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Tuesday, December 28, 2010

यही मेरी कलम की आवाज़ है

नमस्कार मित्रों ! वैसे तो ये ब्लॉग मैंने ज्योतिष सम्बंधी विषयों के लिए बनाया था  परन्तु पेशे से पत्रकार होने की वजह से जब दिल में  कुछ विचार आते हैं तो कलम को रोकना संभव नहीं हो पाता ! खैर : अभी एक नक्सली समर्थक विनायक सेन की गिरफ्तारी ने हलचल मचा रखी है !रायपुर में सक्रिय डाक्टर विनायक सेन  लंबे समय से नक्सली सहयोगी के रूप में जाने जाते हैं। छत्तीसगढ़ शासन ने उन्हें दो वर्ष पहले अवैध गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया।तब सन 2007  में भी सुप्रीम कोर्ट ने सेन की जमानत याचिका खारिज करते हुए सवाल दागा था की सेन की जमानत की याचिका देने वाले उनके पीयूसीएल से जुड़े होने पर इतना जोर क्यूँ दे रहे हैं ? क्या पीयूसीएल से जुड़े होने पर किसी को अराजक गतिविधियों या अराजक तत्वों जैसा काम करने की छूट मिल जाती है ! अब जब दुबारा सेन की गिरफ्तारी हो रही है तो न तो रायपुर में कोई हलचल है न ही छत्तीसगढ़ में ! नक्सलियों ने ही नहीं सभी देश द्रोही संगठनों ने ये रणनीति बना रखी है की कोई सामाजिक दिखावट वाला लबादा ओढ़ लिया जाए बस फिर मजे में जो चाहो करो !
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ध्यान देने लायक बात ये है की सेन की रिहाई की मांग कर कौन रहा है ? क्या सेन कोई  मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं या बहुत बड़े समाज सेवी हैं ,जिन्हें सरकार परेशान कर रही है ! ध्यान देने लायक बात ये भी है की अभी तक जिन भी नक्सल समर्थक हस्तियों को रमन मैग्सेसे पुरूस्कार दिया गया है वो किस संस्था या व्यक्ति द्वारा संचालित है तो जान कर हैरानी होगी की ये पुरूस्कार देने वाली संस्था अमेरिका के प्रसिद्ध रॉकफेलर फाऊंडेशन द्वारा स्थापित एवं फोर्ड फाऊंडेशन द्वारा वित्तीय साहयता प्राप्त है ! क्यूँ अमेरिका के इस फाऊंडेशन ने ये आधार बनाया है की सरकार विरोधी और संस्कृति के विरुद्ध कार्य करने वाले लोगों को ही ये सम्मान दिया जाएगा ? आज विनायक सेन को आज़ाद करने के लिए जिस संस्था ने मुहीम चला रखी है  उस संस्था  का आधार भी जान लें ! पीपुल्स वाच नाम की इस संस्था को पूरी आर्थिक मदद हौलेंड की इसाई संस्थाएं करती हैं ! आखिर सेन का इतना नाम तो नहीं की या वो कोई इतने बड़े समाज सेवक नहीं की उनकी गिरफ्तारी पर अमेरिका और फ्रांस आदि देशो में बैठे लोगों के पेट में दर्द शुरू हो जाए ! मेरी समझ में ये नहीं आता की विदेशों में बैठे  लोग सेन को आखिर इतना अच्छी तरह कैसे जानते हैं की गिरफ्तारी  के तुरंत बाद इनके माथे पर शिकन आ जाती है ! गौर किया जाए तो नक्सली समर्थक लोगो या नेताओं को ईसाई  संस्थाएं ही सम्मान से नवाज रही हैं इस बात की ओर किसी का ध्यान क्यों नहीं जाता ?
   बात सिर्फ विदेश की ही नहीं हमारे देश मैं भी कई बुद्धिजीवियों को सेन की गिरफ्तारी से बड़ी दिक्कत है ! अगर हमारे देश की न्यायपालिका ने पूरी न्यायिक प्रक्रिया के बाद सेन को कैद की सजा सुनाई तो कुछ बुद्धिजीवियों ने बिना तथ्य देखे फैसला सुना दिया की सेन निर्दोष हैं और उन्हें फंसाया गया है ! कमाल की बात है जिस सेन की गिरफ्तारी के लिए प्रशासन सबूत जुटा कर अदालत पहुंचा उन सबको इन बंद कमरों में बैठने वाले लोगों ने जो कभी शायद नक्सली क्षेत्र में गए भी न हों ने फैसला सुना दिया की सेन निर्दोष हैं ! तिस पर राम जेठमलानी सरीखे वकील ने तो कह ही दिया की में सेन को अच्छी तरह जानता हूँ की वे निर्दोष हैं ! तो भाई साहब अब जिस किसी को गिरफ्तार करना हो तो पहले इन बुद्धिजीवी वर्ग से अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूर ले लें !
     दया आती है इन लोगो की सोच पर कभी अफजल की फांसी का विरोध करते हैं कभी किसी देश द्रोही की वकालत करने को आतुर हो जाते हैं ! दरअसल ये हमारे अतीत के वो बीज हैं जो हमने अपने वोट बैंक की खातिर बो तो दिए लेकिन अब  कोई इसकी फसल काटने  को तैयार नहीं है ! और अब इन फसलो के पास जाना भी खतरे से खाली नहीं सब जानते हैं !क्युकी अब ये फसल जहर से लदी खड़ीहैं ! आखिर में ये चंद पंक्तियाँ लिखने से अपने को रोक नहीं पा रहा हूँ  " ये हश्र भी देखा है तारीख की नज़रों ने .......लम्हों ने खता की थी सदीयों ने सजा पायी है "   

Monday, December 20, 2010

मुझे मौत चाहिए

जी हाँ मैं एक आम आदमी हूँ और मैं आत्महत्या करना चाहता हूँ ! मैं कई दिनों से विचार कर रहा था ! लगातार सोच रहा था पर किसी निश्चय पर नहीं पहुँच पा रहा था ! किसी से कह भी नहीं पा रहा था ! कई दोस्तों से बात की सबने बात को हंसी में उड़ा दिया ! किसी ने कोई ठोस राय नहीं दी ! मैं असमंजस में था ! कोई मदद भी करने को तैयार नहीं था ! मदद बाद की बात किसी के पास मेरी बात सुनने का समय भी नहीं था ! कोई समय निकाल ही नहीं पा रहा था ! टेलीविजन से कोई नया रास्ता पाने की फिराक में टीवी चालु करके देखा और कई दिन देखा पर वो बेचारे बहुत व्यस्त थे ! सभी चेनल या तो सलमान और कटरीना की फ़िक्र में  थे जो बचे हुए थे वो या तो सास बहु सीरियल की कहानी सुनाने में  लगे थे या फिर कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन की कुर्सियां दिखाने में मसरूफ थे ! मेरी आत्महत्या से किसी को कुछ नहीं लेना था ! लेना भी क्यूँ हो ? मैं एक आम आदमी जो ठहरा ! मेरी औकात ही क्या है !
           मैं लाचार हो चुका हूँ ! कम से कम आप लोगों को मेरी आत्महत्या के विषय पर सोचना होगा और अगर सब नहीं तो शायद कोई तो ऐसा होगा जो मुझे किसी तरह की राय देगा ! चाहे हंसी में देगा पर देगा ऐसा मेरा भरोसा है ! मैने बड़े बड़े नेताओं को जनता की अदालत की बात करते देखा है  ! जब भी कोई बात होती है तो सभी नेताओं ,चेनल सभी को कहते सुना है की जनता इस बात का फैसला करेगी ! मुझे भी अब लगता है की जनता ही मेरा फैसला करेगी ! कितनी अच्छी बात होगी ? एक आम आदमी का फैसला बहुत सारे आम आदमी करेंगे !
          मेरी व्यथा ये है की मैं अपने परिवार के आगे शर्मिंदा हूँ ! अपने परिवार से आँखें नहीं मिला पाता !मैं एक साधारण नौकरी करता हूँ ! 60 रूपये किलो का प्याज और चालीस रूपये किलो का टमाटर मैं अपने परिवार को नहीं खिला सकता ! सौ रूपये वाली दाल एक बार खरीद लेने के बाद दुबारा पंसारी से आँख मिलाने की हिम्मत नहीं होती ! तीस रूपये किलो का दूध खरीदने के बाद दूध वाला जब अगले महीने दाम बढ़ाने की जब बात करता है तो वो  ग्वाला दिखने की बजाय प्रणब मुखर्जी ज्यादा लगता  है ! आज जब सुना की रसोई गैस की कीमत में फिर बढ़ोतरी की आशंका है तो परिवार खाना खाने की बजाय इस बात पर विचार विमर्श करने लगा की जो गैस सिलंडर एक महिना चलता था  को और ज्यादा कैसे चलाया जाए ! पहले जब जेब में पैसे नहीं होते थे तो घर में  झूठा गुस्सा दिखा कर काम चल जाता था क्यूंकि गुस्सा देख कर घरवाली पैसे मांगने या किसी चीज की मांग करने की हिम्मत नहीं करेगी ! पर अब ये तरीका भी बेकार हो चला है क्यूंकि झूठी राजनीति से देश तो चल जाता है लेकिन घर नहीं ! सो इस झूठे गुस्से की पोल भी खुल चुकी है !
   
      खैर सच्चाई ये है की मैं हार चुका हूँ कभी कभी खुद अपने दिल में सोचता हूँ की भगवान् ने मुझे क्यों इस धरती पर भेजा अगर भेजा तो इतना गरीब बना कर क्यों भेजा ? क्या आम आदमी होना मेरे लिए इतना बड़ा श्राप है ! क्यूँ भगवान् जिनके पास है उन्ही को  और दिए जा रहा है ? अगर भगवन दे भी रहा है तो दे दे मुझे कोई परेशानी नहीं ....परेशानी ये है की वही भगवान् मुझे अपने गुजारे लायक भी क्यूँ नहीं दे रहा ? क्यूँ मुझे अकेले में रोना पड़ता है ? क्यूँ भगवान् ने मेरे जैसे आदमी को सिर्फ चिंता कमाने के लिए रख छोड़ा है ? मुझे नहीं चाहिए बड़ा बंगला नहीं चाहिए बड़ी गाडी नहीं चाहिए नौकरों की लम्बी फ़ौज पर अपने और अपने परिवार के गुजारे के लिए तो पूरा चाहिए !

