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Wednesday, October 27, 2010

हत्था जोड़ी

हत्था जोड़ी के ये चित्र और ये लेख पर हमारा कॉपी राईट है और लाइव दिल्ली अलर्ट इस पर एकमात्र अधिकार रखता है ! इसे किसी भी रूम में पुनः प्रकाशन करने वाले को कानूनी नोटिस  दिया जा सकता है !

 
प्रिय मित्रों आज मैं  यहाँ हत्था जोड़ी जो की एक महातंत्र में उपयोग में  लायी जाती है और इसके प्रभाव से शत्रु दमन तथा मुकदमो में विजय हासिल होती है ! आज मैं सिर्फ आपको यहाँ असली हत्था जोड़ी के चित्र डाल रहा हूँ ! अगले लेख में मैं आपको इसके प्रयोग की विधि भी बताऊंगा ! आज कई कथित तांत्रिक इस हत्था जोड़ी को मनमाने दाम पर लोगो को बेच रहे हैं जबकि इसको कोई आम आदमी भी साधारण पूजा द्वारा सिद्ध कर सकता है ! फिलहाल आप इस हत्था जोड़ी के चित्र को देखें ! मेरा आपसे वादा है की मैं आपको इसके सिद्ध करने और लाभ के बारे में भी जरूर बताऊंगा !
                                      
और बस यही नहीं अगले ब्लॉग में हम आपको सिद्ध नवग्रहों के यंत्रों के बारे में भी जानकारी देंगे और असली रावण संहिता के ज्योतिष खंड से उपलब्ध सभी ग्रहों के यंत्रो के आधार और उनके बारे में विस्तृत जानकारी भी देंगे और उन यंत्रों की सार्थकता भी बताएँगे साथ ही  यदि कोई हमे इन यंत्रो की सार्थकता के बारे में चुनौती देगा तो हम उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे !
तो बस इन्तेजार कीजिये थोड़े समय का और पूरी जानकारी आपके सामने होगी

  

Tuesday, October 26, 2010

धन तथा सम्रद्धि बढ़ाने हेतु एक अभूतपूर्व सात्विक प्रयोग

   ये लेख पर हमारा कॉपी राईट है और लाइव दिल्ली अलर्ट इस पर एकमात्र अधिकार रखता है ! इसे किसी भी रूम में पुनः प्रकाशन करने वाले को कानूनी नोटिस  दिया जा सकता है !                                              

प्रिय पाठकों आप लोगो के मेल मुझे लगातार मिल रहे हैं कई सज्जन शायद मुझसे इसीलिए नाराज हैं की मैं ब्लॉग को लगातार अपडेट नहीं कर रहा हूँ ! खैर इसके लिए माफ़ी मांगता हुआ आज मैं दीवाली के शुभ अवसर पर आप लोगो को धन तथा सम्रद्धि बढ़ाने हेतु एक अभूतपूर्व सात्विक प्रयोग बताने जा रहा हूँ यह प्रयोग की जानकारी और विधि मुझे मेरे लन्दन निवासी मित्र और ज्योतिष तथा तंत्र के  ज्ञानी डॉ बाली ने उपलब्ध करायी है सो उनके कहे अनुसार जन कल्याण हेतु मैं इसे यथावत ब्लॉग पर दे रहा हूँ !जिसे जनसामान्य भी करके पूर्ण लाभ उठा सकता है !  प्रयोग निम्न प्रकार से है -:

