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Sunday, November 21, 2010

डॉ आर्यन बाली

नमस्कार मित्रों  ! मुझे अभी तक काफी लोगो के और ब्लॉग पढने वाले  मित्रों के काफी ईमेल प्राप्त हुए की आप ब्लॉग को काफी दिन बाद अपडेट करते है इसकी वजह यही है की कुछ तो व्यस्तता के कारण और कुछ आजकल मेरा संपर्क डॉ आर्यन  बाली से नहीं हो पा रहा है ! दरअसल डॉ आर्यन बाली आज कल अपनी साधना में  व्यस्त हैं सो उनसे बात करने का सौभाग्य नहीं हो पा रहा है ! मित्रो आप बार बार ईमेल करके मुझसे उनका संपर्क सूत्र मांगते हैं लेकिन मेरी ये मजबूरी है की मैं आप लोगो को उनका संपर्क नहीं दे सकता पर इतना जरूर कर सकता हूँ की जब भी वो मेरे संपर्क में आयेंगे तो मैं आप का सन्देश या आपके सवाल उन तक जरूर पहुंचा दूंगा ! और ये भी सत्य है की आजकल मैं ही डॉ बाली से संपर्क नहीं कर पा रहा हूँ ! परन्तु ये बात का मुझे भरोसा है की जब भी उनसे संपर्क होगा तब वे सभी प्रश्न जिनका उत्तर आप सब लोग चाहते हैं जरूर मिल जाएगा ! कुछ लोगो ने मुझसे सवाल  किया है की आखिर मैं डॉ बाली की बातों को इतना वजन या इतनी महत्ता क्यूँ देता हूँ ! सो मैं आपको बता दूँ की मैं सन 2000 से आज तक कई ज्योतिष और तंत्र के जानकारों को देख मिल और परख चूका हूँ ! परन्तु डॉ बाली जैसे व्यक्ति ने इतनी छोटी उम्र में  जो मुकाम और विद्या हासिल की है उसका कोई उत्तर नहीं है !
                                                        डॉ बाली द्वारा बताये गए कुछ ज्योतिष और तंत्र के प्रयोग मैंने भी किये और कुछ लोगो को उन्हें करने के लिए भी दिया और उनको उसका अप्रत्याशित लाभ भी हुआ ! मैने निश्चित रूप से अपनी ज्योतिष विद्या को यदि और निखारा है तो उसका श्रेय डॉ बाली को जाता है ! मंत्रो के कीलन और उत्कीलन का जानकार मुझे डॉ बाली से बेहतर कोई नहीं लगा ! मेरे कहने का अर्थ ये नहीं की सिर्फ डॉ बाली ही ये सब जानते हैं  लेकिन इन्टरनेट पर आने वाले लोगो में यदि कोई जानकारी वाला व्यक्ति लगा तो सिर्फ कुछ लोग ही लगे जिनमे डॉ बाली का नाम सबसे ऊपर है !
                                                       सो आशा करता हूँ की डॉ बाली नाम के ज्ञान भण्डार से कुछ और ज्ञान प्राप्त होगा और जैसे ही मेरी मुलाक़ात उनसे होगी तो वही निस्वार्थ भाव से सभी जानकारी मैं आप तक जरूर पहुंचा दूंगा ! 