सो अब फैसला किया है की मुझे मरना चाहिए ! क्यूंकि भगवान् से जीते जी तो बात नहीं हो सकती शायद मरने के बाद उसके संसार में जाकर दो चार सवाल पूछ पाऊँ और अपने जैसे न जाने कितने आम आदमी जो दुःख झेल रहे हैं शायद उनके बारे में भगवान् को सब बता सकूँ क्यूंकि लगता है इन पैसे वालों ने कहीं भगवान् के संदेशवाहक को तो नहीं खरीद लिया जो हम जैसे लोगो की पुकार  भगवान् तक नहीं पहुँचने दे रहे हों ! मैंने सुना है भगवान् सब देखता है  तो मुझे भी उम्मीद यही है मेरा ये लेख भी भगवान् देखेगा और कुछ न कुछ जरूर करेगा ! शायद भगवान् इसी लेख को विनती मान कुछ पिघल जाए ! .......तब तक आप लोगों से विनती है की मेरे इस लेख को मेरा निजी लेख मान कर अपनी राय या प्रतिक्रिया जरूर दें की मुझे किस तरह मरना चाहिए शायद आपके बताये रास्ते से मैं अपने मन पक्का कर अपनी मौत के फैसले को और मजबूत कर सकूँ और अपने मौत के विचार को और मजबूत कर लूँ !


आपकी सलाह और मार्गदर्शन की मुझे पूरी आस है आशा है आप अपने मार्गदर्शन से मेरे फैसले को और मजबूत करेंगे!    
आप लोगों से विनती है की ब्लॉग के किसी लेख पर अपनी
राय दें या न दें पर इस विषय पर प्रतिक्रिया जरूर दें
....आपका मित्र   समीर चतुर्वेदी  

Thursday, December 16, 2010

राहू की दशा / काल सर्प योग के आसान उपाय

सभी मित्रों को मेरा सादर प्रणाम ! दोस्तों आज हम बात करेंगे राहू के बारे में ! मुझे पिछले दिनों के लोगों से बात करने का अवसर मिला ! ब्लॉग पढकर इन लोगों ने मुझसे कई सवाल किये ! ज्यादातर लोगो से बात करने के बाद पता चला की किसी न किसी तरह राहू के बारे में यही पता है की जब जब राहू की दशा आती है तो राहू कष्ट देता है ! जैसा की मैने अपने पिछले लेखो  में भी लिखा है की राहू सदा नुक्सानदाई नहीं होता ! राहू इच्छाओं का कारक है ! जब भी किसी घटना या या क्रिया के साथ अचानक शब्द का प्रयोग हुआ तो मान लीजिये की राहू की उपस्थिति दर्ज हो गयी ! अचानक दुर्घटना , अचानक मृत्यु , अचानक धन की प्राप्ति , सट्टा , लोटरी कंप्यूटर , अचानक अपराध में वृद्धि इन सभी का कहीं न कहीं राहू से सम्बन्ध है !

कुछ लोगों ने ये भी कहा की आपने कहा था की काल सर्प योग का निवारण बहुत आसान है लेकिन आपने बताया नहीं ! मित्रों ... काल सर्प योग का निवारण बहुत आसान है और बहुत सस्ता भी है ! पहले तो काल सर्प योग के बारे में जान ले ! जब भी राहू और केतु के मध्य सभी गृह  आ जाते हैं तो काल सर्प योग का निर्माण होता है !  और ध्यान देने योग्य बात ये है की जिस प्रकार शनि की साढ़े साती या दशा सदा पीढ़ा नहीं देती और कई बार जातक को नयी सफलता देती है उसी प्रकार काल सर्प योग भी व्यक्ति को कई बार सफलता के उस शिखर पर बैठा देता है जिसकी उसने कभी आशा नहीं की होती ! खैर ये सब बातों को करने का कोई लाभ नहीं है क्यूंकि आज यदि कोई काल सर्प योग से पीड़ित है तो उसे उसका निदान चाहिए और कुछ नहीं !

काल सर्प योग के निदान हेतु सबसे आसान उपाय मैं यहाँ देने जा रहा हूँ ! पहले तो ये देखें की काल सर्प योग में  राहू की स्तिथि क्या है यदि आपकी जन्म कुंडली के पहले स्थान से छठे स्थानके बीच   राहू महाराज विधमान हैं तो आपको इस का निदान पूर्णमासी के दिन करना है और यदि आपके कुंडली के पहले से छठे स्थान के बीच  केतु भगवान् विराजमान हैं तो आपको ये उपाय अमावस्या के दिन करना है और ये उपाय सिर्फ राहू काल में ही करें !
काल सर्प योग के निवारण हेतु आप लगभग सवा पांच किलो कच्चे चावल लें और उन्हें बांस की टोकरी में रख लें उसके पश्चात लगभग दो या सवा दो लीटर दूध लेकर उन चावलों के ऊपर डाल लें जिससे की चावल पूर्ण तरीके से दूध में  हो जाएँ उसके बाद राहू काल में जैसा की मैने पहले कहा है उन चावलों को ले जाकर किसी नदी में प्रवाहित कर दें और प्रवाहित करते समय राहू महाराज से प्रार्थना करतें रहे की वे आपको काल सर्प योग से होने वाले दुष्प्रभावों से मुक्ति दें तथा इस योग के जो भी सुप्रभाव हो उनको आपके जीवन मैं लायें !

उसके साथ ही काल सर्प योग का ये उपाय यदि आपको करने में असुविधा लगती हो तो जैसा मैंने बताया है की राहू  की स्तिथि देखते हुए या पूर्णमासी या फिर केतु की स्तिथि देखते हुए अमावस्या के किसी भी सोमवार से कच्चे दूध में भांग की थोड़ी पत्तियाँ डाल कर शिवलिंग पर लगतार चढ़ाएं और यदि आप लगातार करने में भी समर्थ न हों तो प्रत्येक सोमवार अवश्य करें आपको निश्चित रूप से लाभ होगा और आपके कार्यो में सफलता मिलना शुरू हो जाएगा तथा सुख का आगमन होगा ! ये उपाय कारगर हैं यदि आप विश्वास रखें तो ये वो उपाय हैं जिनसे आप बेकार के खर्चों से बचते हुए सामान्य रूप से करके लाभ उठा सकते हैं ! तो मित्रों आज के लिए बस इतना हे आगे आपसे फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए नमस्कार !

Thursday, December 9, 2010

मेरी सोच

नमस्कार मित्रों आज ज्योतिष से कुछ हटकर बात करने का मन हुआ है ! पिछले कुछ समय से हमारी लोक सभा और राज्य सभा ठप पढ़ी हैं ! मुद्दा था टेलिकॉम घोटाला ! अब एक टेलिकॉम घोटाले को लेकर इतना हल्ला करने की क्या जरूरत है ! जब अभी दिल्ली के कोमन वेल्थ खेलो को हम पचा गए और कुछ नहीं किया तो क्या करना इस घोटाले को लेकर ! क्यों इतना हल्ला मचा है ! इन बेशर्म हो चुके नेताओं को क्या फर्क पड़ता है ? आपको क्या लगता है क्या ये विपक्ष आपको सजग करने के लिए इतना हल्ला मचा रहा है ? नहीं.....!  जरा भ्रष्टाचार  का विरोध करने वालों के चेहरे देखो ! भ्रष्टाचार करने वालो के चेहरों से कम बेशर्मी नहीं है इनकी शक्लों पर ! इन्हें गुस्सा इस बात का नहीं की भ्रष्टाचार हुआ है इन्हें गुस्सा इस बात का है की इन्हें ये सब करने का मौका नहीं मिला ! बनारस मैं बम फटा इन लोगो के चेहरे पर शिकन नहीं है ! इन्हें देश की तरक्की या सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है ! इन्हें फ़िक्र है तो बस इस देश को कैसे लूटा जाए , यहाँ के लोगो को कैसे मुर्ख बनाया जाए ! ये हमें मुर्ख बना सकते हैं क्युकी हम है ही मुर्ख ! हमें बस चटपटी खबरों का चस्का है ! हमारी जेब पर कौन डाका डाल रहा है हमें इसकी कोई चिंता नहीं है !
     आज अगर हम अपने देश की बात करें तो शायद इससे बेहतर हम गुलाम ही भले थे ! कम से कम हम किसी नियम से से चलते थे ! हमें डर था की अगर अपराध किया तो दंड मिलेगा ! पर आज अपराधी बेख़ौफ़ हैं ! रोज लूट होती है रोज डाके पड़ जाते हैं , रोज हत्याकांड होते हैं लेकिन देश की रानी और उनके चापलूस मंत्री सोते हैं ! जो पाप सरकार के सर है उससे बड़ा पाप विपक्ष के सर पर है ! किसी भी मुद्दे पर भाँड़ो की तरह टीवी पर झूठा गुस्सा दिखाना विपक्ष की आदत मैं है ! इन नेताओं से भली जात तो उन गा बजा कर मांगने वालों की है जिनकी कोई पहचान तो है लेकिन इन मोटी चर्बी वाले भाँड़ो को क्या कहें ! उद्योगपतियों के दलाल बने बैठे है सत्ता के गलियारों में ! देश के करोडो लोगो को अनाज क्या भले ही पीने के लिए गन्दा भी पानी न मिले पर इन सत्ता के दलालों को संसद में मिनरल वाटर के बिना गुजारा करना नहीं आता ! एक बार एक ज्योतिष मित्र ने कहा की कलयुग में राहू की सत्ता होगी अब लगता है उनका इशारा कहाँ था और बिलकुल सही था !  
       और आज के सबसे बड़े नौटंकी करने वाले अगर हैं तो वो हैं हमारे खबरिया चेनल ! किस खबर को किसके पक्ष मैं दिखाना है ये कलाकारी कोई इनसे पूछे ! किसी एक खबर को आप अलग अलग चेनल पर देखिये ! सभी चेनल तुरंत फैसला सुनाने को आतुर हैं की कौन गलत है और कौन सही ! टीवी पर खबर चल रही है सुरक्षा बल के 70 जवानों को नक्सलियों ने मार दिया पर खबर से ज्यादा इन चेनलों को ब्रेक मे विज्ञापन दिखाने की मजबूरी है ! खबरों के नाम पर किस तरह के स्टिंग होते है उसका नज़ारा सब कई बार देख चुके हैं ! आखिर करें भी क्या जब सब देश को लूटने में लगे हैं तो तो इनका भी हक बनता है न की देश के इस धर्म जिसका नाम भ्रष्टाचार है उसका अनुसरण करें !
                              शायद मेरे इस लेख को पढ़ कर आप सोच रहे होंगे की इस ज्योतिष की बात करने वाले को क्या हुआ ? कहीं समीर चतुर्वेदी पागल तो नहीं हो गया जो ज्योतिष से हटकर बेकार की बातों मे अपनी रूचि दिखा रहा है ! और एक विषय नहीं सब बातों को एक धागे मे डालने की कोशिश कर रहा है पर क्या करूँ बहुत कोशिश करता हूँ शांत रहूँ पर जब दिल का ज्वालामुखी फटने को होता है तो दिल के हर छेद से लावा फूट फूटकर निकलता है ! जानता हूँ की कोई अकेला कुछ नहीं कर सकता पर किसी की कही ये पंक्तियाँ याद आ जाती हैं   """ कौन कहता है आसमान से सितारे नहीं टूटा करते ...एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों .!








