्र संतान कम होता है। विशेष रूप से जातक रक्त सम्बंध रखनेवाले किसी व्यक्ति के विरुद्ध अदालत में मुकदमा करता है। नौवे भाव में राहु हो और प्रथम भाव में कोई भी ग्रह न हो तो स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता । उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिक होती है और मानसिक समस्याएँ भी संभव बनती है।

उपाय

१. नित्य केसर का तिलक करें।
२. सोने का आभूषण पहनें।
३. कुत्ते को हमेशा साथ में रखें।
४. ससुराल के साथ अच्छे सम्बंध रखना।

दसवें भाव में राहु

राहु के अच्छे या बुरे फल का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि शनि कहाँ बैठा है। यदि शनि शुभ हो तो जातक साहसी, दीर्धायु और श्रीमंत होगा और सभी क्षेत्रों में उसे मान- सम्मान प्राप्त होगा। दसवें भाव का राहु यदि चंद्र के साथ हो तो वह राजयोग करता है। यह जातक अपने पिता के लिए भाग्यशाली होता है। दसवें भाव में स्थित राहु अशुभ हो तो वह जातक की माता के लिए प्रतिकूल साबित होता है। चौथे भाव में चंद्र अकेला हो तो जातक की आँख के लिए नुकसानदायक होता है। उसे सिरदर्द अथवा संपत्ति का नुकसान होने की संभावना है।

उपाय

१. नीले अथवा काले रंग की टोपी पहनें ।
२. सिर खुला न रखें।
३. मंदिर में ४ कि.ग्रा अथवा ४०० ग्राम मिश्री चढ़ाएँ अथवा नदी में प्रवाहित करें।
४. अंधजनों को भोजन कराएँ।

ग्यारहवें भाव में राहु

इस भाव पर गुरु और शनि दोनों का प्रभाव है। जबतक जातक का पिता जीवित होगा तबतक वह धनवान रहता है। पैसे से सुखी रहता है। जातक के मित्र दुष्ट होंगे। उनकी आय के स्रोत हल्की जाति के लोगों तक होगा। पिता की मृत्यु के पश्चात जातक को गले में सोने का कोई आभूषण पहनना चाहिए। जातक की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में अशुभ मंगल यदि राहु के साथ हो तो जातक का पिता के साथ अच्छा सम्बंध नहीं होगा। अथवा ऐसा भी हो सकता है कि जातक के हाथ से पिता की हत्या हो। दूसरे भाव में रहा ग्रह शत्रु के रूप में काम करेगा। यदि गुरु या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हो तो शरीर पर लोहे की कोई वस्तु धारण करें और चाँद के ग्लास में पानी पीएँ। यदि पाँचवें भाव में केतु हो तो वह खराब फल देगा। जातक को कान, रीढ़ और किडनी सम्बंधी समस्याएँ पैदा होंगी। बिजनेस में हानि होने की भी संभावना है।

उपाय

१. शरीर पर लोहे की कोई वस्तु पहनें चाँदी के गिलास में पानी पीएँ।
२. भेंट के रूप में विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।
३. अपने पास नीलम, हाथीदाँत अथवा हाथी के आकार का कोई खिलौना नहीं रखना चाहिए।

बारहवें भाव में राहु

बारहवें भाव पर गुरु का आधिपत्य है। वह शयनखंड सूचित करता है। इस स्थान में राहु होने से मानसिक तकलीफ देता है। इसके अतिरिक्त अनिद्रा की समस्या पैदा होती है। बहन और पुत्रियों के पीछे विपुल धन खर्च होगा। यदि इस भाव में राहु शत्रु ग्रह से घिरा हो तो तनतोड़ परिश्रम करने पर भी जातक को दोनों किनारे मिलाने में कठिनाई पड़े। इस हद तक वह आर्थिक तंगी वह अनुभव करता है। जातक पर गलत आरोप लगाए जाते हैं। मानसिक यातनाएँ असह्य बन जाने पर जातक आत्महत्या करने पर भी उतारन हो सकता है। वह झूठ बोलता है और दूसरों को ठगता है। यदि कोई नया कार्य शुरू करने जा रहे हों और यदि कोई छींके तो अशुभ फल देता है। चोरी अनेक रोग अथवा गलत आक्षेपों का शिकार बनता है। बारहवें स्थान में राहु के साथ यदि मंगल हो तो वह शुभ परिणाम देता है।

उपाय

१. रसोई घर में ही बैठकर भोजन करें।
२. शांतिपूर्वक नींद आने के लिए तकिये के नीचे सौंफ और मिश्री रखें।

