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Friday, June 3, 2011

बाबा रामदेव का तमाशा

नमस्कार मित्रों , एक बार फिर भ्रष्टाचार का मुद्दा गरम है ! इस बार रामदेव ने बिगुल फूंका है ! काले धन को लेकर यूँ तो उनकी मुहीम काफी दिन से चल रही थी लेकिन अन्ना के आन्दोलन के बाद शायद उनको लगा की वो बेक फुट आ गए हैं सो उन्होने भी अनशन का रास्ता पकड़ लिया ! कल तक बाबा सिंहनाद करते घूम रहे थे की वो आर पार की लडाई लड़ने जा रहे हैं लेकिन मेरे इस लेख को लिखते समय तक समाचार था की बाबा किसी होटल में सरकार के मंत्रियों के साथ गुप्त वार्ता के लिए रवाना हो चुके हैं ! बाबा की बातों से लगता है की वो अभी तक निश्चय नहीं कर पाए हैं की सरकार का विरोध करना है या नहीं ! कल तक बाबा रामदेव का दावा था की वो काले धन जमा करने वालों की फेहरिस्त जल्द ही जनता के सामने रख देंगे पर शायद यहाँ भी लोकतंत्र की बीमारी का झूठा वादा नाम का कीड़ा था क्यूंकि वो लिस्ट के बारे में अब बाबा कोई बात तक करने को तैयार नहीं हैं ! कल तक सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने की बात करने वाले बाबा आज सरकार को धन्यवाद देते दिखाई दे रहे हैं ! आखिर क्या हुआ उन सब बातों का जो बाबा अन्ना की तरह हुंकारें भरते हुए कर रहे थे ! अब लगता है शायद बाबा अपने लिए एक राजनेतिक मंच तलाश कर रहे हैं या फिर उस मंच को मजबूत करने की कोशिश में हैं !
       मैं बाबा के आन्दोलन का विरोधी नहीं बल्कि आम जनता के तरह कट्टर समर्थक हूँ ! लेकिन जब से अन्ना हजारे का  अनशन समाप्त हुआ और वो सरकारी गाडी में घूमते दिखाई दिए तभी से इन आन्दोलनों के प्रति दिल में एक शक सा हो गया है ! कहीं बाबा भी तो अन्ना की तरह सरकारी मेहमान न बन जाए ! अभी अन्ना का भी बयान आया की सरकार बाबा को धोखा दे रही है और बाबा को उनकी बातों में नहीं आना चाहिए तो अन्ना जी जब आपको पता चल गया की सरकार धोखा दे रही है तो आप क्यों नहीं कमिटी से अलग होके दोबारा आन्दोलन शुरू नहीं करते ! सरकार की नियत अगर साफ़ नहीं तो क्यों नहीं जनता का साथ लेकर सरकार का विरोध शुरू करते और जब तक बिल पास नहीं होता तब तक आन्दोलन वापिस न लेने की कसम खाए ! जब दिग्विजय सिंह  बाबा को जेल तक में डाल देने की धमकी दे रहे हों तो इस सरकार की नियत क्या है अगर अब भी अन्ना और बाबा को समझ नहीं आया तो इसके सिर्फ दो हे मतलब है की या तो ये दोनों बहुत नादान हैं या फिर लोकतंत्र की चाल सीख कर अब मंझे हुए खिलाडी बनकर सत्ता की ताक़त में हिस्सेदारी चाहते है

यही हमारे लोकतंत्र की बीमारी है सत्ता और ताक़त जिसे मिली वही सरकार का पिछलग्गू बन गया !  और आप सब लोग देखना अब बाबा रामदेव भी सरकार से अंदरखाते समझौता करके बैठ जायेंगे ! और रही बात उनके अनशन की तो वो सिर्फ सांकेतिक ही  होगा और बाद में बाबा रामदेव का बयान आएगा की सरकार ने कहा है की वो उनकी मांगो पर ध्यान दे रही है और जल्द से जल्द कार्यवाही करेगी ! तो देखिये इंडिया गेट पे हुए तमाशे के बाद रामलीला मैदान का तमाशा और  कोसते रहिये घर में बैठ के इस घटिया लोकतंत्र की चालें सीखिए !

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