सबसे पहले किसी नीम के पेड़ का तना ले लें परन्तु ध्यान रहे यदि आप नीम का तना खुद तोड़ या काट कर लाते है तो ऐसा करने से पूर्व नीम की पूजा करें और नीम से प्रार्थना करें की हे नीम के वृक्ष मैं ये आपका तना पूजा मात्र के लिए ले रहा हूँ ! और आप अपने  सभी शुद्ध तत्व इसमें विराजमान रखना ! तत्पश्चात उस तने पर गणेश भगवान् की प्रतिमा किसी लकड़ी का काम करने वाले से बनवा लें !गणेश जी की प्रतिमा सवा हाथ( आपके हाथ की तर्जनी यानी सबसे बड़ी ऊँगली से लेकर जहां कलाई में आप घडी बांधते हैं ) की होनी चाहिए इससे छोटी प्रतिमा उपयोग नहीं होगी इस क्रिया में !  बाज़ार से थोड़ी श्वेत गुंजा (सफ़ेद गुंजा ) लगभग 100  ग्राम  या कुछ लोग उसे सफ़ेद रत्ती भी कहते है खरीद लायें ! दीपावली के दिन किसी ताम्बे के बर्तन में लाल कपडा बिछा कर उस पर गुंजा रख लें उसके पश्चात उस पर नीम के तने पर बनी गणेश भगवान् की मूर्ति स्थापित कर दें ! गणेश जी को हल्दी और रोली का टीका लगायें साथ में  थोड़ी दूब (हरी घास ) होनी चाहिए ! तुलसी का प्रयोग वर्जित है
जैसा की लगभग दीवाली की पूजा स्थिर लग्न मैं होती है पूजा के साथ ही उस मूर्ति के आगे अपनी श्रद्धा अनुसार कम से कम एक माला या आप चाहें तो ग्यारह माला गणेश जी के मंत्र ॐ गं गणपतये नमः की करें ! उसके बाद रात्री बारह से दो बजे के बीच फिर इसी क्रम को दोहरायें !

पूर्ण आस्था से करें फल की प्राप्ति होगी और ४० दिन के भीतर ही आपको अपनी परिस्थिति मैं फर्क दिखाई देगा ! इस क्रिया का प्रभाव कभी निष्फल नहीं जाता ऐसा मैने कई लोगो के अनुभव से जाना है ! इस विधि को यहाँ ब्लॉग पर लिखने का मेरा मकसद सिर्फ आप लोगो तक वे सभी उपाय पहुंचाने का है जिसमे समय और पैसे की बर्बादी से बचते हुए सात्विक व् सामान्य तरीके से आप लाभ ले सकें!

Tuesday, October 12, 2010

वशीकरण तथा अन्य मन्त्र ---vashikaran

यहाँ हम पाठकों की मांग पर मन्त्र भण्डार नामक पुस्तक का कुछ अंश दे रहे हैं पाठक यदि चाहे तो इस किताब के बारे में  अपने विचार दे सकते हैं ! यह पुस्तक आज किसी बाज़ार में उपलब्ध नहीं है !परन्तु जैसा में पहले लेखों में लिख चूका हूँ की यह संकलन मुझे मेरे लन्दन निवासी भारतीय मित्र डॉ बाली ने उपलब्ध करायी है सो मैं इसे यहाँ ब्लॉग पर लगा रहा हूँ !
   यदि कोई सज्जन मेरे विरुद्ध  इन पुस्तकों के कॉपी राईट उल्लंघन की कार्यवाही करना चाहें तो उनका स्वागत है !


                                                   

उड्डामारेश्वरा तंत्र -- UDDAMARESHVARA TANTRA

यदि कोई सज्जन मेरे विरुद्ध इन पुस्तकों के कॉपी राईट उल्लंघन की कार्यवाही करना चाहें तो उनका स्वागत है !



PANCHAANGULI DEVI SADHNA-पंचान्गुली देवी साधना

यदि कोई सज्जन मेरे विरुद्ध  इन पुस्तकों के कॉपी राईट उल्लंघन की कार्यवाही करना चाहें तो उनका स्वागत है !