कॅरियर और रुद्राक्ष

जीवन में सफलता के लिए नवग्रह रुद्राक्ष माला सवरेतम है। किसी कारणवश जो इस अवसर पर रुद्राक्ष न पहन सकें, तो वे श्रावण माह में अवश्य धारण कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। रुद्राक्ष बिल्कुल शुद्ध होना चाहिए।


* राजनेताओं को पूर्ण सफलता के लिए तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

* न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोग एक व तेरह मुखी रुद्राक्ष दोनों ओर चांदी के मोती डलवा कर पहनें ।

* वकील चार व तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

* बैंक मैनेजर ग्यारह व तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* सीए आठ व बारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* पुलिस अधिकारी नौ व तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* डॉक्टर, वैद्य नौ व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* सर्जन दस, बारह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* चिकित्सा जगत के लोग ३ व चार मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* मैकेनिकल इंजीनियर दस व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* सिविल इंजीनियर आठ व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सात व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर चौदह व गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनें।

* कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर नौ व बारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* पायलट, वायुसेना अधिकारी दस व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* अध्यापक छह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* ठेकेदार ग्यारह, तेरह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* प्रॉपर्टी डीलर एक, दस व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* दुकानदार दस, तेरह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* उद्योगपति बारह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* होटल मालिक एक, तेरह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।


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Monday, September 6, 2010

वैवाहिक जीवन कैसा होगा ये बताती है आपकी कुंडली



  1. सप्तम यानी केन्द्र स्थान विवाह और जीवनसाथी का घर होता है. इस घर पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर या तो विवाह विलम्ब से होता है या फिर विवाह के पश्चात वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य की कमी रहती है.
  2. जिस स्त्री या पुरूष की कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी पांचवें में अथवा नवम भाव में होता है उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहता है. इस तरह की स्थिति जिनकी कुण्डली में होती है उनमें आपस में मतभेद बना रहता है जिससे वे एक दूसरे से दूर जा सकते हैं. जीवनसाथी को वियोग सहना पड़ सकता है. हो सकता है कि जीवनसाथी को तलाक देकर दूसरी शादी भी करले.
  3. सप्तम भाव का स्वामी अगर शत्रु नक्षत्र के साथ हो तो वैवाहिक जीवन में बाधक होता है.
  4. जिनकी कुण्डली में ग्रह स्थिति कमज़ोर हो और मंगल एवं शुक्र एक साथ बैठे हों उनके वैवाहिक जीवन में अशांति और परेशानी बनी रहती है. ग्रहों के इस योग के कारण पति पत्नी में अनबन रहती है.
  5. केन्द्रभाव में मंगल, केतु अथवा उच्च का शुक्र बेमेल जोड़ी बनाता है. इस भाव में स्वराशि एवं उच्च के ग्रह होने पर भी मनोनुकल जीवनसाथी का मिलना कठिन होता है.
  6. शनि और राहु का सप्तम भाव होना भी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि दोनों ही पाप ग्रह दूसरे विवाह की संभावना पैदा करते हैं.
  7. सप्तमेश अगर अष्टम या षष्टम भाव में हो तो यह पति पत्नी के मध्य मतभेद पैदा करता है. इस योग में पति पत्नी के बीच इस प्रकार की स्थिति बन सकती है कि वे एक दूसरे से अलग भी हो सकते हैं. यह योग विवाहेत्तर सम्बन्ध भी कायम कर सकता है
  8. सप्तम भाव का स्वामी अगर कई ग्रहों के साथ किसी भाव में युति बनाता है अथवा इसके दूसरे और बारहवें भाव में अशुभ ग्रह हों और सप्तम भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो गृहस्थ जीवन सुखमय नहीं रहता है.
  9. चतुर्थ भाव में जिनके शुक्र होता है उनके वैवाहिक जीवन में भी सुख की कमी रहती है.
  10. कुण्डली में सप्तमेश अगर सप्तम भाव में या अस्त हो तो यह वैवाहिक जीवन के सुख में कमी लाता है.
  11. गुरु यदि वृषभ-मिथुन राशि और कन्या लग्न में निर्बल-नीच-अस्त का हो तो वैवाहिक जीवन का नाश कराता है।
  12. मकर-कुंभ लग्न में सप्तम का गुरु भी वैवाहिक जीवन समाप्त कराता है।
  13. मीन राशि का गुरु सप्तम में होने पर वैवाहिक जीवन कष्टप्रद रहता है।

मंगल दोष के लिए व्रत और अनुष्ठान

  1. कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष लगता है
  2. कुण्डली में चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष अथवा कर्क राशि के साथ योग बनाता है तो मंगली दोष लगता है

