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Wednesday, October 12, 2011

श्रीगणेश की प्रतिमा कहां रखनी चाहिए?




शास्त्रों के अनुसार प्रथम पूज्य श्री गणेश को परिवार का देवता माना गया है। परिवार की किसी भी प्रकार की परेशानी के लिए गणेशजी की आराधना श्रेष्ठ उपाय है। वहीं वास्तु में भी श्री गणेश की प्रतिमा को वास्तुदोष दूर करने का अचूक उपाय बताया गया है।

वास्तु के अनुसार घर में विघ्न विनाशक श्री गणेश की प्रतिमा रखना बहुत शुभ माना जाता है। जहां गणेशजी की प्रतिमा रहती है उस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का वास्तुदोष सक्रीय नहीं हो पाता। साथ ही घर के आसपास भी नकारात्मक ऊर्जा भी प्रभाव नहीं दिखा पाती। इनकी प्रतिमा के शुभ प्रभाव से परिवार के सभी सदस्यों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

घर में श्रीगणेश की प्रतिमा कहां रखनी चाहिए? इस संबंध में वास्तु के अनुसार इनकी मूर्ति ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में लगानी चाहिए। नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में श्रीगणेश की मूर्ति शुभ प्रभाव नहीं देती।

घर के पूजन स्थल पर गणेशजी की बाएं हाथ की ओर सूंड वाली मूर्ति बहुत शुभ मानी जाती है। घर में जहां वास्तु दोष हो वहां सिंदूर से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। साथ घर के मुख्य द्वार गणेशजी की प्रतिमा या उनका प्रतिक चिन्ह स्वस्तिक बनाएं।
घर की सजावट बढ़ाने के लिए दीवारों पर फोटो लगाए जाते हैं। इनसे घर की सुंदरता तो बढ़ती है साथ ही मन को सुकून भी मिलता है लेकिन दीवारों पर कैसे फोटो लगाए जाने चाहिए? इस संबंध में वास्तु में कई आवश्यक बिंदू बताए गए हैं।

Sunday, October 2, 2011

संतान सुख दिलाता है काला कुत्ता--कौए की सेवा से संतान सुख




काला रंग बहुत लोगों को पसंद नहीं होता है। शुभ कार्यों में इसका इस्तेमाल करना अपशकुन मानते हैं। जबकि, ज्योतिषशास्त्र एवं तंत्र-विज्ञान में इसे काफी महत्व दिया गया है। इस रंग में आसुरी शक्ति एवं भूत-प्रेत जैसी अज्ञात ताकत से रक्षा करने की शक्ति होती है। इसलिए नज़र दोष से बचने के लिए काले रंग के कपड़े का टुकड़ा बाजू पर बंधते हैं। शनि के कुप्रभाव से बचाने में भी काला रंग कारगर होता है।
 नकारात्मक ऊर्जा कम करता है कुत्ता

काले रंग के पशु पक्षियों में भी अद्भुत शक्तियां होती हैं। मिथक के अनुसार कुत्ता एक ऐसा जानवर है जिसमें नकारात्मक ऊर्जा को कम करने की शक्ति होती है उसमें भी काला रंग का कुत्ता अधिक प्रभावशाली होता है। धर्म ग्रंथों में काले रंग के कुत्ते को भैरव देव का प्रतीक माना गया है जो नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाले हैं। पांडवों की परीक्षा के लिए धर्मराज ने भी काले कुत्ते का रूप धारण किया था। यह भी काले कुत्ते का महत्व को दर्शाता है। प्रतिदिन काले रंग के कुत्ते को भोजन देने से संतान सुख में आने वाली बाधा दूर होती है। इससे शनि एवं केतु दोनों ही ग्रहों का कुप्रभाव नष्ट होता है।
 
अमृत पीने वाला पक्षी है कौवा

कौवा काले रंग का एक पक्षी है जिसे बहुत से लोग निकृष्ट और अशुभ पक्षी मानते हैं। अपनी कर्कश आवाज की वजह से भी कौवा लोगों को पसंद नहीं आता है लेकिन, तंत्र-विज्ञान में इसे चमत्कारी पक्षी माना जाता है। मिथक है कि सागर मंथन से प्राप्त अमृत पीने वाला एक मात्र पक्षी कौवा है। कौवा लम्बे समय तक जीवित रहता है और सामान्य स्थिति में इसकी मृत्यु नहीं होती है।