Sunday, November 21, 2010

डॉ आर्यन बाली

नमस्कार मित्रों  ! मुझे अभी तक काफी लोगो के और ब्लॉग पढने वाले  मित्रों के काफी ईमेल प्राप्त हुए की आप ब्लॉग को काफी दिन बाद अपडेट करते है इसकी वजह यही है की कुछ तो व्यस्तता के कारण और कुछ आजकल मेरा संपर्क डॉ आर्यन  बाली से नहीं हो पा रहा है ! दरअसल डॉ आर्यन बाली आज कल अपनी साधना में  व्यस्त हैं सो उनसे बात करने का सौभाग्य नहीं हो पा रहा है ! मित्रो आप बार बार ईमेल करके मुझसे उनका संपर्क सूत्र मांगते हैं लेकिन मेरी ये मजबूरी है की मैं आप लोगो को उनका संपर्क नहीं दे सकता पर इतना जरूर कर सकता हूँ की जब भी वो मेरे संपर्क में आयेंगे तो मैं आप का सन्देश या आपके सवाल उन तक जरूर पहुंचा दूंगा ! और ये भी सत्य है की आजकल मैं ही डॉ बाली से संपर्क नहीं कर पा रहा हूँ ! परन्तु ये बात का मुझे भरोसा है की जब भी उनसे संपर्क होगा तब वे सभी प्रश्न जिनका उत्तर आप सब लोग चाहते हैं जरूर मिल जाएगा ! कुछ लोगो ने मुझसे सवाल  किया है की आखिर मैं डॉ बाली की बातों को इतना वजन या इतनी महत्ता क्यूँ देता हूँ ! सो मैं आपको बता दूँ की मैं सन 2000 से आज तक कई ज्योतिष और तंत्र के जानकारों को देख मिल और परख चूका हूँ ! परन्तु डॉ बाली जैसे व्यक्ति ने इतनी छोटी उम्र में  जो मुकाम और विद्या हासिल की है उसका कोई उत्तर नहीं है !
                                                        डॉ बाली द्वारा बताये गए कुछ ज्योतिष और तंत्र के प्रयोग मैंने भी किये और कुछ लोगो को उन्हें करने के लिए भी दिया और उनको उसका अप्रत्याशित लाभ भी हुआ ! मैने निश्चित रूप से अपनी ज्योतिष विद्या को यदि और निखारा है तो उसका श्रेय डॉ बाली को जाता है ! मंत्रो के कीलन और उत्कीलन का जानकार मुझे डॉ बाली से बेहतर कोई नहीं लगा ! मेरे कहने का अर्थ ये नहीं की सिर्फ डॉ बाली ही ये सब जानते हैं  लेकिन इन्टरनेट पर आने वाले लोगो में यदि कोई जानकारी वाला व्यक्ति लगा तो सिर्फ कुछ लोग ही लगे जिनमे डॉ बाली का नाम सबसे ऊपर है !
                                                       सो आशा करता हूँ की डॉ बाली नाम के ज्ञान भण्डार से कुछ और ज्ञान प्राप्त होगा और जैसे ही मेरी मुलाक़ात उनसे होगी तो वही निस्वार्थ भाव से सभी जानकारी मैं आप तक जरूर पहुंचा दूंगा ! 

Saturday, November 13, 2010

धन प्राप्ति के लिए गणेश पूजन

प्रिय मित्रों नमस्कार एक बार फिर से क्षमा मांगता हुआ की मैं ब्लॉग को देर से अपडेट कर रहा हूँ ! पिछले दिनों कई लोगो ने सवाल किया था की जो गणेश पूजा का विधान जोकि मैने  शीर्षक धन तथा सम्रद्धि बढ़ाने हेतु एक अभूतपूर्व सात्विक प्रयोग    के नाम से   अक्टूबर  के अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया था क्या वो सिर्फ दीवाली की रात ही  करने के लिए था  या किसी अन्य दिन भी किया जा सकता है ! और इस पूजा की प्रमाणिकता क्या है ! सो मैं आपको बता दूँ की यह पूजा गणेश उप-पुराण के सन्दर्भ से है ! और ये पूजा सिर्फ दीवाली के लिए नहीं है ! हाँ दीवाली पर इसका महत्व जरूर है ! आप इस पूजा को सवारथ सिद्धि योग या त्रि-पुष्कर योग में भी कर सकते हैं ये आपको समान फलदायी होगी ! पूजा का विधान भी वही होगा ! कई लोगों ने ये सवाल भी किया की क्या ये पूजा रोज की जायेगी और इसका फल कितने दिन में प्राप्त होगा !
     दोस्तों जब आप पूजा एक बार कर के गणेश जी की नीम की लकड़ी की मूर्ति को स्थापित कर लेंगे तो फिर जिस प्रकार आप रोज सामान्य पूजा करते हैं बस उसी प्रकार आपने ये पूजा भी करनी है ! जहां तक फल प्राप्ति की बात है तो आज तक जिसको भी मैंने इस विधान से पूजा करने को कहा है उसको निश्चित लाभ ही हुआ है ! और मेरा मकसद आप लोगो तक वो सब विधियां और जानकारी देने का है जिसके द्वारा आपको ज्यादा पचड़ों में न पड़कर सामान्य रूप से करके लाभ ले सकें ! सो इस बार जो लोग पूजा न कर पाएं हों तो नवम्बर और दिसम्बर के महीने में ये योग दुबारा हैं आप तब कर सकते हैं ! हाँ पर ध्यान रखें पूजन से पहले गणेश जी की प्रतिमा को पहले गंगाजल से स्नान कराएं और उसके बाद शुद्ध घी से भी स्नान कराएं !
     कई लोगो ने काल सर्प योग के निवारण के बारे में भी जानकारी मांगी थी ! तो मैं अपने अगले ब्लॉग में काल सर्प योग के लिए पूजा का विवरण दूंगा जो की मात्र सौ या दो सौ रूपये में हो जायेगी ! एक बार फिर आप सभी को प्रणाम करता हुआ अपनी बात को यहीं विश्राम देता हूँ अगले लेख में आपसे फिर मुलाकात होगी !

Monday, November 1, 2010

राहू और सिर्फ राहू

प्रिय मित्रों आज हम यहाँ चर्चा करेंगे राहू के बारे में ! आज राहू के बारे में कुछ तथाकथित बाबा और ज्योतिषियों ने भ्रामक बाते फैला रखी हैं ! इनमे से कुछ तो ऐसे हैं जिनका दावा है की उनपर राहू की विशेष कृपा है ! पर जब इन लोगो से मैने खुद बात की तो पता चला की ये सिर्फ राहू के बारे मैं अधकचरी जानकारी रखते हैं और राहू के बारे सैद्धांतिक रूप से भी नहीं जानते !  राहू के प्रति भक्ति भाव रखना तो दूर इन्हें सिर्फ और सिर्फ अपनी कमाई से मतलब है ! इनमे से कई लोगों से मैने खुद बात की और जब उनसे राहू के तथ्यों के बारे में बात की तो कोई नाराज हुआ और किसी  ने मुझे मूर्ख की संज्ञा दी ! मैने कई वेब साईट भी चेक की जिनमे इन तथाकथित लोगो ने राहू के बारे में ऐसी ऐसी बातें लिख रखी हैं जिनसे राहू का दूर दूर तक कोई लेना देना  नहीं है ! इनमे से कई लोगो ने मेरे ब्लॉग पर ऐसी भाषा में प्रतिक्रिया दी है जिसे मैं सार्वजनिक नहीं करसकता और न ही कोई सभ्रांत व्यक्ति इस भाषा का इस्तेमाल कर सकता है ! इनकी इस भाषा से ही  इनके ज्ञान और संस्कार पता चलते हैं !

कुछ लोगो ने राहू का रिश्ता तो सांप से  तो जोड़ दिया परन्तु आज तक ये नहीं बता पाए की राहू का सर्प से रिश्ता क्या है ! है ! पुराणो के अनुसार कुल आठ महासर्प हैं जिनके नाम हैं --- १ वासुकी २ अनंत  ३ शंक्पाल  ४ कारकोटक ५ पद्मा  ६ महापद्मा ७ दक्ष  ८ गुलिकी ! और ये सब  कादरु माँ के पुत्र हैं ..माँ कादरु महर्षि कश्यप की पत्नी हैं और राहू की नानी हैं तथा ये आठ महानाग राहू के मामा हैं परन्तु इनका राहू के उपाय से कोई लेना देना नहीं है ! परन्तु राहू को सांप से जोड़ने वाले इस बात पर चर्चा ही नहीं करना चाहते ! सांप का अर्थ है विष और विष शनि के आधीन आता है संसार में १८ विष हैं जिनमे 10 विष वनस्पति के और आठ विष धातु से हैं !


आज कालसर्प दोष के नाम पर अनजान तथा सामान्य व्यक्ति को ऐसा डर दिखाया जाता है की यदि गलती से उसकी कुंडली मैं यदि कालसर्प हो तो समझो की वो तो बर्बाद ही  हो गया ! वास्तव में ये काल सर्प दोष कब से चला ? असल में कालसर्प दोष के जनक राजस्थान के ज्योतिषी रहे जिन्होंने राहू को सर्प का सर और केतु को उसकी पूंछ मानकर इसे नाम दिया कालसर्प दोष का ! इसकी परिभाषा दी गयी की यदि राहू और केतु के मध्य सभी गृह आ गए तो समझो बन गया काल सर्प दोष ! पहली बात ये है की ये दोष नहीं योग है ! और अगर काल सर्प योग है भी तो इन बाबा लोगों को ये नहीं पता की किस स्तिथि में इसका क्या निदान है ! और उसकी जरूरत भी क्या है इन्हें मतलब है बस अपनी कमाई से !