Friday, October 8, 2010

तंत्र से करें सुख-समृद्धि



1‌‌‍॰ यदि परिश्रम के पश्चात् भी कारोबार ठप्प हो, या धन आकर खर्च हो जाता हो तो यह टोटका काम में लें। किसी गुरू पुष्य योग और शुभ चन्द्रमा के दिन प्रात: हरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करें। श्री गणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे “संकटनाशन गणेश स्तोत्र´´ के 11 पाठ करें। तत्पश्चात् इस थैली में 7 मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रूद्राक्ष, एक चांदी का रूपया या 2 सुपारी, 2 हल्दी की गांठ रख कर दाहिने मुख के गणेश जी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं। फिर यह थैली तिजोरी या कैश बॉक्स में रख दें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान करते रहे। आर्थिक स्थिति में शीघ्र सुधार आएगा। 1 साल बाद नयी थैली बना कर बदलते रहें।
2॰ किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर “बटुक भैरव स्तोत्र´´ का एक पाठ कर के गौ, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी।
3॰ रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें `जय गणेश काटो कलेश´।
4॰ सरकारी या निजी रोजगार क्षेत्र में परिश्रम के उपरांत भी सफलता नहीं मिल रही हो, तो नियमपूर्वक किये गये विष्णु यज्ञ की विभूति ले कर, अपने पितरों की `कुशा´ की मूर्ति बना कर, गंगाजल से स्नान करायें तथा यज्ञ विभूति लगा कर, कुछ भोग लगा दें और उनसे कार्य की सफलता हेतु कृपा करने की प्रार्थना करें। किसी धार्मिक ग्रंथ का एक अध्याय पढ़ कर, उस कुशा की मूर्ति को पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। सफलता अवश्य मिलेगी। सफलता के पश्चात् किसी शुभ कार्य में दानादि दें।
5॰ व्यापार, विवाह या किसी भी कार्य के करने में बार-बार असफलता मिल रही हो तो यह टोटका करें- सरसों के तैल में सिके गेहूँ के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें -“हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना।´´ सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।
6॰ सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिर माता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आ जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है। 
7॰ किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है।
८॰ रविवार पुष्य नक्षत्र में एक कौआ अथवा काला कुत्ता पकड़े। उसके दाएँ पैर का नाखून काटें। इस नाखून को ताबीज में भरकर, धूपदीपादि से पूजन कर धारण करें। इससे आर्थिक बाधा दूर होती है। कौए या काले कुत्ते दोनों में से किसी एक का नाखून लें। दोनों का एक साथ प्रयोग न करें।
9॰ प्रत्येक प्रकार के संकट निवारण के लिये भगवान गणेश की मूर्ति पर कम से कम 21 दिन तक थोड़ी-थोड़ी जावित्री चढ़ावे और रात को सोते समय थोड़ी जावित्री खाकर सोवे। यह प्रयोग 21, 42, 64 या 84 दिनों तक करें।

10॰ अक्सर सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, किन्तु पैसा नहीं टिकता, तो यह प्रयोग करें। जब आटा पिसवाने जाते हैं तो उससे पहले थोड़े से गेंहू में 11 पत्ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर मिला लें तथा अब इसको बाकी गेंहू में मिला कर पिसवा लें। यह क्रिया सोमवार और शनिवार को करें। फिर घर में धन की कमी नहीं रहेगी।


11॰ आटा पिसते समय उसमें 100 ग्राम काले चने भी पिसने के लियें डाल दिया करें तथा केवल शनिवार को ही आटा पिसवाने का नियम बना लें।

12॰ शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।

13॰ अगर पर्याप्त धर्नाजन के पश्चात् भी धन संचय नहीं हो रहा हो, तो काले कुत्ते को प्रत्येक शनिवार को कड़वे तेल (सरसों के तेल) से चुपड़ी रोटी खिलाएँ। 

14॰ संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिए, किन्तु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का क्षय होता है।

15॰ रात्रि में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात्रि भोज में नहीं करना चाहिये।

16॰ भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।

17॰ सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ, ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।

18॰ घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर में रखना अलाभकारी होता है।