 कौवा यमराज का दूत

कौए के विषय में यह भी मिथक है कि यह यमराज का दूत होता है। आसमान के रास्ते यमलोक तक उड़कर जाता है और धरती पर रहने वाले लोगों की सारी जानकारियां यमराज तक पहुंचाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पितृपक्ष में पितर लोग कौवा बनकर धरती पर आते हैं और अपनी संतान को देखते हैं। उनके लिए जो भी अन्न एवं जल दान किया जाता है और ब्राह्मणों को खिलाया जाता है उसका जूठन वह खाते हैं इससे उनको मुक्ति मिलती है।

 कौए की सेवा से संतान सुख

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी कुण्डली में पितृदोष होता है उन्हें संतान सुख मिलना कठिन होता है। ऐसे लोग सुबह रोटी को पानी में भिंगोकर कौए को दें तो संतान सुख में आने वाली बाधा दूर होती है। पितृपक्ष में कौए को खाना देने के पीछे भी यह उद्देश्य यही होता है कि उनके पितृगण संतुष्ट हों और उनका आशीर्वाद उन्हें मिलता रहे।

Wednesday, September 28, 2011

आज करें यह टोटके, घर में रहेगी सुख-शांति



आजकल हर घर में विवाद होना आम बात है। यह विवाद पति-पत्नी, सास-बहू या भाई-भाई में भी हो सकता है। इन सबके कारण घर की सुख-शांति न जानें कहां चली जाती है। परिवार के जिन लोगों का इस विवाद से कोई नाता नहीं है वे भी व्यर्थ ही परेशान होते हैं। कई बार विवाद काफी बढ़ भी जाते हैं। यदि आप भी रोज होने वाले इन विवादों से परेशान हैं तो यह टोटका करें-

टोटका

यह टोटका नवरात्रि के पहले दिन यानी 28 सितंबर को करें। 9 नारियल लें। उस पर काला धागा लपेट लें। सारा दिन उसे पूजा स्थान पर रखे रहने दें। शाम के समय उसे धागे सहित जला दें। नवरात्रि के पूरे 9 दिन तक यह प्रयोग करें। विश्वास मानें दसवें दिन आपके घर में अमन-चैन का वातावरण दिखाई देगा।

Tuesday, September 20, 2011

एक घी के दीपक से बदल जाएंगे आपकी कुंडली के ग्रह-नक्षत्र



ज्योतिष में बताए गए नौ ग्रहों में से शनि को सबसे क्रूर ग्रह माना गया है। इसके साथ ही राहु और केतु भी सामान्यत: अशुभ ग्रह ही माने जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली यह तीनों ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो उसे हमेशा ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन तीनों ग्रहों का आपस में गहरा संबंध है। शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं। इन तीनों ग्रह के लिए एक सटीक उपाय बताया गया है। इस एक तीनों ही ग्रहों के दोष दूर हो जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या राहु-केतु के कालसर्प योग से त्रस्त है तो उसे हर शनिवार की रात किसी पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं। इस समय व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। इसके साथ ही शनि, राहु, केतु और अपने इष्टदेव से प्रार्थना करें। इस उपाय से कुछ ही दिनों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। शनि, राहु या केतु की वजह से यदि किसी व्यक्ति के जीवन में धन संबंधी या अन्य कोई परेशानियां हो तो वे दूर हो जाएंगी। रुके हुए कार्य पूर्ण हो जाएंगे।

Sunday, September 18, 2011

सांस की बीमारी (दमा)

सांस की बीमारी (दमा) एक आम रोग है। वर्तमान समय में अधिकांश लोग इससे पीडि़त हैं। आमतौर पर यह रोग अनुवांशिक होता है तो कुछ लोगों को मौसम के कारण हो जाता है। इसके कारण रोगी कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाते और जल्दी थक जाते हैं। मेडिकल साइंस द्वारा इस रोग का संपूर्ण उपचार संभव है। साथ ही यदि नीचे लिखे उपायों को भी किया जाए तो इस रोग में जल्दी आराम मिलता है। 

1- शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से लगातार तीन सोमवार तक एक सफेद रूमाल में मिश्री एवं चांदी का एक चौकोर टुकड़ा बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें तथा शिवजी को चावल के आटे का दीपक कपूर मिश्रित घी के साथ अर्पित करें। श्वास रोग दूर हो जाएंगे।

2- रविवार को एक पात्र में जल भरकर उसमें चांदी की अंगूठी डालकर सोमवार को खाली पेट उस जल का सेवन करें। दमा रोग दूर हो जाएगा।

3- किसी भी मास के प्रथम सोमवार को विधि-विधानपूर्वक चमेली की जड़ को अभिमंत्रित करके सफेद रेशमी धागे में बांधकर गले में धारण करें और प्रत्येक सोमवार को बार-बार आइने में अपना चेहरा देंखे। सांस की सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी।