       आज  कुछ राहू के तथाकथित परम भक्तो का ये भी कहना है की राहू इच्छाओं का कारक है ! वे राहू को सेक्स शराब मांस तथा व्यसनों से जोडके देखते हैं ! इनलोगों का कहना है की राहू को अंडा प्रिय है! भाई लोगों राहू को छाया गृह होते हुए भी प्रधान गृह का दर्जा प्राप्त है औरअगर राहू को शराब और अंडा ही चाहिए तो  जब नवग्रह की पूजा होती है तो राहू के लिए उस पूजा में अंडे और शराब व् मांस का भोग क्यों नहीं लगाया जाता ! बस जब मैने इन लोगो से इसी विषय में सवाल किया तो ये लोग भड़क गए ! सबसे पहले इन लोगो की नाराजगी ही इस बात को लेकर थी की जिस कालसर्प योग जैसे विषय पर ये लोग अच्छा खासा पैसा लेते हैं उसे मैं लोगो को मुफ्त उपाय बता कर क्यों प्रचारित कर रहा हूँ ! आज इन सभी राहू के भक्तों से ये प्रश्न है की आप बैंकोक के मंदिर के हिसाब से पूजा करेंगे या भारतीय वेद या प्राचीन ऋषियों के पद्दति के अनुसार ! आप थाई पुजारियों की तरह क्या राहू को केक का भोग लगायेंगे !
      खैर इस लेख को देने का मेरा मतलब ये नहीं है की मेरी लडाई सभी ज्योतिषियों और तांत्रिकों से है मेरी लडाई केवेल उन लोगो से है जो आधा अधुरा ज्ञान लेकर लोगो को मूर्ख बनाने का धंधा खोल के बैठे है!  सीधा सा सवाल है जब काल सर्प का निदान सौ से दो सौ रूपये में हो सकता है तो फिर हज़ारों का खर्चा क्यों ! सो मेरा ये  युद्ध इन तथाकथित परम भक्तो से चलता हे रहेगा !

Wednesday, October 27, 2010

हत्था जोड़ी

हत्था जोड़ी के ये चित्र और ये लेख पर हमारा कॉपी राईट है और लाइव दिल्ली अलर्ट इस पर एकमात्र अधिकार रखता है ! इसे किसी भी रूम में पुनः प्रकाशन करने वाले को कानूनी नोटिस  दिया जा सकता है !

 
प्रिय मित्रों आज मैं  यहाँ हत्था जोड़ी जो की एक महातंत्र में उपयोग में  लायी जाती है और इसके प्रभाव से शत्रु दमन तथा मुकदमो में विजय हासिल होती है ! आज मैं सिर्फ आपको यहाँ असली हत्था जोड़ी के चित्र डाल रहा हूँ ! अगले लेख में मैं आपको इसके प्रयोग की विधि भी बताऊंगा ! आज कई कथित तांत्रिक इस हत्था जोड़ी को मनमाने दाम पर लोगो को बेच रहे हैं जबकि इसको कोई आम आदमी भी साधारण पूजा द्वारा सिद्ध कर सकता है ! फिलहाल आप इस हत्था जोड़ी के चित्र को देखें ! मेरा आपसे वादा है की मैं आपको इसके सिद्ध करने और लाभ के बारे में भी जरूर बताऊंगा !
                                      
और बस यही नहीं अगले ब्लॉग में हम आपको सिद्ध नवग्रहों के यंत्रों के बारे में भी जानकारी देंगे और असली रावण संहिता के ज्योतिष खंड से उपलब्ध सभी ग्रहों के यंत्रो के आधार और उनके बारे में विस्तृत जानकारी भी देंगे और उन यंत्रों की सार्थकता भी बताएँगे साथ ही  यदि कोई हमे इन यंत्रो की सार्थकता के बारे में चुनौती देगा तो हम उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे !
तो बस इन्तेजार कीजिये थोड़े समय का और पूरी जानकारी आपके सामने होगी

  

Tuesday, October 26, 2010

धन तथा सम्रद्धि बढ़ाने हेतु एक अभूतपूर्व सात्विक प्रयोग

   ये लेख पर हमारा कॉपी राईट है और लाइव दिल्ली अलर्ट इस पर एकमात्र अधिकार रखता है ! इसे किसी भी रूम में पुनः प्रकाशन करने वाले को कानूनी नोटिस  दिया जा सकता है !                                              

प्रिय पाठकों आप लोगो के मेल मुझे लगातार मिल रहे हैं कई सज्जन शायद मुझसे इसीलिए नाराज हैं की मैं ब्लॉग को लगातार अपडेट नहीं कर रहा हूँ ! खैर इसके लिए माफ़ी मांगता हुआ आज मैं दीवाली के शुभ अवसर पर आप लोगो को धन तथा सम्रद्धि बढ़ाने हेतु एक अभूतपूर्व सात्विक प्रयोग बताने जा रहा हूँ यह प्रयोग की जानकारी और विधि मुझे मेरे लन्दन निवासी मित्र और ज्योतिष तथा तंत्र के  ज्ञानी डॉ बाली ने उपलब्ध करायी है सो उनके कहे अनुसार जन कल्याण हेतु मैं इसे यथावत ब्लॉग पर दे रहा हूँ !जिसे जनसामान्य भी करके पूर्ण लाभ उठा सकता है !  प्रयोग निम्न प्रकार से है -:

सबसे पहले किसी नीम के पेड़ का तना ले लें परन्तु ध्यान रहे यदि आप नीम का तना खुद तोड़ या काट कर लाते है तो ऐसा करने से पूर्व नीम की पूजा करें और नीम से प्रार्थना करें की हे नीम के वृक्ष मैं ये आपका तना पूजा मात्र के लिए ले रहा हूँ ! और आप अपने  सभी शुद्ध तत्व इसमें विराजमान रखना ! तत्पश्चात उस तने पर गणेश भगवान् की प्रतिमा किसी लकड़ी का काम करने वाले से बनवा लें !गणेश जी की प्रतिमा सवा हाथ( आपके हाथ की तर्जनी यानी सबसे बड़ी ऊँगली से लेकर जहां कलाई में आप घडी बांधते हैं ) की होनी चाहिए इससे छोटी प्रतिमा उपयोग नहीं होगी इस क्रिया में !  बाज़ार से थोड़ी श्वेत गुंजा (सफ़ेद गुंजा ) लगभग 100  ग्राम  या कुछ लोग उसे सफ़ेद रत्ती भी कहते है खरीद लायें ! दीपावली के दिन किसी ताम्बे के बर्तन में लाल कपडा बिछा कर उस पर गुंजा रख लें उसके पश्चात उस पर नीम के तने पर बनी गणेश भगवान् की मूर्ति स्थापित कर दें ! गणेश जी को हल्दी और रोली का टीका लगायें साथ में  थोड़ी दूब (हरी घास ) होनी चाहिए ! तुलसी का प्रयोग वर्जित है
जैसा की लगभग दीवाली की पूजा स्थिर लग्न मैं होती है पूजा के साथ ही उस मूर्ति के आगे अपनी श्रद्धा अनुसार कम से कम एक माला या आप चाहें तो ग्यारह माला गणेश जी के मंत्र ॐ गं गणपतये नमः की करें ! उसके बाद रात्री बारह से दो बजे के बीच फिर इसी क्रम को दोहरायें !

पूर्ण आस्था से करें फल की प्राप्ति होगी और ४० दिन के भीतर ही आपको अपनी परिस्थिति मैं फर्क दिखाई देगा ! इस क्रिया का प्रभाव कभी निष्फल नहीं जाता ऐसा मैने कई लोगो के अनुभव से जाना है ! इस विधि को यहाँ ब्लॉग पर लिखने का मेरा मकसद सिर्फ आप लोगो तक वे सभी उपाय पहुंचाने का है जिसमे समय और पैसे की बर्बादी से बचते हुए सात्विक व् सामान्य तरीके से आप लाभ ले सकें!

Tuesday, October 12, 2010

वशीकरण तथा अन्य मन्त्र ---vashikaran

यहाँ हम पाठकों की मांग पर मन्त्र भण्डार नामक पुस्तक का कुछ अंश दे रहे हैं पाठक यदि चाहे तो इस किताब के बारे में  अपने विचार दे सकते हैं ! यह पुस्तक आज किसी बाज़ार में उपलब्ध नहीं है !परन्तु जैसा में पहले लेखों में लिख चूका हूँ की यह संकलन मुझे मेरे लन्दन निवासी भारतीय मित्र डॉ बाली ने उपलब्ध करायी है सो मैं इसे यहाँ ब्लॉग पर लगा रहा हूँ !
   यदि कोई सज्जन मेरे विरुद्ध  इन पुस्तकों के कॉपी राईट उल्लंघन की कार्यवाही करना चाहें तो उनका स्वागत है !


                                                   

उड्डामारेश्वरा तंत्र -- UDDAMARESHVARA TANTRA

यदि कोई सज्जन मेरे विरुद्ध इन पुस्तकों के कॉपी राईट उल्लंघन की कार्यवाही करना चाहें तो उनका स्वागत है !



PANCHAANGULI DEVI SADHNA-पंचान्गुली देवी साधना

यदि कोई सज्जन मेरे विरुद्ध  इन पुस्तकों के कॉपी राईट उल्लंघन की कार्यवाही करना चाहें तो उनका स्वागत है !

Friday, October 8, 2010

तंत्र से करें सुख-समृद्धि



1‌‌‍॰ यदि परिश्रम के पश्चात् भी कारोबार ठप्प हो, या धन आकर खर्च हो जाता हो तो यह टोटका काम में लें। किसी गुरू पुष्य योग और शुभ चन्द्रमा के दिन प्रात: हरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करें। श्री गणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे “संकटनाशन गणेश स्तोत्र´´ के 11 पाठ करें। तत्पश्चात् इस थैली में 7 मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रूद्राक्ष, एक चांदी का रूपया या 2 सुपारी, 2 हल्दी की गांठ रख कर दाहिने मुख के गणेश जी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं। फिर यह थैली तिजोरी या कैश बॉक्स में रख दें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान करते रहे। आर्थिक स्थिति में शीघ्र सुधार आएगा। 1 साल बाद नयी थैली बना कर बदलते रहें।
2॰ किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर “बटुक भैरव स्तोत्र´´ का एक पाठ कर के गौ, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी।
3॰ रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें `जय गणेश काटो कलेश´।
4॰ सरकारी या निजी रोजगार क्षेत्र में परिश्रम के उपरांत भी सफलता नहीं मिल रही हो, तो नियमपूर्वक किये गये विष्णु यज्ञ की विभूति ले कर, अपने पितरों की `कुशा´ की मूर्ति बना कर, गंगाजल से स्नान करायें तथा यज्ञ विभूति लगा कर, कुछ भोग लगा दें और उनसे कार्य की सफलता हेतु कृपा करने की प्रार्थना करें। किसी धार्मिक ग्रंथ का एक अध्याय पढ़ कर, उस कुशा की मूर्ति को पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। सफलता अवश्य मिलेगी। सफलता के पश्चात् किसी शुभ कार्य में दानादि दें।
5॰ व्यापार, विवाह या किसी भी कार्य के करने में बार-बार असफलता मिल रही हो तो यह टोटका करें- सरसों के तैल में सिके गेहूँ के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें -“हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना।´´ सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।
6॰ सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिर माता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आ जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है। 
7॰ किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है।
८॰ रविवार पुष्य नक्षत्र में एक कौआ अथवा काला कुत्ता पकड़े। उसके दाएँ पैर का नाखून काटें। इस नाखून को ताबीज में भरकर, धूपदीपादि से पूजन कर धारण करें। इससे आर्थिक बाधा दूर होती है। कौए या काले कुत्ते दोनों में से किसी एक का नाखून लें। दोनों का एक साथ प्रयोग न करें।
9॰ प्रत्येक प्रकार के संकट निवारण के लिये भगवान गणेश की मूर्ति पर कम से कम 21 दिन तक थोड़ी-थोड़ी जावित्री चढ़ावे और रात को सोते समय थोड़ी जावित्री खाकर सोवे। यह प्रयोग 21, 42, 64 या 84 दिनों तक करें।