19॰ अपने घर में पवित्र नदियों का जल संग्रह कर के रखना चाहिए। इसे घर के ईशान कोण में रखने से अधिक लाभ होता है।

20॰ रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भर कर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहीं आयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूर होंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।

तंत्र से करें समस्याओं का समाधान

दुर्भाग्य दूर करने के लिये

आटे का दिया, १ नीबू, ७ लाल मिर्च, ७ लड्डू,२ बत्ती, २ लोंग, २ बड़ी इलायची बङ या केले के पत्ते पर ये सारी चीजें रख दें |रात्रि १२ बजे सुनसान चौराहे पर जाकर पत्ते को रख दें व प्रार्थना करें,
जब घर से निकले तब यह प्रार्थना करें = हे दुर्भाग्य, संकट, विपत्ती आप मेरे साथ चलें और पत्ते को रख दें | फिर प्रार्थना करें = मैं विदा हो रहा हूँ | आप मेरे साथ न आयें, चारों रास्ते खुले हैं आप कहीं भी जायें | एक बार करने के बाद एक दो महीने देखें, उपाय लाभकारी है| श्रद्धा से करें |

गृह कलेश

पवनतनय बल पवन समाना |बुद्धि विवेक विज्ञान विधाना | स्वाहा१०८ बार जाप करना है | यह मानस मंत्र है | मन में जाप करें | आहुती देते हुए यह मंत्र जाप करना है, यह किसी शुभ दिन से शुरु करें| सोम, गुरु या रवि पुष्य या त्यौहार के दिन | लाल आसन ऊनी, दक्षिण दिशा में मुँह करके बैठें| प्रयोग रात्रि के समय करें| तर्जनी से आसन के चारों तरफ लकीर खींच दें, अपनी रक्षा के लिये |

सुख शांति के लिये वनस्पति तंत्र

अशोक वृक्ष के जड़ के पास अंदर की तरफ की १ किलो मिट्टी ले आइये, कूट पीस कर छान लीजिये व उसमें केसर, केवङा जल, हिना का इत्र, मुठ्ठी नाग के जट, श्वेत चन्दन, काली गाय का दूध मिट्टी में मिलाना है| मिट्टी को गूँथ लीजिये और एक पिण्डी अर्थात शिवलिंग बना लीजिये| पूजा स्थान पर रख दीजिये |
१०८ बार मंत्र जाप करना है ऊँ नमः शिवायव १०८ बेलपत्र चढाने हैं, दूसरे दिन १०८ बेलपत्र एक थैली में रखने हैं, लगातार ७ दिन सोमवार से करना है, इस प्रकार ७ थैलियाँ इकठ्ठी होंगी, ८ वें दिन हर थैली में से एक एक बेल पत्र निकाल कर एक डिब्बी में रखकर लॉकर में रख दीजिये| शिवलिंग व बचे हुए बेलपत्र जल में प्रवाहित करना है|

अविवाहित युवती

पाँच सोमवार के व्रत करें, रोज एक रुद्राक्ष और एक बिल्बपत्र शिवलिंग पर चढायें, अगर माहवारी हो तो वह सोमवार छोड़ कर अगला वाला करें, एक समय सात्विक भोजन करें |

चर्म रोग

पाँच रुद्राक्ष के दाने एक गिलास पानी में रखकर सोते समय अपने सिराहने रखें और सुबह नहाते समय उस पानी को नहाने की पानी की बाल्टी में मिलाकर रोज नहायें व रुद्राक्षों को मंदिर में रख दें, चर्म रोगों में फायदा होता है, चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं |

High B.P.हाई बी.पी. 