4- सांस की नली में सूजन, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में सूजन के कारण कफ जमने अथवा खांसी से मुक्ति पाने के लिए किसी शुभ समय में केसर की स्याही और तुलसी की कलम द्वारा भोजपत्र पर चंद्र यंत्र का निर्माण करवाकर गले में धारण करें। श्वास संबंधी सभी रोग दूर हो जाएंगे।

Sunday, September 11, 2011

शत्रु को शांत कीजिए


कोई भी इंसान अपनी बुराई सुनना पसंद नहीं करता है। कोई भी नहीं चाहता कि उसका दुनिया में कोई भी दुश्मन हो। कोई कितनी भी कोशिश कर ले उसका कोई ना कोई विरोधी जरूर रहता है। ऐसे में जब कोई आपके पीठ के पीछे आपकी बुराई करता है। सफलता के रास्ते में रोड़े अटकाता है। ऐसे में तनाव होना एक साधारण सी बात है।यह कोई नहीं चाहता कि इस दुनिया में उसका कोई दुश्मन भी हो। यह अनुभव की बात है कि कई बार जहां इंसानी प्रयास सफ ल नहीं होते, वहां कोई तंत्र-मंत्र चमत्कार कर देते हैं। अपने विरोधियों अथवा शत्रुओं को शांत करने, अपने अनुकूल बनाने अथवा अपने वश में करने के लिये, नीचे दिये गए मंत्र का नियमबद्ध जप करना आश्चर्यजनक प्रभाव दिखाता है-

मंत्र- नृसिंहाय विद्महे, वज्र नखाय धी मही,तन्नो नृसिहं प्रचोदयात्

जप सूर्योदय से पूर्व शांत एवं एकांत स्थान पर हो सके तो जल्द ही सफलता मिलती है।

बड़े काम का गोमती चक्र


गोमती चक्र पत्थर गोमती नदी में मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यों तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसका तांत्रिक उपयोग बहुत ही सरल होता है। किसी भी प्रकार की समस्या के निदान के लिए यह बहुत ही कारगर उपाय है।
1- यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।
2- यदि घर में बीमारी हो या किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने लगता है।
3- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।
4- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।
5- यदि इस गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।

जरूरी नहीं की राहू बुरा फल ही दे


राहु को पौराणिक ग्रंथों में सांप का सिर और केतु को उसका धड़ कहा गया है। राहु और केतु के बीच जब सब ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प नाम का अशुभ योग बनता है। राहु पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है। इसकी अपनी कोई राशि नहीं होती है, इसलिए कुंडली में यह जिस राशि और ग्रह के साथ में होता है उसके अनुसार फल देता है। राहु पाप ग्रह होने के कारण हमेशा बुरा फल दे यह जरूरी नही है। कुंडली में धन प्राप्त हाने के योग भी राहु के द्वारा बन सकते हैं
अष्टलक्ष्मी योग- जब किसी कुंडली में राहु छठे भाव में होता है और 1, 4, 7, 10वें भाव में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग बनता है। पापी ग्रह राहु, गुरु के समान अच्छा फल देता है। यह योग जिसकी कुण्डली में होता है वह व्यक्ति धार्मिक, आस्तिक एवं शान्त स्वभाव वाला होता है और यश व सम्मान के साथ-साथ धनवान हो जाता है।
लग्न कारक योग- अगर किसी का लग्र मेष, वृष या कर्क लग्न है तभी यह योग बनता है। कुण्डली में राहु दुसरे, 9वें या दसवें भाव में नहीं है तो उनकी कुंडली में ये योग होता है। कुंडली की इस स्थिति से राहु का अशुभ प्रभाव नही होता क्योंकि उपर बताए गए लग्र वालों के लिए राहु शुभ फल देने वाला होता है। ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है।
राहुकोप मुक्त योग- राहु पहले भाव में हो या तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में होता है और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह योग बनता है। ऐसे में व्यक्ति पर राहु के अशुभ प्रभाव नही पड़ते। ऐसे व्यक्तियों के सभी काम आसानी से होते हैं और उनके जीवन में कभी पैसों की कमी नही होती।
राहु की महादशा लगने पर मानते हैं कि जैसे सब कुछ खत्म हो गया। लेकिन ऐसा नहीं है। राहु और उसकी महादशा हर समय नुकसानदायक नहीं होती। राहु रंक को भी राजा बनाने की क्षमता रखता है। राहु की महादशा में विदेश जाने से बहुत लाभ होता है। विदेश का मतलब है वर्तमान निवास से दूर जाकर कार्य करने से सफलता मिलती है। अगर कुंडली में राहु , चौथे, दसवें, ग्यारहवें या नवें स्थान में अपने मित्र ग्रहों की राशि यानी शनि और शुक्र की राशि (मकर, कुंभ, वृषभ या तुला) में स्थित होता है तो बहुत सफलता दिलाता है।वहीं राहु यदि मिथुन राशि में हो तो कई ज्योतिष विद्वानों द्वारा उच्च का माना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है। यह किसी भी राशि का स्वामी नही है। लेकिन यह जिसके अनुकुल हो जाता है उसे जीवन मे बहुत मान सम्मान प्रतिष्ठा और पद प्राप्त होता है। राजनितिज्ञों के लिए तो राहु का अनूकुल होना अत्यधिक फायदेमंद होता है। राहु के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए शनिवार के दिन अपना उपयोग किया हुआ कंबल किसी गरीब को दान करें। काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। अमावस्या को पीपल पर रात में 12 बजे दीपक जलाएं। शनिवार को उड़द के बड़े बनाकर खाएं। -शिवजी पर जल, धतुरा के बीज, चढ़ाएं और सोमवार का व्रत करें।