10॰ अक्सर सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, किन्तु पैसा नहीं टिकता, तो यह प्रयोग करें। जब आटा पिसवाने जाते हैं तो उससे पहले थोड़े से गेंहू में 11 पत्ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर मिला लें तथा अब इसको बाकी गेंहू में मिला कर पिसवा लें। यह क्रिया सोमवार और शनिवार को करें। फिर घर में धन की कमी नहीं रहेगी।


11॰ आटा पिसते समय उसमें 100 ग्राम काले चने भी पिसने के लियें डाल दिया करें तथा केवल शनिवार को ही आटा पिसवाने का नियम बना लें।

12॰ शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।

13॰ अगर पर्याप्त धर्नाजन के पश्चात् भी धन संचय नहीं हो रहा हो, तो काले कुत्ते को प्रत्येक शनिवार को कड़वे तेल (सरसों के तेल) से चुपड़ी रोटी खिलाएँ। 

14॰ संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिए, किन्तु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का क्षय होता है।

15॰ रात्रि में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात्रि भोज में नहीं करना चाहिये।

16॰ भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।

17॰ सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ, ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।

18॰ घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर में रखना अलाभकारी होता है।

19॰ अपने घर में पवित्र नदियों का जल संग्रह कर के रखना चाहिए। इसे घर के ईशान कोण में रखने से अधिक लाभ होता है।

20॰ रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भर कर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहीं आयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूर होंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।

तंत्र से करें समस्याओं का समाधान

दुर्भाग्य दूर करने के लिये

आटे का दिया, १ नीबू, ७ लाल मिर्च, ७ लड्डू,२ बत्ती, २ लोंग, २ बड़ी इलायची बङ या केले के पत्ते पर ये सारी चीजें रख दें |रात्रि १२ बजे सुनसान चौराहे पर जाकर पत्ते को रख दें व प्रार्थना करें,
जब घर से निकले तब यह प्रार्थना करें = हे दुर्भाग्य, संकट, विपत्ती आप मेरे साथ चलें और पत्ते को रख दें | फिर प्रार्थना करें = मैं विदा हो रहा हूँ | आप मेरे साथ न आयें, चारों रास्ते खुले हैं आप कहीं भी जायें | एक बार करने के बाद एक दो महीने देखें, उपाय लाभकारी है| श्रद्धा से करें |

गृह कलेश

पवनतनय बल पवन समाना |बुद्धि विवेक विज्ञान विधाना | स्वाहा१०८ बार जाप करना है | यह मानस मंत्र है | मन में जाप करें | आहुती देते हुए यह मंत्र जाप करना है, यह किसी शुभ दिन से शुरु करें| सोम, गुरु या रवि पुष्य या त्यौहार के दिन | लाल आसन ऊनी, दक्षिण दिशा में मुँह करके बैठें| प्रयोग रात्रि के समय करें| तर्जनी से आसन के चारों तरफ लकीर खींच दें, अपनी रक्षा के लिये |

सुख शांति के लिये वनस्पति तंत्र

अशोक वृक्ष के जड़ के पास अंदर की तरफ की १ किलो मिट्टी ले आइये, कूट पीस कर छान लीजिये व उसमें केसर, केवङा जल, हिना का इत्र, मुठ्ठी नाग के जट, श्वेत चन्दन, काली गाय का दूध मिट्टी में मिलाना है| मिट्टी को गूँथ लीजिये और एक पिण्डी अर्थात शिवलिंग बना लीजिये| पूजा स्थान पर रख दीजिये |
१०८ बार मंत्र जाप करना है ऊँ नमः शिवायव १०८ बेलपत्र चढाने हैं, दूसरे दिन १०८ बेलपत्र एक थैली में रखने हैं, लगातार ७ दिन सोमवार से करना है, इस प्रकार ७ थैलियाँ इकठ्ठी होंगी, ८ वें दिन हर थैली में से एक एक बेल पत्र निकाल कर एक डिब्बी में रखकर लॉकर में रख दीजिये| शिवलिंग व बचे हुए बेलपत्र जल में प्रवाहित करना है|

अविवाहित युवती

पाँच सोमवार के व्रत करें, रोज एक रुद्राक्ष और एक बिल्बपत्र शिवलिंग पर चढायें, अगर माहवारी हो तो वह सोमवार छोड़ कर अगला वाला करें, एक समय सात्विक भोजन करें |

चर्म रोग

पाँच रुद्राक्ष के दाने एक गिलास पानी में रखकर सोते समय अपने सिराहने रखें और सुबह नहाते समय उस पानी को नहाने की पानी की बाल्टी में मिलाकर रोज नहायें व रुद्राक्षों को मंदिर में रख दें, चर्म रोगों में फायदा होता है, चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं |

High B.P.हाई बी.पी. 

पंच मुखी रुद्राक्ष को सफेद धागे में पिरोकर पहन लें, धागे की लम्बाई इतनी हो कि वह ह्रदय तक पहुँचे

स्वास्थ्य के लिये टोटके

1॰ सदा स्वस्थ बने रहने के लिये रात्रि को पानी किसी लोटे या गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिये रख दें। उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृत सम्बन्धी परेशानियां नहीं होती तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है।

2॰ हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें।

3॰ जिन लोगों को 1-2 बार दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपरोक्त प्रयोग संख्या 2 करें तथा निम्न प्रयोग भी करें :-
एक पाचंमुखी रूद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार कर इसे किसी नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर दें।

4॰ किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे।

5॰ घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।

6॰ रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।

7॰ पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है।

8॰ रोग मुक्ति के लिए प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।

9॰ घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं।

10॰ पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें।

11॰ पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है।

12॰ मंदिर में गुप्त दान करें।

13॰ रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे।

14॰ सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं पैर से सिर की ओर जाती हैं, जो अधिक से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर लायेंगी, जिससे व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।

15॰ अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।

16॰ अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दिन एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति निश्चय ही दूर होती है।

17॰ किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया में सुखा लें। जिस कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से ´´ ॐ माधवाय नम:। ॐ अनंताय नम:। ॐ अच्युताय नम:।´´ मन्त्र की एक माला का जाप करें। कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा। दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य करें। इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा।

18॰ अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है। शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।

19॰ पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।

20॰ किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं। अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

21॰ किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, चुगावें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।

22॰ शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का टुकड़ा रखें। इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। फेंकने से पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें। ऐसा 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

23॰ सवा सेर (1॰25 सेर) गुलगुले बाजार से खरीदें। उनको रोगी पर से 7 बार वार कर चीलों को खिलाएं। अगर चीलें सारे गुलगुले, या आधे से ज्यादा खा लें तो रोगी ठीक हो जायेगा। यह कार्य शनि या मंगलवार को ही शाम को 4 और 6 के मध्य में करें। गुलगुले ले जाने वाले व्यक्ति को कोई टोके नहीं और न ही वह पीछे मुड़ कर देखे।

24॰ यदि लगे कि शरीर में कष्ट समाप्त नहीं हो रहा है, तो थोड़ा सा गंगाजल नहाने वाली बाल्टी में डाल कर नहाएं।

25॰ प्रतिदिन या शनिवार को खेजड़ी की पूजा कर उसे सींचने से रोगी को दवा लगनी शुरू हो जाती है और उसे धीरे-धीरे आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा। यदि प्रतिदिन सींचें तो 1 माह तक और केवल शनिवार को सींचें तो 7 शनिवार तक यह कार्य करें। खेजड़ी के नीचे गूगल का धूप और तेल का दीपक जलाएं।

26॰ हर मंगल और शनिवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कुत्तों को खिलाने से धीरे-धीरे आराम मिलता है। यह कार्य कम से कम 7 सप्ताह करना चाहिये। बीच में रूकावट न हो, अन्यथा वापस शुरू करना होगा।

27॰ साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग और ज्वार चारों बराबर-बराबर ले कर साफ कर के मिला दें। कुल वजन 1 किलो हो। इसको रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर उनको एक साथ पकाएं। जब चारों अनाज पूरी तरह पक जाएं, तब उसमें तेल-गुड़ मिला कर, किसी मिट्टी के दीये में डाल कर दोपहर को, किसी चौराहे पर रख दें। उसके साथ मिट्टी का दीया तेल से भर कर जलाएं, अगरबत्ती जलाएं। फिर पानी से उसके चारों ओर घेरा बना दें। पीछे मुड़ कर न देखें। घर आकर पांव धो लें। रोगी ठीक होना शुरू हो जायेगा।

28॰ गाय के गोबर का कण्डा और जली हुई लकड़ी की राख को पानी में गूंद कर एक गोला बनाएं। इसमें एक कील तथा एक सिक्का भी खोंस दें। इसके ऊपर रोली और काजल से 7 निशान लगाएं। इस गोले को एक उपले पर रख कर रोगी के ऊपर से 3 बार उतार कर सुर्यास्त के समय मौन रह कर चौराहे पर रखें। पीछे मुड़ कर न देखें।

29॰ शनिवार के दिन दोपहर को 2॰25 (सवा दो) किलो बाजरे का दलिया पकाएं और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिला कर एक मिट्टी की हांडी में रखें। सूर्यास्त के समय उस हांडी को रोगी के शरीर पर बायें से दांये 7 बार फिराएं और चौराहे पर मौन रह कर रख आएं। आते-जाते समय पीछे मुड़ कर न देखें और न ही किसी से बातें करें।

30॰ धान कूटने वाला मूसल और झाडू रोगी के ऊपर से उतार कर उसके सिरहाने रखें।

31॰ सरसों के तेल को गरम कर इसमें एक चमड़े का टुकड़ा डालें, पुन: गर्म कर इसमें नींबू, फिटकरी, कील और काली कांच की चूड़ी डाल कर मिट्टी के बर्तन में रख कर, रोगी के सिर पर फिराएं। इस बर्तन को जंगल में एकांत में गाड़ दें।

32॰ घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन से रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।

33॰ यदि पर्याप्त उपचार करने पर भी रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो अथवा बार-बार एक ही रोग प्रकट होकर पीड़ित कर रहा हो तथा उपचार करने पर भी शांत हो जाता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने वजन के बराबर गेहू¡ का दान रविवार के दिन करना चाहिए। गेहूँ का दान जरूरतमंद एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों को ही करना चाहिए।