पंच मुखी रुद्राक्ष को सफेद धागे में पिरोकर पहन लें, धागे की लम्बाई इतनी हो कि वह ह्रदय तक पहुँचे

स्वास्थ्य के लिये टोटके

1॰ सदा स्वस्थ बने रहने के लिये रात्रि को पानी किसी लोटे या गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिये रख दें। उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृत सम्बन्धी परेशानियां नहीं होती तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है।

2॰ हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें।

3॰ जिन लोगों को 1-2 बार दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपरोक्त प्रयोग संख्या 2 करें तथा निम्न प्रयोग भी करें :-
एक पाचंमुखी रूद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार कर इसे किसी नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर दें।

4॰ किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे।

5॰ घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।

6॰ रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।

7॰ पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है।

8॰ रोग मुक्ति के लिए प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।

9॰ घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं।

10॰ पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें।

11॰ पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है।

12॰ मंदिर में गुप्त दान करें।

13॰ रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे।

14॰ सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं पैर से सिर की ओर जाती हैं, जो अधिक से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर लायेंगी, जिससे व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।

15॰ अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।

16॰ अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दिन एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति निश्चय ही दूर होती है।

17॰ किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया में सुखा लें। जिस कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से ´´ ॐ माधवाय नम:। ॐ अनंताय नम:। ॐ अच्युताय नम:।´´ मन्त्र की एक माला का जाप करें। कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा। दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य करें। इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा।

18॰ अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है। शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।

19॰ पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।

20॰ किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं। अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

21॰ किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, चुगावें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।

22॰ शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का टुकड़ा रखें। इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। फेंकने से पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें। ऐसा 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

23॰ सवा सेर (1॰25 सेर) गुलगुले बाजार से खरीदें। उनको रोगी पर से 7 बार वार कर चीलों को खिलाएं। अगर चीलें सारे गुलगुले, या आधे से ज्यादा खा लें तो रोगी ठीक हो जायेगा। यह कार्य शनि या मंगलवार को ही शाम को 4 और 6 के मध्य में करें। गुलगुले ले जाने वाले व्यक्ति को कोई टोके नहीं और न ही वह पीछे मुड़ कर देखे।

24॰ यदि लगे कि शरीर में कष्ट समाप्त नहीं हो रहा है, तो थोड़ा सा गंगाजल नहाने वाली बाल्टी में डाल कर नहाएं।

25॰ प्रतिदिन या शनिवार को खेजड़ी की पूजा कर उसे सींचने से रोगी को दवा लगनी शुरू हो जाती है और उसे धीरे-धीरे आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा। यदि प्रतिदिन सींचें तो 1 माह तक और केवल शनिवार को सींचें तो 7 शनिवार तक यह कार्य करें। खेजड़ी के नीचे गूगल का धूप और तेल का दीपक जलाएं।

26॰ हर मंगल और शनिवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कुत्तों को खिलाने से धीरे-धीरे आराम मिलता है। यह कार्य कम से कम 7 सप्ताह करना चाहिये। बीच में रूकावट न हो, अन्यथा वापस शुरू करना होगा।

27॰ साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग और ज्वार चारों बराबर-बराबर ले कर साफ कर के मिला दें। कुल वजन 1 किलो हो। इसको रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर उनको एक साथ पकाएं। जब चारों अनाज पूरी तरह पक जाएं, तब उसमें तेल-गुड़ मिला कर, किसी मिट्टी के दीये में डाल कर दोपहर को, किसी चौराहे पर रख दें। उसके साथ मिट्टी का दीया तेल से भर कर जलाएं, अगरबत्ती जलाएं। फिर पानी से उसके चारों ओर घेरा बना दें। पीछे मुड़ कर न देखें। घर आकर पांव धो लें। रोगी ठीक होना शुरू हो जायेगा।

28॰ गाय के गोबर का कण्डा और जली हुई लकड़ी की राख को पानी में गूंद कर एक गोला बनाएं। इसमें एक कील तथा एक सिक्का भी खोंस दें। इसके ऊपर रोली और काजल से 7 निशान लगाएं। इस गोले को एक उपले पर रख कर रोगी के ऊपर से 3 बार उतार कर सुर्यास्त के समय मौन रह कर चौराहे पर रखें। पीछे मुड़ कर न देखें।