कनकधारा यंत्र : संपन्न रहने का अचूक उपाय




हम सभी जीवन में ‍आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं। धन प्राप्ति और धन संचय के लिए पुराणों में वर्णित कनकधारा यंत्र एवं स्तोत्र चमत्कारिक रूप से लाभ प्रदान करते हैं। इस यंत्र की विशेषता भी यही है कि यह किसी भी प्रकार की विशेष माला, जाप, पूजन, विधि-विधान की माँग नहीं करता बल्कि सिर्फ दिन में एक बार इसको पढ़ना पर्याप्त है।
साथ ही प्रतिदिन इसके सामने दीपक और अगरबत्ती लगाना आवश्यक है। अगर किसी दिन यह भी भूल जाएँ तो बाधा नहीं आती क्योंकि यह सिद्ध मंत्र होने के कारण चैतन्य माना जाता है।    हम दे रहे हैं कनकधारा स्तोत्र का संस्कृत पाठ एवं हिन्दी अनुवाद। आपको सिर्फ कनकधारा यंत्र कहीं से लाकर पूजाघर में रखना है।
यह किसी भी तंत्र-मंत्र संबंधी सामग्री की दुकान पर आसानी से उपलब्ध है। माँ लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए जितने भी यंत्र हैं, उनमें कनकधारा यंत्र तथा स्तोत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली एवं अतिशीघ्र फलदायी है।
।। श्री कनकधारा स्तोत्रम् ।।
अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।
  हम सभी जीवन में ‍आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं। धन प्राप्ति और धन संचय के लिए पुराणों में वर्णित कनकधारा यंत्र एवं स्तोत्र चमत्कारिक रूप से लाभ प्रदान करते हैं।      


मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।

Thursday, September 1, 2011

शंख एक उपाय अनेक



शंख में लक्ष्मी का वास माना जाता है। इसीलिए जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास अवश्य होता है।
दक्षिणावर्ती और मोती शंख दो ऐसे शंख हैं जिनके उपयोग से हम जीवन की अनेक परेशानियों व समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी प्रिया, लक्ष्मी भ्राता, लक्ष्मी सहोदरा आदि नामों से जाना जाता है। वेदों में इसे शत्रुओं को परास्त करने वाला, पापों से रक्षा करने वाला, राक्षसों और पिशाचों को वशीभूत करने वला और रोग और दरिद्रता को दूर करने वाला बताया गया है। दक्षिणावर्ती शंख दुर्लभ और अपने आप में चमत्कारी है। इसकी चमक मोती के समान होती है। जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं के निवारण में उक्त दोनों शंख किस प्रकार सहायक होते हैं इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है। 

विदेश यात्रा में आने वाली अड़चनों से मुक्ति हेतु- अपनी माता से चावल से भरा एक मोती शंख लेकर उसे संभालकर अपने पास रखें, यात्रा संबंधी रुकावटें शीघ्र दूर हो जाएंगी।

व्यापार में उन्नति हेतु - अपने कारखाने या दुकान में मोती शंख स्थापित करें। कुछ समय पश्चात आप देखेंगे कि व्यापार में आने वाली बाधाएं दूर होने लगेंगी और व्यापार उन्नति के मार्ग पर चल पड़ेगा। 