अगर कुण्डली में मंगल दोष का निवारण ग्रहों के मेल से नहीं होता है तो व्रत और अनुष्ठान द्वारा इसका उपचार करना चाहिए. मंगला गौरी और वट सावित्री का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है. अगर जाने अनजाने मंगली कन्या का विवाह इस दोष से रहित वर से होता है तो दोष निवारण हेतु इस व्रत का अनुष्ठान करना लाभदायी होता है.
जिस कन्या की कुण्डली में मंगल दोष होता है वह अगर विवाह से पूर्व गुप्त रूप से घट से अथवा पीपल के वृक्ष से विवाह करले फिर मंगल दोष से रहित वर से शादी करे तो दोष नहीं लगता है.
प्राण प्रतिष्ठित विष्णु प्रतिमा से विवाह के पश्चात अगर कन्या विवाह करती है तब भी इस दोष का परिहार हो जाता है.
मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगली दोष शांत होता है.
कार्तिकेय जी की पूजा से भी इस दोष में लाभ मिलता है.
महामृत्युजय मंत्र का जप सर्व बाधा का नाश करने वाला है. इस मंत्र से मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक जीवन में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है.
लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल अमंगल दूर होता है.

मंगल भी निम्न लिखित परिस्तिथियों में दोष कारक नहीं होगा :

 

  1. चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष, कर्क, वृश्चिक अथवा मकर राशि में हो और उसपर क्रूर ग्रहों की दृष्टि नहीं हो
  2. मंगल राहु की युति होने से मंगल दोष का निवारण हो जाता है
  3. लग्न स्थान में बुध व शुक्र की युति होने से इस दोष का परिहार हो जाता है.
  4. कर्क और सिंह लग्न में लगनस्थ मंगल अगर केन्द्र व त्रिकोण का स्वामी हो तो यह राजयोग बनाता है जिससे मंगल का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है.
  5. वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मंगल दोष का शमन हो जाता है.
  6. जन्म कुंडली के 1,4,7,8,12,वें भाव में स्थित मंगल यदि स्व ,उच्च मित्र आदि राशि -नवांश का ,वर्गोत्तम ,षड्बली हो तो मांगलिक दोष नहीं होगा
  7. यदि 1,4,7,8,12 भावों में स्थित मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों कि पूर्ण दृष्टि हो

 

शनि की साढेसाती के अशुभ फलों के उपाय


1. राजा दशरथ विरचित शनि स्तोत्र के सवा लक्ष जप।
2. शनि मंदिर या चित्र पूजन कर प्रतिदिन इस मंत्र का पाठ करें:-
नमस्ते वभु्ररूपाय, कृष्णाय च नमोस्तुते ।।नमस्ते रौद्रदेहाय, नमस्ते चांतकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय, नमस्ते सौरये विभौ।।
नमस्ते मंदसंज्ञाय, शनैश्चर नमोस्तुते।
प्रसादं कुरू में देवेश, दीनस्य प्रणतस्य च।।
3. घर में पारद और स्फटिक शिवलिंग (अन्य नहीं) एक चौकी पर, शुचि बर्तन में स्थापित कर, विधानपूर्वक पूजा अर्चना कर, रूद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।
4. सुंदरकाण्ड का पाठ एवं हनुमान उपासना, संकटमोचन का पाठ करें।
5. हनुमान चालीसा, शनि चालीसा और शनैश्चर देव के मंत्रों का पाठ करें। ऊँ शं शनिश्चराय नम:।।
6. शनि जयंती पर, शनि मंदिर जाकर, शनिदेव का अभिषेक कर दर्शन करें।
7. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: के 23,000 जप करें फिर 27 दिन तक शनि स्तोत्र के चार पाठ रोज करें।
अन्य उपाय
1. शनिवार को सायंकाल पीपल के पेड के नीचे मीठे तेल का दीपक जलाएं।
2. घर के मुख्य द्वार पर, काले घोडे की नाल, शनिवार के दिन लगावें।
3. काले तिल, ऊनी वस्त्र, कंबल, चमडे के जूते, तिल का तेल, उडद, लोहा, काली गाय, भैंस, कस्तूरी, स्वर्ण, तांबा आदि का दान करें।
4. शनिदेव के मंदिर जाकर, उन्हें काले वस्त्रों से सुसज्जित कराकर यथाविध काले गुलाब जामुन का प्रसाद चढाएं।
5. घोडे की नाल अथवा नाव की कील का छल्ला बनवाकर मघ्यमा अंगुली में पहनें।
6. अपने घर के मंदिर में एक डिबिया में सवा तीन रत्ती का नीलम सोमवार को रख दें और हाथ में 12 रूपये लेकर प्रार्थना करें शनिदेव ये आपके नाम के हैं फिर शनिवार को इन रूपयों में से 10 रूपये के सप्तधान्य (सतनाज) खरीदकर शेष 2 रूपये सहित झाडियों या चींटी के बिल पर बिखेर दें और शनिदेव से कष्ट निवारण की प्रार्थना करें।
7. कडवे तेल में परछाई देखकर, उसे अपने ऊपर सात बार उसारकर दान करें, पहना हुआ वस्त्र भी दान दे दें, पैसा या आभूषण आदि नहीं।
8. शनि विग्रह के चरणों का दर्शन करें, मुख के दर्शन से बचें।
9. शनिव्रत : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष से, शनिव्रत आरंभ करें, 33 व्रत करने चाहिएँ, तत्पश्चात् उद्यापन करके, दान करें।