29॰ शनिवार के दिन दोपहर को 2॰25 (सवा दो) किलो बाजरे का दलिया पकाएं और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिला कर एक मिट्टी की हांडी में रखें। सूर्यास्त के समय उस हांडी को रोगी के शरीर पर बायें से दांये 7 बार फिराएं और चौराहे पर मौन रह कर रख आएं। आते-जाते समय पीछे मुड़ कर न देखें और न ही किसी से बातें करें।

30॰ धान कूटने वाला मूसल और झाडू रोगी के ऊपर से उतार कर उसके सिरहाने रखें।

31॰ सरसों के तेल को गरम कर इसमें एक चमड़े का टुकड़ा डालें, पुन: गर्म कर इसमें नींबू, फिटकरी, कील और काली कांच की चूड़ी डाल कर मिट्टी के बर्तन में रख कर, रोगी के सिर पर फिराएं। इस बर्तन को जंगल में एकांत में गाड़ दें।

32॰ घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन से रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।

33॰ यदि पर्याप्त उपचार करने पर भी रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो अथवा बार-बार एक ही रोग प्रकट होकर पीड़ित कर रहा हो तथा उपचार करने पर भी शांत हो जाता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने वजन के बराबर गेहू¡ का दान रविवार के दिन करना चाहिए। गेहूँ का दान जरूरतमंद एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों को ही करना चाहिए।

Wednesday, October 6, 2010

डॉ बाली द्वारा ज्योतिष के रहस्य और ज्ञान

यह लेख हमें प्राप्त हुए है डॉ बाली के द्वारा ! मै आपको बता दूँ  की डॉ बाली कोई  बुजुर्ग इंसान नहीं हैं !बहुत छोटी उम्र के हैं  लेकिन यदि उनका ज्ञान और अनुभव देखा जाए तो शायद हिन्दुस्तान का कोई ज्योतिषी या तंत्र का जानकार उनके आगे टिक सके ! ये कोई मुकाबले की की बात नहीं बात है सच्चे ज्ञान की जोकि ज्योतिष के बाज़ार में बैठे चंद ठगों और ढोंगियों जोकि  ज्योतिष के नाम पर लोगो को गुमराह कर रहे हैं ! ऐसा नहीं की सब ही ढोंगी है या ठग हैं लेकिन ज्यादातर आज इसे केवल येन केन  करके लोगो से पैसा निकलवाने का तरीका बना के बैठे हैं ! मेरी डॉ बाली से आज से कुछ दिन पहले बात हुई ! ज्योतिष का मुझे शौक है और किसी भी ज्ञानी से जब मुलाक़ात होती है तो में उन्हें आसानी से नहीं जाने देता ! डॉ बाली से जब चर्चा शुरू हुई तो मुझे मेरा ज्ञान अधुरा नहीं बिलकुल कोरा लगा !  अपनी कई भविष्यवानियों के सच होने पर भी मुझे लगा की डॉ बाली की विद्या के आगे शायद मैं कही नहीं रुकता ! सो बस वहीँ से शुरू हुई ज्ञान की बरसात ! डॉ बाली ज्योतिष से पैसा कमाने को गलत नहीं मानते लेकिन गलत तरीके से पैसा कमाया जाए तो उन्हें बुरा लगता है !
                      डॉ बाली की सोच के हिसाब से ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिसको यदि सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो ये परम कल्याण कर सकती है !  मेरे पास आज जितने भी लेख  हैं वो मैं एक साथ तो नहीं लेकिन धीरे धीरे करके ब्लॉग पर डालूँगा ! क्युकी शायद डॉ बाली ने भी यही सोच कर मुझे ऐसे दुर्लभ लेख दिए है जिनसे जनकल्याण हो सके या ज्योतिष के जानकार उनसे कोई फायदा उठा सकें ! और मित्रो सही बात तो ये है की मैने डॉ बाली को बताया की मैं ये सब पैसा कमाने के लिए नहीं कर रहा तो उनका जवाब था की आप पैसा भले ही कमाओ पर तरीका सही होना चाहिए ! सो मेरे अनुभव के हिसाब से तो मुझे पहली बार कोई पारंगत (परफेक्ट ) व्यक्ति मिला है ! भले ही मेरे द्वारा मिले मगर यदि आपको इन लेखो से कोई फायदा होता हो तो जरूर इस बारे में ब्लॉग पर अपनी टिपण्णी (कमेंट्स ) छोडें ! और आपके ज्योतिष ज्ञान का भी यहाँ स्वागत है ! यदि आप भी ज्योतिष सम्बन्धी कोई राय देना चाहे या लोगो का किसी प्रकार भला करना चाहे तो अपने लेख मुझे भेज सकते हैं ! आने वाले लेखो के साथ मैं डॉ बाली की उन सभी दुर्लभ किताबो को ब्लॉग पर डालूँगा जोकि उन्होंने मुझे बहुत विश्वास के साथ दी हैं ! इनमे से कुछ किताबें तो शायद आपको कहीं न मिले क्युकी ये प्राचीन किताबें हैं ! एक बार फिर डॉ बाली को धन्यवाद करते हुए अपनी बात यहीं ख़त्म करता हूँ !