भरपूर फसलों के लिए - जिस फसल की पैदावार में वृद्धि की कामना हो, उसके कुछ बीज एक मोती शंख में डालकर अपने पूजा स्थल पर रखें, पैदावार भरपूर होगी। 

चेहरे की कांति में वृद्धि हेतु- मोती शंख को रात्रि में पानी से भरे किसी कांच के बर्तन में रखें। प्रातः उस पानी को पी लें। यह क्रिया रोज करें, चेहरे पर चमक व कांति आएगी और आंतों के रोग दूर होंगे। इसके अतिरिक्त इस शंख को रोज चेहरे पर हल्के-हल्के फेरें, चेहरा मोती की तरह चमकने लगेगा। यह क्रिया करने से लड़कियों के चेहरों पर पड़ने वाले दाग व मुंहासे शीघ्र दूर होने लगते हैं। 

 
मानसिक रोगों से मुक्ति हेतु- मोती शंख में चावल भरकर मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति के सिर के ऊपर से सात बार उतार कर जल में प्रवाहित कर देने से उसे रोग से मुक्ति मिल सकती है। 

पति-पत्नी के बीच प्रेम की प्रगाढ़ता के लिए- कांच के एक कटोरे में लघु मोती शंख रख कर उसे अपने बिस्तर के नजदीक रखें। इससे कमरे के आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा। 

लक्ष्मी की कृपा के लिए- दक्षिणावर्ती शंख लक्ष्मी का साक्षात रूप है। इस शंख को घर में स्थापित करें, लक्ष्मी सदा प्रसन्न रहेंगी।

ऋण से मुक्ति के लिए- यदि आप ऋण् के बोझ तले दबे हुए हैं, लाख कोशिशों के बावजूद मुक्ति नहीं मिल पा रही, तो घर, दुकान या कार्यालय में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें, आश्चर्यजनक परिणाम सामने आएंगे। 


 भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा गंगा जल डालकर सारे घर में छिड़कें, भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलेगी।

सही जजमेंट करते हैं शनि -- शनि की कोर्ट में होता है सही न्याय



मान्यता है कि सूर्य है राजा, बुध है मंत्री, मंगल है सेनापति, शनि है न्यायाधीश, राहू-केतु है प्रशासक, गुरु है अच्छे मार्ग का प्रदर्शक, चंद्र है आपका मन और शुक्र है वीर्य बल। यह भ्रांति मन से निकाल दें की कोई ग्रह व्यक्ति रूप में विद्यमान है। सारे ग्रह ठोस पदार्थ है, और यह भी सच है कि इनके प्रभाव से आप बच नहीं सकते हैं। बचाने वाले कोई और है।
शनि के कार्य :
जब समाज में कोई व्यक्ति अपराध करता है, पाप करता है या धर्म विरुद्ध आचरण करता है तो शनि के आदेश के तहत राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। शनि की कोर्ट में दंड पहले दिया जाता है, बाद में मुकदमा इस बात के लिए चलता है कि आगे यदि इस व्यक्ति के चाल-चलन ठीक रहे तो दंड की अवधि बीतने के बाद इसे फिर से खुशहाल कर दिया जाए या नहीं।
यदि चाल-चलन ठीक नहीं रहते हैं तो राहु और केतु को उक्त व्यक्ति के पीछे लगा दिया जाता है। राहु सिर में मार करता है तो केतु आपके पैरों को तोड़ने का प्रयास करता है। यदि इन दोनों से आप बचते रहे तो, कोर्ट, जेल या फिर अस्पताल में से किसी एक के या सभी के आपको चक्कर जरूर काटना पड़ेगा।
शनि अर्थात न्यायाधीश के फरमान को उलटने का कार्य कोई भी ग्रह नहीं करता है। जब एक बार एफआईआर दर्ज हो गई तो फिर कुछ नहीं हो सकता। कहते हैं कि मंगल के उपाय करने से शनि शां‍त हो जाएगा तो यह मन को समझाने वाली बात मानी गई है। राजा भी शनि के कार्य में दखल नहीं देता।
शनि या फिर राजा के पास सच्चे मन से 'रहम अर्जी' लगाई जाए तो कुछ हो सकता है। लेकिन किसी भी शनि मंदिर जाने से कुछ नहीं होगा। शनि के इस देश में केवल तीन ही मंदिर है वहीं अर्जी लगती है बाकी का कोई महत्व नहीं।
शनि को यह पसंद नहीं-
शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना।
शनि के मूल मंदिर जाने से पूर्व उक्त बातों पर प्रतिबंध लगाएं।

Wednesday, August 31, 2011

भूमि भवन सुख दायक प्रयोग

आज आपको मिलेगा संम्पति सुख 
बिना तोड़ फोड़-दूर होगा वास्तु दोष 
घर में होगी सुख शान्ति 
धर्म कर्म और अन्न धन से भर उठेगी गृहस्थी 
क्योंकि आपके घर सब सुख लाने वाला है 
सागर का एक चमत्कारी कछुआ !