Saturday, September 4, 2010

संतान प्राप्ति के लिए


ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में गुरु ग्रह का दोष हो तो वह धन, संतान और ज्ञान प्राप्ति में बाधक हो जाता है। इसलिए इस दोष शान्ति के लिए कुछ सरल उपाय भी बताए गए हैं। जिनका खासतौर पर गुरुवार के दिन गुरु पूजा और व्रत रखकर विधि-विधान से पालन करने पर निश्चित सफलता मिलती है। जानते हैं ऐसे ही कुछ उपाय -

- गुरुवार के दिन गुरु वार का व्रत रखें। इस दिन सुबह गंगाजल में पीली सरसों और शहद मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करें।
- गुरुवार के दिन स्नान के साथ दान का भी महत्व है। इस दिन पीली वस्तुओं का दान करने का महत्व है। इन वस्तुओं में हल्दी की गांठ, चने की दाल, नींबू के दान का विशेष फल मिलता है। इसके साथ नमक का दान बहुत शुभ माना गया है। इनमें से एक या सभी वस्तुओं का दान कर सकते हैं। यह दान खासतौर पर गोधूलि बेला या सांयकाल के समय किया जाना चाहिए।
- गुरुवार के दिन व्रत कर बृहस्पति की पूजा में गुरु मंत्र ऊँ गुं गुरुवाये नम: का जप करना चाहिए। यथाशक्ति माला करनी चाहिए। इस मंत्र का नियमित जप भी लाभ देता है।


गुरुवार के लिए बताए गए यह स्नान, दान और जप के छोटे से उपाय नियमित करने पर भी आर्थिक, बौद्धिक और संतान बाधा निश्चित रुप से मिट जाती है और मनोवांछित फल देती है

संतान प्राप्ति के लिए

  • चार वीरवार को 900 ग्राम जौं चलते जल में बहाए |
  • वीरवार का व्रत भी रखना शुभ होगा |
  • राधा कृष्णजी के मंदिर में शुक्ल पक्ष के वीरवार या जन्माष्टमी को चान्दी की बांसुरी चढाये |
  • लाल या भूरी गायें को आट्टे का पेढा व पानी दे |
उपाय मन से करने से मनोकामना पूरण होगी |

सम्पादकीय ( समीर चतुर्वेदी ) 04/09/2010


नक्सलियों ने एक बार फिर सरकार के सामने चुनौती पेश की है ! एक बार फिर सरकार को दिखाने और जताने का प्रयास किया है की वे सिर्फ एक ही घटना को अंजाम देकर चुप बैठने वालो में से नहीं है ! सरकार के गृह मंत्री भले ही बड़ी बड़ी बातों और बयानों के देने के बाद याद न रखे मगर नक्सली अपने काम में बदस्तूर लगे हुए हैं! पहले नक्सलियों ने बिहार में पुलिस पर हमला किया और फिर उनके चार जवानो को बंधक बना के अपने साथ ले गए और उन्ही बंधको के एवज में अब वो सरकार को घुटनों के बल बैठा कर अपनी मांगे मनवाना चाहते हैं ! पर बिहार सरकार अभी तक ये निश्चित नहीं कर पायी की बातचीत कैसे शुरू हो और बंधको के बारे में  क्या बात हो !