Saturday, November 13, 2010

धन प्राप्ति के लिए गणेश पूजन

प्रिय मित्रों नमस्कार एक बार फिर से क्षमा मांगता हुआ की मैं ब्लॉग को देर से अपडेट कर रहा हूँ ! पिछले दिनों कई लोगो ने सवाल किया था की जो गणेश पूजा का विधान जोकि मैने  शीर्षक धन तथा सम्रद्धि बढ़ाने हेतु एक अभूतपूर्व सात्विक प्रयोग    के नाम से   अक्टूबर  के अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया था क्या वो सिर्फ दीवाली की रात ही  करने के लिए था  या किसी अन्य दिन भी किया जा सकता है ! और इस पूजा की प्रमाणिकता क्या है ! सो मैं आपको बता दूँ की यह पूजा गणेश उप-पुराण के सन्दर्भ से है ! और ये पूजा सिर्फ दीवाली के लिए नहीं है ! हाँ दीवाली पर इसका महत्व जरूर है ! आप इस पूजा को सवारथ सिद्धि योग या त्रि-पुष्कर योग में भी कर सकते हैं ये आपको समान फलदायी होगी ! पूजा का विधान भी वही होगा ! कई लोगों ने ये सवाल भी किया की क्या ये पूजा रोज की जायेगी और इसका फल कितने दिन में प्राप्त होगा !
     दोस्तों जब आप पूजा एक बार कर के गणेश जी की नीम की लकड़ी की मूर्ति को स्थापित कर लेंगे तो फिर जिस प्रकार आप रोज सामान्य पूजा करते हैं बस उसी प्रकार आपने ये पूजा भी करनी है ! जहां तक फल प्राप्ति की बात है तो आज तक जिसको भी मैंने इस विधान से पूजा करने को कहा है उसको निश्चित लाभ ही हुआ है ! और मेरा मकसद आप लोगो तक वो सब विधियां और जानकारी देने का है जिसके द्वारा आपको ज्यादा पचड़ों में न पड़कर सामान्य रूप से करके लाभ ले सकें ! सो इस बार जो लोग पूजा न कर पाएं हों तो नवम्बर और दिसम्बर के महीने में ये योग दुबारा हैं आप तब कर सकते हैं ! हाँ पर ध्यान रखें पूजन से पहले गणेश जी की प्रतिमा को पहले गंगाजल से स्नान कराएं और उसके बाद शुद्ध घी से भी स्नान कराएं !
     कई लोगो ने काल सर्प योग के निवारण के बारे में भी जानकारी मांगी थी ! तो मैं अपने अगले ब्लॉग में काल सर्प योग के लिए पूजा का विवरण दूंगा जो की मात्र सौ या दो सौ रूपये में हो जायेगी ! एक बार फिर आप सभी को प्रणाम करता हुआ अपनी बात को यहीं विश्राम देता हूँ अगले लेख में आपसे फिर मुलाकात होगी !

Monday, November 1, 2010

राहू और सिर्फ राहू

प्रिय मित्रों आज हम यहाँ चर्चा करेंगे राहू के बारे में ! आज राहू के बारे में कुछ तथाकथित बाबा और ज्योतिषियों ने भ्रामक बाते फैला रखी हैं ! इनमे से कुछ तो ऐसे हैं जिनका दावा है की उनपर राहू की विशेष कृपा है ! पर जब इन लोगो से मैने खुद बात की तो पता चला की ये सिर्फ राहू के बारे मैं अधकचरी जानकारी रखते हैं और राहू के बारे सैद्धांतिक रूप से भी नहीं जानते !  राहू के प्रति भक्ति भाव रखना तो दूर इन्हें सिर्फ और सिर्फ अपनी कमाई से मतलब है ! इनमे से कई लोगों से मैने खुद बात की और जब उनसे राहू के तथ्यों के बारे में बात की तो कोई नाराज हुआ और किसी  ने मुझे मूर्ख की संज्ञा दी ! मैने कई वेब साईट भी चेक की जिनमे इन तथाकथित लोगो ने राहू के बारे में ऐसी ऐसी बातें लिख रखी हैं जिनसे राहू का दूर दूर तक कोई लेना देना  नहीं है ! इनमे से कई लोगो ने मेरे ब्लॉग पर ऐसी भाषा में प्रतिक्रिया दी है जिसे मैं सार्वजनिक नहीं करसकता और न ही कोई सभ्रांत व्यक्ति इस भाषा का इस्तेमाल कर सकता है ! इनकी इस भाषा से ही  इनके ज्ञान और संस्कार पता चलते हैं !