यदि आपको लगता है कि आपके पास ही घर क्यों नहीं है? आपके पास ही संपत्ति क्यों नहीं है?
क्या इतनी बड़ी दुनिया में आपको थोड़ी सी जगह मिलेगी भी या नहीं तो परेशान मत होइए केवल कूर्म स्वरुप विष्णु जी की पूजा कीजिये 
विष्णु जी की प्रतिमा के सामने कूर्म की प्रतिमा रखें या कागज पर बना कर स्थापित करें 
इस कछुए के नीचे नौ बार नौ का अंक लिख दें 
भगवान् को पीले फल व पीले वस्त्र चढ़ाएं 
तुलसी दल कूर्म पर रखें और पुष्प अर्पित कर भगवान् की आरती करें 
आरती के बाद प्रसाद बांटे व कूर्म को ले जा कर किसी अलमारी आदि में छुपा कर रख लेँ 
इस प्रयोग से भूमि संपत्ति भवन के योग रहित जातक को भी इनका सुख प्राप्त होता है 
वास्तु स्थापन प्रयोग
 
यदि आपका दरवाजा खिड़की कमरा रसोई घर सही दिशा में नहीं हैं तो उनको तोड़ने की बजाये 
उनपर कछुए का निशान इस तरह से बनाये कि कछुए का मुख नीचे जमीन की ओर हो और पूंछ आकाश की ओर 
ये प्रयोग शाम को गोधुली की बेला में करना चाहिए 
कछुए को रंग से या रक्त चन्दन कुमकुम केसर से भी बनाया जा सकता है 
कछुए का निर्माण करते समय मानसिक मंत्र का जाप करते रहें 
मंत्र-ॐ कूर्मासनाय नम:
कछुया बन जाने पर धूप दीप कर गंगा जल के छीटे दें 
इस तरह प्रयोग करने से गलत दिशा में बने द्वार खिड़की कक्ष आदि को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती ऐसा शास्त्रीय कथन है

Friday, August 26, 2011

जड़ी-बूटियों की तांत्रिक उपयोगिता




वनस्पतियों में अदभुत गुण हैं. उनकी शक्ति उनका प्रभाव अदभुत और असंदिग्ध हैं. यहाँ मैं ऐसी ही उपयोगी जड़ी-बूटियों और पौधों की जानकारी दे रहा हूँ

हाथाजोडी वनस्पति के रूप में जड़ हैं. मानव कंकाल की प्रकृति से साम्य रखनेवाली हाथाजोडी तंत्र-शास्त्र की अदभुत वस्तु हैं. शालिम मिश्री जैसी चिकनी और उसी रंग की होती हैं. किसी रविपुष्प योग में हाथाजोडी को पंचामृत में स्नान कराके लाल आसन पर स्थापित करें, फिर उसे सिंदूर भरी डिब्बी में रख लें. इसके रखने से गले एवं वाणी की दोष एवं रोग नहीं होते हैं. व्यक्तित्व को प्रभावी बनाती हैं. परिवार में प्रेत बाधा या भय की स्थिति नहीं रहती हैं. आत्म-विश्वास में वृद्धि होती हैं.

वांदा वांदा, वंदा अथवा बंदाल नाम की परोपजीवी वनस्पति प्रात: आम, पीपल, महुआ, जामुन आदि के पेड़ों पर देखी जाती हैं. इसके पतले, लाल गुच्छेदार फूल और मोटे कड़े पत्ते पीपल के पत्ते की बराबर होते हैं.

भरणी नक्षत्र में कुश का वांदा लाकर पूजा के स्थान पर रखने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं.

पुष्प नक्षत्र में इमली का वांदा लाकर दाहिने हाथ में बाँधने से कंपन के रोग में आराम मिलेगा.

मघा नक्षत्र में हरसिंगार सज वांदा लाकर घर में रखने से समृद्धि एवं सम्पन्नता में वृद्धि होती हैं.

विशाखा नक्षत्र में महुआ का वांदा लाकर गले में धारण करने से भय समाप्त हो जाता हैं. डरावने सपने नहीं आती हैं. शक्ति (पुरुषत्व) में वृद्धि होती हैं.

