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गणेशजी बल, बुद्धि, रिद्धि और सिद्धि देने वाले भगवान हैं। इनके भक्तों यह सभी आसानी से प्राप्त हो जाती है।
यदि किसी व्यक्ति को जीवन में अत्यधिक समस्याएं सता रही हैं तो श्रीगणेश की आराधना इन सब से मुक्ति दिलाती है। गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूर्वा चढ़ाने का विशेष महत्व है।
दरअसर दूर्वा एक तरह की घास है गणेश पूजन में प्रयोग होती है। एकमात्र गणेश ही ऐसे देव है जिनको यह चढ़ाई जाती है। दूर्वा से गणेशजी प्रसन्न होते हैं। दूर्वा गणेशजी को अतिप्रिय है। शास्त्रों के अनुसार 21 दूर्वा को इक्कठी कर एक गांठ बनाई जाती है और इसी प्रकार की 21 गांठ गणेशजी को मस्तक पर चढ़ाई जाती है। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है।
कथा के अनुसार ऋषि मुनि और देवता लोगों को एक राक्षस परेशान किया करता था। जिसका नाम था अनलासुर (अनल अर्थात् आग) देवताओं के अनुरोध पर गणेशजी ने उसे निगल लिया। इससे उनके पेट में तीव्र जलन हो गई तब कश्यप मुनि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर उन्हें खिलाई जिससे यह जलन शांत हो गई।
दूर्वा एक औषधि है। इस कथा का मूल भाव यही है कि पेट की जलन, तथा पेट के रोगों के लिए दूर्वा औषधि का कार्य करती है। मानसिक शांति के लिए यह बहुत लाभप्रद है। यह विभिन्न बीमारियों में एंटिबायोटिक का काम करती है, उसको देखने और छूने से मानसिक शांति मिलती है और जलन शांत होती है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि कैंसर रोगियों के लिए भी यह लाभप्रद है।
matarh dhurva ki 10 bondh pine seh sharir main ojus aur jatharagni bar jaati hai , jiski jatharagni sahi ho uske baal safed nahi hote usko budapa nahi hota usko kissi tarah ka vish nahi charta , uski hadiya aur nasee kamjoor nahihoti isliye jo dhurva ka sewen karta hai uski raksha swayam bhuvneshwari karti hai , isliye tuh navratri main dhurva ka vishes mahatav maana jaata hai
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