कुछ लोगो ने राहू का रिश्ता तो सांप से  तो जोड़ दिया परन्तु आज तक ये नहीं बता पाए की राहू का सर्प से रिश्ता क्या है ! है ! पुराणो के अनुसार कुल आठ महासर्प हैं जिनके नाम हैं --- १ वासुकी २ अनंत  ३ शंक्पाल  ४ कारकोटक ५ पद्मा  ६ महापद्मा ७ दक्ष  ८ गुलिकी ! और ये सब  कादरु माँ के पुत्र हैं ..माँ कादरु महर्षि कश्यप की पत्नी हैं और राहू की नानी हैं तथा ये आठ महानाग राहू के मामा हैं परन्तु इनका राहू के उपाय से कोई लेना देना नहीं है ! परन्तु राहू को सांप से जोड़ने वाले इस बात पर चर्चा ही नहीं करना चाहते ! सांप का अर्थ है विष और विष शनि के आधीन आता है संसार में १८ विष हैं जिनमे 10 विष वनस्पति के और आठ विष धातु से हैं !


आज कालसर्प दोष के नाम पर अनजान तथा सामान्य व्यक्ति को ऐसा डर दिखाया जाता है की यदि गलती से उसकी कुंडली मैं यदि कालसर्प हो तो समझो की वो तो बर्बाद ही  हो गया ! वास्तव में ये काल सर्प दोष कब से चला ? असल में कालसर्प दोष के जनक राजस्थान के ज्योतिषी रहे जिन्होंने राहू को सर्प का सर और केतु को उसकी पूंछ मानकर इसे नाम दिया कालसर्प दोष का ! इसकी परिभाषा दी गयी की यदि राहू और केतु के मध्य सभी गृह आ गए तो समझो बन गया काल सर्प दोष ! पहली बात ये है की ये दोष नहीं योग है ! और अगर काल सर्प योग है भी तो इन बाबा लोगों को ये नहीं पता की किस स्तिथि में इसका क्या निदान है ! और उसकी जरूरत भी क्या है इन्हें मतलब है बस अपनी कमाई से !

       आज  कुछ राहू के तथाकथित परम भक्तो का ये भी कहना है की राहू इच्छाओं का कारक है ! वे राहू को सेक्स शराब मांस तथा व्यसनों से जोडके देखते हैं ! इनलोगों का कहना है की राहू को अंडा प्रिय है! भाई लोगों राहू को छाया गृह होते हुए भी प्रधान गृह का दर्जा प्राप्त है औरअगर राहू को शराब और अंडा ही चाहिए तो  जब नवग्रह की पूजा होती है तो राहू के लिए उस पूजा में अंडे और शराब व् मांस का भोग क्यों नहीं लगाया जाता ! बस जब मैने इन लोगो से इसी विषय में सवाल किया तो ये लोग भड़क गए ! सबसे पहले इन लोगो की नाराजगी ही इस बात को लेकर थी की जिस कालसर्प योग जैसे विषय पर ये लोग अच्छा खासा पैसा लेते हैं उसे मैं लोगो को मुफ्त उपाय बता कर क्यों प्रचारित कर रहा हूँ ! आज इन सभी राहू के भक्तों से ये प्रश्न है की आप बैंकोक के मंदिर के हिसाब से पूजा करेंगे या भारतीय वेद या प्राचीन ऋषियों के पद्दति के अनुसार ! आप थाई पुजारियों की तरह क्या राहू को केक का भोग लगायेंगे !
      खैर इस लेख को देने का मेरा मतलब ये नहीं है की मेरी लडाई सभी ज्योतिषियों और तांत्रिकों से है मेरी लडाई केवेल उन लोगो से है जो आधा अधुरा ज्ञान लेकर लोगो को मूर्ख बनाने का धंधा खोल के बैठे है!  सीधा सा सवाल है जब काल सर्प का निदान सौ से दो सौ रूपये में हो सकता है तो फिर हज़ारों का खर्चा क्यों ! सो मेरा ये  युद्ध इन तथाकथित परम भक्तो से चलता हे रहेगा !