लटजीरा देहातों में जंगल तथा घरों के आसपास बरसात में एक पौधा उगता हैं. यह लाल एवं श्वेत किसी भी रंग का हो सकता हैं.
लाल लटजीरा की टहनी से दातुन करने पर दांत के रोग से मुक्ति मिलेगी. तथा सम्मोहन की शक्ति में वृद्धि होगी.
लटजीरा की जड़ को जलाकर भस्म बना लें. उसे दूध के साथ पीने से संतानोत्पति की क्षमता आ जाती हैं.
सफ़ेद लटजीरा की जड़ रविपुण्य नक्षत्र में लाने के बाद उसे अपने पास रख लें, जिससे नर्वसनेस समाप्त होगी. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी.

लक्ष्मणा बूटी देहात में इसे गूमा कहते हैं. वैधवर्ग इसे लक्ष्मण बूटी कहते हैं. श्वेत लक्ष्मण का पौधा ही तांत्रिक प्रयोग में लाया जाता हैं.
संतानहीन स्त्री, स्वस्थ एवं निरोगी हैं, तो वह श्वेत लक्ष्मण बूटी की २१ गोली बना ले, इसे गाय के दूध के साथ लगातार प्रात: एक गोली २१ दिन तक खाए, तो संतान लाभ मिलता हैं.
श्वेत लक्ष्मणा की जड़ को घिसकर तिलक नियमित रूप से लगाये, तो नर्वसनेस समाप्त होगी. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी.

मदार मदार, मंदार, अर्क अथवा आक के नाम से प्राय: सभी इस पौधे से परिचित हैं. इसके पुष्प शिवजी को अर्पित किये जाते हैं. लाल एवं श्वेत पुष्प के मदार के पेड़ होते हैं. श्वेत पुष्प वाले मदार का तांत्रिक प्रयोग होता हैं.
रविपुष्प के दिन मदार की जड़ खोद लाए, उस पर गणेशजी की मूर्ति बनाये. वह मूर्ति सिद्ध होगी. परिवार के अनेक संकट मात्र मूर्ति रखे से ही दूर हो जायेंगे. यदि गणेशजी की साधना करनी हैं, तो उसके लिए सर्वश्रेष्ठ वह मूर्ति होगी.
रविपुष्प में उसकी जड़ को बंध्या स्त्री भी कमर में बंधे तो संतान होगी. रविपुष्प नक्षत्र में लायी गयी जड़ को दाहिने हाथ में धारण करने से आर्थिक समृधि में वृद्धि होती हैं.

काली हल्दी टोटके


टोटके
- काली हल्दी के 7 से 9 दाने बनाएं। उन्हें धागे में पिरोकर धूप, गूगल और लोबान से शोधन करने के बाद पहन लें। जो भी व्यक्ति इस तरह की माला पहनता है वह ग्रहों के दुष्प्रभावों से व टोने- टोटके व नजर के प्रभाव से सुरक्षित रहता है।
- गुरु पुष्य योग में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर धूप देने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर एक सिक्के के साथ वहां रख दें जहां आप पैसे रखते हैं। इसके प्रभाव से धन की वृद्धि होने लगती है।
- यदि आप किसी भी नए कार्य के लिए जा रहे है तो काली हल्दी का टीका लगाकर जाएं। यह टीका आपको सफलता दिलाएगा।
- यदि आप किसी को आकर्षित करना चाहते हैं तो प्रतिदिन काली हल्दी का तिलक लगाएं। किसी को भी आकर्षित करने के लिए काली हल्दी का तिलक एक सरल तांत्रिक उपाय है।
- काली हल्दी का चूर्ण दूध में डालकर चेहरे और शरीर पर लेप करने से त्वचा में निखार आ जाता है।

Sunday, August 14, 2011

आपके ज्यादातर कार्य असफल हो रहे हैं तो यह करें-

आप चाहते हैं की आपके द्वारा किये गए कार्य सफल हो लेकिन कार्य के प्रारम्भ होते ही उसमें विध्न आ जाते हैं और वह असफल हो जाते हैं इसके लिए आप यह करें: प्रातःकाल कच्चा सूत लेकर सूर्य के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं। फिर सूर्य देव को नमस्कार करके 'ॐ हीं घ्रणि सूर्य  आदित्य श्रीम' मंत्र बोलते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं। जल में रोली, चावल, चीनी तथा लाल पुष्प दाल लें। इसके पश्चात कच्चे सूत को सूर्य देव की तरफ करते हुए गणेशजी का स्मरण करते हुए सात गाँठ लगाएं। इसके पश्चात इस सूत को किसी खोल में रखकर अपनी कमीज की जेब में रख लें, आपके बिगड़े कार्य बनाने लगेंगे। 