Wednesday, October 6, 2010

डॉ बाली द्वारा ज्योतिष के रहस्य और ज्ञान

यह लेख हमें प्राप्त हुए है डॉ बाली के द्वारा ! मै आपको बता दूँ  की डॉ बाली कोई  बुजुर्ग इंसान नहीं हैं !बहुत छोटी उम्र के हैं  लेकिन यदि उनका ज्ञान और अनुभव देखा जाए तो शायद हिन्दुस्तान का कोई ज्योतिषी या तंत्र का जानकार उनके आगे टिक सके ! ये कोई मुकाबले की की बात नहीं बात है सच्चे ज्ञान की जोकि ज्योतिष के बाज़ार में बैठे चंद ठगों और ढोंगियों जोकि  ज्योतिष के नाम पर लोगो को गुमराह कर रहे हैं ! ऐसा नहीं की सब ही ढोंगी है या ठग हैं लेकिन ज्यादातर आज इसे केवल येन केन  करके लोगो से पैसा निकलवाने का तरीका बना के बैठे हैं ! मेरी डॉ बाली से आज से कुछ दिन पहले बात हुई ! ज्योतिष का मुझे शौक है और किसी भी ज्ञानी से जब मुलाक़ात होती है तो में उन्हें आसानी से नहीं जाने देता ! डॉ बाली से जब चर्चा शुरू हुई तो मुझे मेरा ज्ञान अधुरा नहीं बिलकुल कोरा लगा !  अपनी कई भविष्यवानियों के सच होने पर भी मुझे लगा की डॉ बाली की विद्या के आगे शायद मैं कही नहीं रुकता ! सो बस वहीँ से शुरू हुई ज्ञान की बरसात ! डॉ बाली ज्योतिष से पैसा कमाने को गलत नहीं मानते लेकिन गलत तरीके से पैसा कमाया जाए तो उन्हें बुरा लगता है !
                      डॉ बाली की सोच के हिसाब से ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिसको यदि सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो ये परम कल्याण कर सकती है !  मेरे पास आज जितने भी लेख  हैं वो मैं एक साथ तो नहीं लेकिन धीरे धीरे करके ब्लॉग पर डालूँगा ! क्युकी शायद डॉ बाली ने भी यही सोच कर मुझे ऐसे दुर्लभ लेख दिए है जिनसे जनकल्याण हो सके या ज्योतिष के जानकार उनसे कोई फायदा उठा सकें ! और मित्रो सही बात तो ये है की मैने डॉ बाली को बताया की मैं ये सब पैसा कमाने के लिए नहीं कर रहा तो उनका जवाब था की आप पैसा भले ही कमाओ पर तरीका सही होना चाहिए ! सो मेरे अनुभव के हिसाब से तो मुझे पहली बार कोई पारंगत (परफेक्ट ) व्यक्ति मिला है ! भले ही मेरे द्वारा मिले मगर यदि आपको इन लेखो से कोई फायदा होता हो तो जरूर इस बारे में ब्लॉग पर अपनी टिपण्णी (कमेंट्स ) छोडें ! और आपके ज्योतिष ज्ञान का भी यहाँ स्वागत है ! यदि आप भी ज्योतिष सम्बन्धी कोई राय देना चाहे या लोगो का किसी प्रकार भला करना चाहे तो अपने लेख मुझे भेज सकते हैं ! आने वाले लेखो के साथ मैं डॉ बाली की उन सभी दुर्लभ किताबो को ब्लॉग पर डालूँगा जोकि उन्होंने मुझे बहुत विश्वास के साथ दी हैं ! इनमे से कुछ किताबें तो शायद आपको कहीं न मिले क्युकी ये प्राचीन किताबें हैं ! एक बार फिर डॉ बाली को धन्यवाद करते हुए अपनी बात यहीं ख़त्म करता हूँ !

Kalyana Varmas Saravali ( source by Dr Bali )

This matter related to kalyan verma has been provided by DR BALI from london who started ASTROLOGY at the age of 8 yrs and belongs to a religious family as well and he  situated a milestone in field of Astrology and we may  call him  as an ENCYCLOPEDIA of planets and ASTROLOGY as well as TANTRA remedies. Here we are going to present the part of his collected books related to ASTROLOGY.  And again our thanx and regards to DR BALI .
 
                                          Chapter 1.


                                  Birth of Horasastra


1. Glory to the Sun-God, whose very breathing causes Creation in this world, with whose rising all the animals (living beings) wake up (from the sleep of their ignorance), whose state at the
head (zenith) accentuates all activities (throws the brightest light on ones wisdom) and whose setting (absence, weakness) causes all to sleep. Such Sun-God has his efficacy spread (all over).


2-4. Varaha Mihira in his Horasastra, i.e. Brhat Jataka, stated briefly the essence of the teachings of the learned sages viz. ten divisions of the Zodiacal Sign, Raja Yogas, longevity, effects ofplanetary periods etc. This could not be done elaborately by him and hence I am conveying in this work such useful essence, as called out from Yavanas etc., rejecting other un-useful
portions, which may be appended to the said Brihat Jataka.


5. I, Kalyana Varma, whose fame on account of patronizing Gods and administering villages and
cities is brilliant, like that of a female swan in the cage of the universe, who is the king of
Vyagrapada region, present this Saravali, an astrological treatise, with a chaste heart.


6. Saravali is a river with chilly water, which has taken its birth in the mountain called Kalyana Varma, to ward off the thirst for astrology of those interested. Thus ends the 1st Ch. Birth of Horasastra in Kalyana Varmas Saravali


                                              Chapter 2

                                          Meaning of Hora


1-5. The Creator Brahma has written on the foreheads of all living beings their fates, which are deciphered by the astrologers through their pure insight. The first and last letters in the word
Ahoratra are removed and the word Hora is thus born and has come to exist. The Zodiac and the planets are therein, as discussed. Some scholars say Horasastra is indicative of effects of ones Karma, i.e. fate. Some call Lagna, or half of a Rasi, as Hora. In practice the science relating to horoscope is called Horasastra. Hora is capable of analyzing the destiny. Barring
this Horasastra there is no device to help one earn money, to help, as a boat, to cross the ocean of unexpected situations and to serve, as an advisor in journey.


Thus ends the 2nd Ch. Meaning of Hora in Kalyana Varmas Saravali

Saturday, September 25, 2010

सम्पादकीय ( समीर चतुर्वेदी ) 24/09/2010

साँसों की रफ़्तार एक बार फिर तेज है अयोध्या फिर दुबारा सुर्ख़ियों में है   इंतज़ार है अब एक ऐतिहासिक फैसले का उच्च न्यायालय वैसे तो फैसले का दिन तय कर चुका था पर रमेश चन्द्र त्रिपाठी नामक एक पुराने नौकरशाह ने उच्चतम न्यायालय में इस फैसले को रोकने की अर्जी दे डाली जिसमे तर्क दिया गया था की यदि ये फैसला आया तो देश में तनाव की स्तिथि पैदा हो सकती है ! रमेश चन्द्र ने अपनी अर्जी में कहा की सुलह सफाई की एक और कोशिश की जानी चाहिए ! हालांकि उच्च न्यायालय ने रमेश चन्द्र की अर्जी खारिज करते हुए उस पर अदालत का समय नष्ट करने के लिए जुरमाना तक लगा डाला था ! लेकिन रमेश चन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में दुबारा अर्जी लगा दी जिस पर कोर्ट ने २४ तारीख को आने वाले फैसले को रोक दिया और अगली तारीख दे डाली !


                                                                                              आखिर ये रमेश चन्द्र है कौन ? रमेश चन्द्र त्रिपाठी पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र की बुआ के बेटे हैं। रमेश चन्द्र अयोध्या मामले में डिफेन्डेंट नम्बर 17 हैं। सन् 2000 में उन्होंने हरिशंकर जैन को वकील किया लेकिन आर्थिक तंगी से पैरवी नहीं कर सके। कुछ वर्षो से हृदय रोग से पीड़ित हैं। राजधानी में उन्होंने इलाज भी कराया था। राजनैतिक विचारधारा के  त्रिपाठी खुद भी राजनीति में आना चाहते थे। रमेश चन्द्र त्रिपाठी की याचिका उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करते समय अदालत ने उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना आयद किया था और उसी समय यह बात भी प्रकाश में अदालत के सामने लायी गयी थी कि वर्ष 2005 में किसी अन्य मुकदमे में किसी अदालत के सामने स्वयं रमेश चन्द्र त्रिपाठी द्वारा यह कहा गया था कि उनका मानसिक संतुलन ठीक नही है।अब प्रश्न यह है कि ऐसे व्यक्ति द्वारा ऐसे महत्व पूर्ण वाद में अंतिम समय में हस्तक्षेप को क्यों संज्ञान मे लिया जा रहा है? खैर २४ सितम्बर  जिसका इंतजार अयोध्या मुकदमे के तमाम पक्षकार कर रहे थे। फिर चाहे वह बाबरी मस्जिद  एक्शन कमेटी हो, या फिर विहिप या फिर फैसले का इंतजार कर रहा कोई आम भारतीय। यह एेसा अनोखा संयोग था, जिस पर दोनों पक्ष  बहुप्रतीक्षित फैसले का सर्वसम्मित से इंतजार कर थे,  लेकिन अचानक रमेश चन्द्र त्रिपाठी जागे और उन्हें कामेनवेल्थ गेम, पंचायत चुनाव, नक्सली हिंसा और तमाम तरह की चिंता सताने लगी, जिन्हें देश लम्बे समय से देखता आ रहा है, पर हलकिसी का नहीं निकल सका और फैसला इन सबका नहीं बल्कि अयोध्या विवाद पर आने वाला था। आखिर रमेश चन्द्र की नींद ६० साल से क्यों नहीं टूटी ? अगर वो सुलह करवाना चाहते है तो इतने साल से क्यों नहीं प्रयास किया और उनकी सुलह की बात मानने वाला पक्ष है कौन सा ? अब जब फैसला आने को था तभी त्रिपाठी को तनाव की चिंता क्यों सताने लगी ? किसी के भी गले के नीचे ये याचिका नहीं उतर रही ! अयोध्या मसले  पर कोर्ट में दोनों पक्ष ही  इस याचिका से सहमत नहीं दिखे !
               रमेश चन्द्र की नींद तब टूटी जब देश की लगभग पूरी आबादी फैसले के इन्तेजार में थी ! कहीं ऐसा तो नहीं की सिर्फ कन्धा रमेश चन्द्र का हो और गोली कोई और चलाना चाह रहा है ! आखिर वे कौन लोग हैं जो  इस फैसले को टालना चाहते हैं ? कौन है वो जो इस मुद्दे को सिर्फ लटकाना चाह रहे है जिससे इसका फैसला कभी न हो और उन्हे इसे इस्तेमाल करने की समय सीमा मिलती रहे ! एक दिन पहले गृह मंत्री कहते है की फैसला होना ही चाहिए और अगले दिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाये जाने पर कांग्रेस इसका स्वागत करती है ! आखिर कांग्रेस में फैसले को लेकर इतनी बेचैनी क्यों है क्यों कांग्रेस का बयान आया की रमेश चन्द्र न कभी कांग्रेस के सदस्य रहे हैं न कभी उन्होंने कांग्रेस के लिए काम किया है ! सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जाफरयाब जिलानी ने बयान देकर कांग्रेस की तरफ ऊँगली उठायी है की यदि इसमें कांग्रेस का इसमें कोई हाथ नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सिर्फ कांग्रेस ने क्यों स्वागत किया है किसी और दल ने क्यों नहीं ?असल में कांग्रेस की मजबूरी दिख रही है क्युकी कोर्ट का फैसला जिस भी पक्ष के खिलाफ जाएगा उसकी नाराजगी सत्तारूढ़ दल से ही  होगी ! अभी कई राज्यों में चुनाव सर पर है राहुल गांधी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है सो सबसे ज्यादा बेचैन कांग्रेस ही है !