Kalyana Varmas Saravali ( source by Dr Bali )

This matter related to kalyan verma has been provided by DR BALI from london who started ASTROLOGY at the age of 8 yrs and belongs to a religious family as well and he  situated a milestone in field of Astrology and we may  call him  as an ENCYCLOPEDIA of planets and ASTROLOGY as well as TANTRA remedies. Here we are going to present the part of his collected books related to ASTROLOGY.  And again our thanx and regards to DR BALI .
 
                                          Chapter 1.


                                  Birth of Horasastra


1. Glory to the Sun-God, whose very breathing causes Creation in this world, with whose rising all the animals (living beings) wake up (from the sleep of their ignorance), whose state at the
head (zenith) accentuates all activities (throws the brightest light on ones wisdom) and whose setting (absence, weakness) causes all to sleep. Such Sun-God has his efficacy spread (all over).


2-4. Varaha Mihira in his Horasastra, i.e. Brhat Jataka, stated briefly the essence of the teachings of the learned sages viz. ten divisions of the Zodiacal Sign, Raja Yogas, longevity, effects ofplanetary periods etc. This could not be done elaborately by him and hence I am conveying in this work such useful essence, as called out from Yavanas etc., rejecting other un-useful
portions, which may be appended to the said Brihat Jataka.


5. I, Kalyana Varma, whose fame on account of patronizing Gods and administering villages and
cities is brilliant, like that of a female swan in the cage of the universe, who is the king of
Vyagrapada region, present this Saravali, an astrological treatise, with a chaste heart.


6. Saravali is a river with chilly water, which has taken its birth in the mountain called Kalyana Varma, to ward off the thirst for astrology of those interested. Thus ends the 1st Ch. Birth of Horasastra in Kalyana Varmas Saravali


                                              Chapter 2

                                          Meaning of Hora


1-5. The Creator Brahma has written on the foreheads of all living beings their fates, which are deciphered by the astrologers through their pure insight. The first and last letters in the word
Ahoratra are removed and the word Hora is thus born and has come to exist. The Zodiac and the planets are therein, as discussed. Some scholars say Horasastra is indicative of effects of ones Karma, i.e. fate. Some call Lagna, or half of a Rasi, as Hora. In practice the science relating to horoscope is called Horasastra. Hora is capable of analyzing the destiny. Barring
this Horasastra there is no device to help one earn money, to help, as a boat, to cross the ocean of unexpected situations and to serve, as an advisor in journey.


Thus ends the 2nd Ch. Meaning of Hora in Kalyana Varmas Saravali