अपने व्यापार में करें मनोवांछित उन्नति- 
अगर आप अपने व्यापार में मनोवांछित उन्नति करना चाहते हैं तो सोमवार को प्रातः नवनिर्मित अंगूठी को गंगाजल में धोकर गाय के दूध में डुबो दें, उसमें थोड़ी-सी शक्कर, तुलसी के पत्ते और कोई भी सफ़ेद फूल डाल दें। इसके पश्चात स्नान ध्यान से निवृत्त होकर अंगूठी को पहन लें। ऐसा करने से व्यापार में मनोवांछित उन्नति प्राप्त होगी।
अगर आप चाहते हैं की आपके प्रतिष्ठान में बिक्री ज्यादा हो तो यह करें 

आप अपने व्यापार में अधिक पैसा प्राप्त करना चाहते हैं और चाहते हैं की आपके व्यापार की बिक्री बढ़ जाए तो आप वट वृक्ष की लता को शनिवार के दिन जाकर निमंत्रण दे आएं। (वृक्ष की जड़ के पास एक पान, सुपारी और एक पैसा रख आएं) रविवार के दिन प्रातः काल जाकर उसकी एक जटा तोड़ लाएं, पीछे मुड़कर न देखें। उस जटा को घर लाकर गुग्गल की धूनी दें तथा 101 बार इस मंत्र का जप करें- 
ॐ नमो चण्ड अलसुर स्वाहा।  
इच्छा के विरूद्ध कार्य करना पड़ रहा हो तो- 

अगर आपको किसी कारणवश कोइ कार्य अपनी इच्छा के विपरीत करना पड़ रहा हो तो आप कपूर और एक फूल वाली लौंग एक साथ जलाकर दो-तीन दिन में थोड़ी-थोड़ी खा लें। आपकी इच्छा के विपरीत कार्य होना बंद हो जाएगा।
भाग्योदय करने के लिए करें यह उपाय-

अपने सोए भाग्य को जगाने के लिए आप प्रात सुबह उठकर जो भी स्वर चल रहा हो, वही हाथ देखकर तीन बार चूमें, तत्पश्चात वही पांव धरती पर रखें और वही कदम आगे बाधाएं। ऐसा नित्य-प्रतिदिन करने से निश्चित रूप से भाग्योदय होगा।
मंदी से छुटकारा पाएं ऐसे- 

अगर आपके व्यापार में मंदी आ गयी है या नौकरी में मंदी आ गयी है तो यह करें। किसी साफ़ शीशी में सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दें। शीघ्र ही मंदी का असर जाता रहेगा और आपके व्यापार में जान आ जाएगी।

चमत्कारिक पौधे, जो करते हैं हर इच्छा पूरी


 





तंत्र प्रयोगों में अनेक वनस्पतियों का भी उपयोग किया जाता है, बांदा भी उन्हीं में से एक है। बांदा एक प्रकार का पौधा होता है जो जमीन पर न उगकर किसी वृक्ष पर उगता है। इस प्रकार यह एक परोपजीवी पौधा है जो किसी अन्य पेड़-पौधे पर उगकर उसी के तत्वों से पोषित होता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार प्रत्येक पेड़ पर उगा बांधा एक विशेष फल देता है। जानते हैं किस पेड़ का बांदा किस कार्य के लिए उपयोगी होता है-

1- बेर का बांदा- बेर के बांदे को विधिवत तोड़ कर लाने के पश्चात देव प्रतिमा की तरह इसको स्नान करवाएं व पूजा करें। इसके बाद इसे लाल कपड़े में बांधकर धारण कर लें। इस प्रकार आप जो भी इससे मांगेंगे वह सब आपको प्राप्त होगा।

2- बरगद का बांदा- यह बांदा बाजू में बांधने से हर कार्य में सफलता मिलती है और कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता।

3- हरसिंगार का बांदा- यह बांदा काफी मुश्किल से मिलता है। यदि हरसिंगार के बांदे को पूजा करने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें तो आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।

4- अनार का बांदा- इस बांदे को पूजा करने के बाद घर में रखने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती और न ही भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश होता है।

5- आंवले का बांदा- आंवले का बांदा भुजा में बांधने से चोर, डाकू, हिंसक पशु का भय नहीं रहता।

6- नीम का बांदा- नीम के बांदे को अपने दुश्मन से स्पर्श करा दें तो उसके बुरे दिन शुरु हो जाते हैं।

7- आम का बांदा- इस पेड़ के बांदे को भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है।