   खैर जो भी हो आज हिन्दुस्तान ही नहीं पूरे विश्व की नज़र इस फैसले पर टिकी है  एक हफ्ते का समय आगे किये जाने से  फैसले  पर तो कोई असर नहीं होगा हालांकि जिस तरह से अब फैसले में  रुकावट दिखाई दे रही है तो सभी के मन में एक शंका सी उभर रही है की अभी भी फैसला होगा या नहीं ?  लेकिन तब भी अगर फैसला दे दिया जाए तो शायद इस विवाद से मुक्ति शायद मिल ही जाए !

Wednesday, September 22, 2010

आपकी कुंडली और धन के योग

यदि आप धन कुबेर बनने का सपना देखते हैं, तो आप अपनी जन्म कुण्डली में इन ग्रह योगों को देखकर उसी अनुसार अपने प्रयासों को गति दें।

१ यदि लग्र का स्वामी दसवें भाव में आ जाता है तब जातक अपने माता-पिता से भी अधिक धनी होता है।

2 मेष या कर्क राशि में स्थित बुध व्यक्ति को धनवान बनाता है।

3 जब गुरु नवे और ग्यारहवें और सूर्य पांचवे भाव में बैठा हो तब व्यक्ति धनवान होता है।

4 शनि ग्रह को छोड़कर जब दूसरे और नवे भाव के स्वामी एक दूसरे के घर में बैठे होते हैं तब व्यक्ति को धनवान बना देते हैं।

5 जब चंद्रमा और गुरु या चंद्रमा और शुक्र पांचवे भाव में बैठ जाए तो व्यक्ति को अमीर बना देते हैं।

6 दूसरे भाव का स्वामी यदि ८ वें भाव में चला जाए तो व्यक्ति को स्वयं के परिश्रम और प्रयासों से धन पाता है।

७ यदि दसवें भाव का स्वामी लग्र में आ जाए तो जातक धनवान होता है।

8 सूर्य का छठे और ग्यारहवें भाव में होने पर व्यक्ति अपार धन पाता है। विशेषकर जब सूर्य और राहू के ग्रहयोग बने।

९ छठे, आठवे और बारहवें भाव के स्वामी यदि छठे, आठवे, बारहवें या ग्यारहवे भाव में चले जाए तो व्यक्ति को अचानक धनपति बन जाता है।

१० यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में शनि या मंगल या राहू बैठा हो तो व्यक्ति खेल, जुंए, दलाली या वकालात आदि के द्वारा धन पाता है।

११ मंगल चौथे भाव, सूर्य पांचवे भाव में और गुरु ग्यारहवे या पांचवे भाव में होने पर व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से, खेती से या भवन से आय प्राप्त होती है, जो निरंतर बढ़ती है।

Saturday, September 11, 2010

सम्पादकीय ( समीर चतुर्वेदी ) 11/09/2010


वैसे तो हमारा देश कई तरह के बाढ़ में डूबा हुआ है जैसे- घोटालों की बाढ़, भ्रष्टाचार की बाढ़, महंगाई की बाढ़ लेकिन अभी कुछ ही हफ्तों पहले गर्मी से तिलमिला रही दिल्ली अचानक पानी में डूब गई।दिल्ली में बाढ़ का खतरा एक बार फिर से मंडराया निचले इलाको में पानी भी आ गया ! दिल्ली वालो की मुसीबत कम होती नहीं दिखती ! पहले कोमनवेल्थ खेलो के की वजह से ट्रेफिक  जाम और अन्य मुसीबतों में फंसे लोग अब यमुना के बढते क्रोध का सामना कर रहे हैं ! खबरिया चेंनल कई दिन पहले से लोगो को सचेत करते दिखाई दे रहे थे !लेकिन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तो शायद अब भगवान् हो गयी है जिन्होंने पहले से ही खबर दिखने और चेतावनी देने वालो को कह दिया की दिल्ली में  बाढ़ जैसी कोई चीज नहीं है ! गोया की दिल्ली जब डूब ही जाए और जब तक लोग पूरी तरह बेघर न हो जाए तब तक बाढ़ नहीं कहा जा सकता ! दिल्ली  सरकार के बाढ़ राहत मंत्री राजकुमार चौहान ने तो अति उत्साहित होके यह तक कह दिया की यदि यमुना का जलस्तर 208 मीटर तक भी होगा तब भी दिल्ली  को कोई खतरा नहीं है  ! शाबास है ऐसे राजनेताओ को कोई राजकुमार चौहान से पूछे की उन्होंने इस विभाग का मंत्री होने से पहले बाढ़ के बारे में क्या जानकारी ली है और जिन निचले इलाकों में पानी भरा है क्या एक बार भी वो वहाँ के लोगो की हालत देखने गए है क्या ? पर जब तक सरकारी बंगलो में पानी न भरे तो भाई साहब कैसी बाढ़ ,जब तक सूबे की मुख्यमंत्री जाम में न फंसे कैसा जाम कहाँ है जाम ?
                                                             दरअसल मुख्यमंत्री आज अपने को जनता से बड़ा समझने लगी है जिस जनता ने उन्हें एक बार फिर गद्दी सौंपी उसी  जनता से शायद उनका मोह भंग हो गया है ! मुख्यमंत्री ने अपने शहर के दौरे के नाम पर उन इलाकों का दौरा किया जहां पानी का नामोनिशान नहीं था ! ठीक है बाढ़ एक प्राकर्तिकसमस्या है किसी भी सरकार या व्यक्ति का दोष नहीं है लेकिन यदि  हमारी

सरकार ही लोगो की मदद करने की बजाय सच्चाई से मुह मोड़ने लगे तो बेचारी
जनता कहाँ जाए ! अगर बात की जाए मुख्यमंत्री की तो जब दो दिन पहले ही उन्होंने कहा की दिल्ली में बाढ़ नहीं आ सकती तो आज अचानक इतनी हाय तौबा क्यों मची है !
                                         पिछले दस दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना के किनारे रहने वाले लोग अभी भी बुनियादी समस्याओं के लिए परेशान हैं और बाढ़ की वजह से अन्य स्थानों पर पलायन कर रहे हैं।यमुना नदी में आई बाढ़ से तटीय यमुना बाजारके निवासियों की जीवन शैली पूरी तरह से बदल गई है। इलाके में रहने वाले लोगों की संख्या हजारों में है, लेकिन खाना महज कुछ सौ लोगों को ही मिल पा रहा है। यमुना बाजार में पूरी तरह से पानी भरने की वजह से क्षेत्र के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि क्षेत्र के रहने वाले लोगों को अपने बच्चों और परिवार की महिलाओं के भोजन और अन्य सुविधाओं के लिए खासी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। कुल मिलकर त्रस्त जनता ही हो रही है ! शीला दीक्षित हैं की दिल्ली  को समस्याओ से पूरा मुक्त मानती हैं ! यदि  गलती से कोई दिल्ली की समस्याओं का नाम भी ले दे तो शायद उनका पारा सातवें आसमान पर चला जाता है !
                 लोगो की समस्याओं से अपना ध्यान हटाने वाले नेताओ को ये समझ लेना चाहिए की जिस गद्दी पर वो बैठे है वो उन्हें उसी जनता ने दी है जिसको आज वो नज़रअंदाज कर रहे हैं! यदि इसी जनता ने इन्हें नज़रंदाज़ करना शुरू किया तो शायद इनके लिए अपनी राजनीति भी करना मुश्किल होगा !

Wednesday, September 8, 2010

राहु का प्रभाव और उपाय

प्रथम भाव में राहु

प्रथम भाव में राहु सिंहासन पर बिराजमान राजा के समक्ष चिंघाड़ते हुए हाथी की तरह है। यह एक कुशल प्रशासक है। ४२ वर्ष बाद राहु का अनिष्ट प्रभाव दूर होता है।

अनिष्ट  प्रभाव और कारण

१. जातक को अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा संबध हो।
२. दुश्मन उनसे डरते हैं।
३. वे अपना कार्य अच्छी तरह पूरा नहीं कर सकते, बारंबार नौकरी बदला करते हैं।
४. यदि सातवें भाव में शुक्र हो तो जातक के धनवान होने की संभावना है, परंतु उसकी पत्नी को सहन करना पड़ता है।

उपाय

१. गेहूँ, गुड़ और ताम्रपात्र का दान करना, तांबे के पात्र में गेहूँ तथा गुड़ भर कर रविवार बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
२. ब्लू रंग के कपड़े न पहनें ।
३. गले में चाँदी की सिकड़ी पहनें ।
४. बहते जल में नारियल प्रवाहित करें।

दूसरे भाव में राहु

यह राहु धन और परिवार के लिए प्रतिकूल है। किसी शस्त्र द्वारा व्यक्ति की मृत्यु होती है।

अनिष्ट प्रभाव और कारण

१. धार्मिक संस्थाओं की तरफ से मिलनेवाली वस्तुओं पर उसका जीवन नीर्वाह होता है।
२. उसका पारिवारिक जीवन सुखी होता है। उसकी आर्थिक परिस्थिति का आधार कुंडली में गुरु के बैठने के स्थान पर आधारित है कि वह किस स्थान पर बैठा है।
३. वार्षिक कुंडली में यदि शनि प्रथम भाव में हो और गुरु अनुकूल हो तो सबकुछ सरलता से चलता है। परंतु शनि यदि नीच का हो तो उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।

उपाय

१. चाँदी का एक छोटा सा ठोस गोला पास में रखें।
२. ससुराल से विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।
३. माता के साथ अच्छा सम्बंध रखने से लाभ होगा।
४. सोने का ठोस गोला पास में रखें अथवा चाँदी की डिबिया में केसर रखने से लाभदायक रहेगा।