                                                       बात सिर्फ ये नहीं है की ये समस्या अभी एक बार की है मुसीबत ये है की इस समस्या का कोई स्थायी संधान नहीं हो पा रहा ! प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने जो बयान दिया है की नक्सल आतंकवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है शायद वो बयान सही नहीं है क्यूंकि ये बयान मनमोहन सिंह तीन साल पहले भी दे चुके है और समस्या वहीँ की वहीँ है इस का मतलब देश की सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा हमारे नेताओं और मंत्रियो से ही है जो की आज तक अपने दिवालिये दिमागों से इस समस्या का हल नहीं सोच पाए और आज तक सिर्फ वोटों  की राजनीति में लगे हैं! या फिर देश के गृह मंत्री बिना किसी सहानुभूति के बयान दे डाला की ये बिहार की सरकार का मामला है वही बता सकते है की क्या करना है  यानी अगर बिहार का मामला है तो भारत से बाहर है बिहार सो कोई मदद की या सुझाव की उम्मीद न करें ! केंद्र आतंकवाद से भी लड़ते समय तुष्टीकरण रुख अपनाता है, वह नक्सलपंथियों से भी निपटने के काम में लचर है। कभी वह इसे कानून एवं व्यवस्था की समस्या बताता है और पूरी जिम्मेदारी राज्यों पर टरका देता है। कभी वह हास्यास्पद तरीके से इसे विकास की समस्या बताता है! अमेरिका के एक प्रमुख रणनीतिक थिंकटैंक ने चेतावनी दी है कि भारत में नक्सली आंदोलन अभी भले ही नियंत्रित लगता है, लेकिन नक्सली नेता और उसके बम निर्माता शहरी आतंकवाद के लिए रणनीति तैयार कर सकते हैं।
                      आखिर ये समस्या इतना विकट रूप कैसे लेती जा रही है इसमें शुरू से ही  कुछ कमियाँ रही जो आज नक्सलियों को पकड़ने में सामने आ रही हैं !  गोरिल्ला वार के जरिये चुनौती बन रहे नक्सलियों से मुकाबले के लिए सन् 2005 तक देश के किसी भी राज्य में ऐसा कोई प्रशिक्षण केन्द्र नहीं था, जहां पुलिस अधिकारी-कर्मियों को नक्सलियों से लड़ना सिखाया जाता. नतीजा पुलिस वालों को मारकर नक्सली चुनौती पेश करते रहे. और जहां तक नक्सल प्रभावित क्षेत्रो की बात है नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के निवासी दोहरी-तिहरी मार खा रहे हैं। नक्सली उन्हें पुलिस का मुखबिर मानकर पूछताछ करते हैं, अंगभंग करते हैं, महिलाओं का भी शोषण करते हैं। पुलिस उन्हें माओवादी मानकर पीटती है, अवैध हिरासत में रखती है। सरकार से निराशा है। दो तरफा अत्याचारों से पीड़ित नवयुवक माओवादियों के साथ हो लेते हैं। नक्सलियों ने विश्वविद्यालयों में सहानुभूति रखने वाले विद्यार्थियों का संगठन खड़ा कर रखा है और नई दिल्ली व अन्य क्षेत्रीय राजधानियों में मानवाधिकार संगठन बना रखे हैं। ये सभी संगठन पूर्वी भारत के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय जनजातियों के हितों की वकालत कर रहे हैं।
                                                                                                            आज देश में पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक हर आदमी अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित नजर आ रहा है चाहे वह घर पर ही हो या सफर क्यों न कर रहा हो .. सभी जगह खतरा बरकरार है। कहीं ये नक्सली हमारे लोकतंत्र को चुनौती तो नहीं दे रहे हैं। इसलिए ऐसी घटनाऐं को वे बार-बार अंजाम दे रहे हैं। अगर पिछली कुछ घटनाओं पर नजर ड़ालें तो स्पष्ट है कि 2008 में नक्सल की कुल 1591 घटनाएं हुईं। 721 व्यक्ति मारे गए। हर वर्ष लगभग 1500 से ज्यादा घटनाएं घटित हो रही हैं और औसतन 700 से ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं। फिर भी इसका हल नहीं निकल पा रहा है! आज जबकि नक्सली सरकार को खुलेआम चुनौती देते  घूम  रहे हैं और उनके नेता कहते हैं की जनादेश बन्दूक की गोली से निकलता है इसका क्या मतलब है ! अगर यही रणनीति नक्सलियों की है तो अब इनसे बातचीत का निमंत्रण  कैसा  ! सीधी कार्यवाही क्यों नहीं करती सरकार ! क्यों नहीं केंद्र और राज्य मिलकर ठोस कदम उठा रहे ! सवाल देश की आंतरिक सुरक्षा का है, और ऐसे समय जब पड़ोसी देशों से खतरा बरकरार है। जल्द ही केन्द्र को राज्य सरकार से मिलकर कार्यवाही करके नक्सली समस्या का समाधान निकालना होगा अन्यथा और खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।