तीसरे भाव में राहु

जातक समाज में अच्छा मान- सम्मानवाला होगा। बहुत जल्दी उसकी बराबरी में कोई खड़ा रहनेवाला नहीं होगा। वह स्वयं अच्छा होगा, परंतु अपने बाइयों के लिए बहुत लाभदायक साबित नहीं होता। उसके स्वप्न साकार होते हैं और जोरदार दूरदर्शिता रखता है। तलवार से भी अधिक उसकी कलम धारदार होती है। वह दीर्धजीवी और धनवान होता है।

अनिष्ट प्रभाव और कारण

१. बाईस वर्ष की आयु में उसका भाग्योदय होता है। उसके बालक सुखी और समृद्ध होते हैं।
२. जातक एक प्रबल लेखक होने की क्षमता रखता है।
३. चंद्र यदि नीच का हो तो जातक के लिए कष्टदायक परिस्थिति निर्मित होती है।
४. शुक्र यदि शुभ स्थान में बैठा हो तो ससुराल पक्ष में धन संपत्ति में वृद्धि होती हुई देखी जा सकती है।

उपाय

१. शरीर पर चाँदी का कोई आभूषण पहनने की सलाह है।
२. ४०० ग्राम हरा धनिया बहते जल में प्रवाहित करें।
३. ४०० ग्राम बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।

चौथे भाव में राहु

यह स्थान चंद्र का है, जो राहु का दुश्मन है। इस भाव में यदि राहु शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, श्रीमंत तथा शुभ कार्यों के पीछे धन खर्च करेगा। तीर्थयात्रा उसके लिए लाभदायक साबित होगी। यदि गुरु भी शुभ हो तो विवाह के बाद जातक का ससुराल पक्ष धनवान बनता है। यदि चंद्र उच्च का हो तो जातक अत्यंत समृद्धशाली बनता है और उसे पारा के साथ जुड़े किसी काम या व्यवसाय से लाभ होता है। यदि राहु अशुभ हो और चंद्र भी कमजोर हो तो पैसे के मामले में सहना पड़ता है। कोयला इकट्ठा करना, शौचालय मरम्मतकार्य, घर पर छप्पर बदलना और चून्हे बनाने जैसे कार्य उसके लिए अशुभ रहते हैं।

उपाय

१. चाँदी के आभूषण पहनें।
२. बहते जल में ४०० ग्राम हरा धनिया या बादाम अथवा दोनों जल में प्रवाहित करें।

पाँचवे भाव में राहु

पाँचवाँ स्थान सूर्य का है और वह पुत्र संतान का सूचक है। यदि राहु शुभ हो तो जातक श्रीमंत, बुद्धिमान और तंदुरुस्त होता है। उसकी आय बहुत अच्छी होगी और प्रगति भी अच्छी करता है। ऐसे जातक चिंतक या दार्शनिक होते हैं। यदि राहु अशुभ हो तो स्त्री को गर्भवती होने की संभावना रहती है। पुत्र जन्म के पश्चात बारह वर्ष तक पत्नी की तबीयत खराब रहती है। यदि गुरु भी पाँचवाँ भाव हो तो जातक का पिता कठिनाई में पड़ता है।

उपाय

१. चाँदी की हाथी साथ में रखें।
२. शराब, मांसाहार और व्यभिचार से दूर रहें।
३. पत्नी के साथ पुनः विवाह करें।

छठा भाव में राहु

इस भाव में बुध अथवा केतु का प्रभाव पड़ता है। यहाँ राहु उच्च का बनता है और बहुत अच्छा परिणाम देता है। जातक कपड़ों के पीछे अधिक पैसे खर्च करता है। वह बुद्धिमान होते हैं और प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त करता है। राहु यदि अशुभ हो तो जातक के भाई या मित्रों केलिए हानिकारक साबित होता है। बुध या मंगल जब बारहवें भाव में होता है तब राहु खराब फल देता है। जातक विविध बीमारियों से पीड़ित होता है और धन का व्यय होता है। किसी काम के लिए बाहर निकलते समय छींक आना अच्छे शकुन नहीं है।

उपाय

१. काला कुत्ता साथ में रखें।
२. जेब में शीशे की कील रखें।
३. किसी के भाई- बहन को नुकसान न पहुँचाएँ।

सातवें भाव में राहु

जातक धनवान होगा, परंतु पत्नी की तबीयत अच्छी नहीं रहेगी। अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करेगा। २१ वर्ष पहले यदि विवाह होगा तो अशुभ साबित होता है। जातक का सरकार के साथ अच्छे सम्बंध होने की संभावना है। परंतु यदि वह इलेक्ट्रीक उपकरण जैसे राहु के साथ जुड़े बिजनेस में पड़ेगा। तो नुकसान होगा। जातक को सिर दर्द रहेगा और यदि बुध, शुक्र अथवा केतु ११ वें भाव में हों तो बहन, पत्नी अतवा पुत्र द्वारा उस जातक का नाश होता है।

उपाय

१. २१ वर्ष से पहले विवाह न करें।
२. नदी में छः नारियल प्रवाहित करें।

आठवाँ भाव में राह

आठवाँ भाव शनि और मंगल के साथ जुड़ा है, इसलिए इस भाव में राहु अशुभ फल देता है। जातक कोर्ट के केसों के पीछे विपुल पैसा खर्च करता है। पारिवारिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि कुंडली में मंगल शुभ हो और पहले या आठवे भाव में बैठा हो अथवा शनि आठवें भाव में बैठा हो तो जातक के अत्यंत समृद्धशाली होने की संभावना है।

उपाय

१. चाँदी का एक चौरस टुकड़ा साथ रखें।
२. सोते समय तकिया के नीचे सौंफ रखें।
३. विद्युत विभाग में काम न करें।

नौवें भाव में राहु

नौवें भाव पर गुरु का प्रभाव है। यदि जातक का उसके संतानों के साथ अच्छा सम्बंध हो तो वह फलदायक है, अन्यथा वह जातक पर विपरीत प्रभाव डालता है। यदि जातक धार्मिक विचार न रखता हो तो उसके बच्चे उसके लिए निरर्थक साबित होंगे। यदि गुरु पाँचवें या ग्यारहवें भाव में हो तो वह निरर्थक है। नौवें भाव में राहु अशुभ हो तो पुत्र संतान कम होता है। विशेष रूप से जातक रक्त सम्बंध रखनेवाले किसी व्यक्ति के विरुद्ध अदालत में मुकदमा करता है। नौवे भाव में राहु हो और प्रथम भाव में कोई भी ग्रह न हो तो स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता । उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिक होती है और मानसिक समस्याएँ भी संभव बनती है।

उपाय

१. नित्य केसर का तिलक करें।
२. सोने का आभूषण पहनें।
३. कुत्ते को हमेशा साथ में रखें।
४. ससुराल के साथ अच्छे सम्बंध रखना।

दसवें भाव में राहु

राहु के अच्छे या बुरे फल का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि शनि कहाँ बैठा है। यदि शनि शुभ हो तो जातक साहसी, दीर्धायु और श्रीमंत होगा और सभी क्षेत्रों में उसे मान- सम्मान प्राप्त होगा। दसवें भाव का राहु यदि चंद्र के साथ हो तो वह राजयोग करता है। यह जातक अपने पिता के लिए भाग्यशाली होता है। दसवें भाव में स्थित राहु अशुभ हो तो वह जातक की माता के लिए प्रतिकूल साबित होता है। चौथे भाव में चंद्र अकेला हो तो जातक की आँख के लिए नुकसानदायक होता है। उसे सिरदर्द अथवा संपत्ति का नुकसान होने की संभावना है।

उपाय

१. नीले अथवा काले रंग की टोपी पहनें ।
२. सिर खुला न रखें।
३. मंदिर में ४ कि.ग्रा अथवा ४०० ग्राम मिश्री चढ़ाएँ अथवा नदी में प्रवाहित करें।
४. अंधजनों को भोजन कराएँ।

ग्यारहवें भाव में राहु

इस भाव पर गुरु और शनि दोनों का प्रभाव है। जबतक जातक का पिता जीवित होगा तबतक वह धनवान रहता है। पैसे से सुखी रहता है। जातक के मित्र दुष्ट होंगे। उनकी आय के स्रोत हल्की जाति के लोगों तक होगा। पिता की मृत्यु के पश्चात जातक को गले में सोने का कोई आभूषण पहनना चाहिए। जातक की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में अशुभ मंगल यदि राहु के साथ हो तो जातक का पिता के साथ अच्छा सम्बंध नहीं होगा। अथवा ऐसा भी हो सकता है कि जातक के हाथ से पिता की हत्या हो। दूसरे भाव में रहा ग्रह शत्रु के रूप में काम करेगा। यदि गुरु या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हो तो शरीर पर लोहे की कोई वस्तु धारण करें और चाँद के ग्लास में पानी पीएँ। यदि पाँचवें भाव में केतु हो तो वह खराब फल देगा। जातक को कान, रीढ़ और किडनी सम्बंधी समस्याएँ पैदा होंगी। बिजनेस में हानि होने की भी संभावना है।

उपाय

१. शरीर पर लोहे की कोई वस्तु पहनें चाँदी के गिलास में पानी पीएँ।
२. भेंट के रूप में विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।
३. अपने पास नीलम, हाथीदाँत अथवा हाथी के आकार का कोई खिलौना नहीं रखना चाहिए।

बारहवें भाव में राहु

बारहवें भाव पर गुरु का आधिपत्य है। वह शयनखंड सूचित करता है। इस स्थान में राहु होने से मानसिक तकलीफ देता है। इसके अतिरिक्त अनिद्रा की समस्या पैदा होती है। बहन और पुत्रियों के पीछे विपुल धन खर्च होगा। यदि इस भाव में राहु शत्रु ग्रह से घिरा हो तो तनतोड़ परिश्रम करने पर भी जातक को दोनों किनारे मिलाने में कठिनाई पड़े। इस हद तक वह आर्थिक तंगी वह अनुभव करता है। जातक पर गलत आरोप लगाए जाते हैं। मानसिक यातनाएँ असह्य बन जाने पर जातक आत्महत्या करने पर भी उतारन हो सकता है। वह झूठ बोलता है और दूसरों को ठगता है। यदि कोई नया कार्य शुरू करने जा रहे हों और यदि कोई छींके तो अशुभ फल देता है। चोरी अनेक रोग अथवा गलत आक्षेपों का शिकार बनता है। बारहवें स्थान में राहु के साथ यदि मंगल हो तो वह शुभ परिणाम देता है।

उपाय

१. रसोई घर में ही बैठकर भोजन करें।
२. शांतिपूर्वक नींद आने के लिए तकिये के नीचे सौंफ और मिश्री रखें।