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Sunday, June 27, 2010

EDITORS POST (LIVE DELHI ALERT) 21/6/2010

एक और चोट दिल्ली में रहने वाले आम आदमी पर. अब मार पड़ी CNG को लेकर . सीधा २५ प्रतिशत की वृद्धि . आखिर सरकार चाहती क्या है समझ से परे है . जिस तरह का हाहाकार देश में मचा है शायद हमारे हुक्मरान उस पर ध्यान नहीं देना चाहते . पहले बजट में पेट्रोल और डीजल के दाम बड़ा दिए गए उसके बाद डीजल पर वेट लगा कर उसे और महंगा किया उसके बाद रसोई गैस के दाम मे बढोतरी फिर लगा CNG का नंबर .अभी सांस भी नहीं आ पाई थी की रसोई गैस के दाम में फिर से २५ रूपये की वृद्धि और उसके बाद फिर से पेट्रोल और डीजल के दाम बदने की तेयारी शुरू हो गयी. सबकी साँसे फूली हुई है की अब अगला कदम इस सरकार का क्या होगा . एक ओर तो सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने का दावा कर रही हैं और वहीं दूसरी ओर पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दाम बढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है। ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी होने से महंगाई और ज्यादा बढ़ेगी क्योंकि की वस्तुओं के परिवहन खर्च में बढ़ोतरी हो जाएगी। अब शायद सब मजबूर है चुनकर भेजा है तो झेलना ही पड़ेगा . शायद कांग्रेस पार्टी को अब ये लगने लगा है की वो जो भी कदम उठाएंगे कोई उसका विरोध नहीं करेगा . एक निरंकुश शासन की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है . जहां जब क़ानून व्यवस्था की बात हो तो सूबे की मुख्यमंत्री का बयान आता है की महिलाए रात के समय घर से बाहर ही न निकले . बिजली की दरे बढाने के पीछे तर्क दिया जाता है की अब दिल्ली वालो की कमाई बढ गयी है सो दाम बढाये जा सकते है.जबकी दिल्ली में बिजली की कीमतों का निर्धारण दिल्ली सरकार का मामला ही नहीं है. यह काम है DERC का जो की दिल्ली सरकार के आधीन नहीं है.तो फिर क्या बात है कि शीला दीक्षित बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिये इतनी मेहनत कर रही हैं वोह तो भगवान् भला करे रेगुलारिटी बोर्ड का जिसने निजी बिजली कंपनियों की पोल खोल के रख दी पिछले साल दिल्ली की दो निजी बिजली कंपनियों ने कितना मुनाफा कमाया? पहली ने करीब 450 करोड़ रुपये, और दूसरे ने करीब 468 करोड़ रुपये. सो शीला सरकार को कदम वापिस खीचना पड़ा
राष्ट्रकुल खेलो के नाम पर दिल्ली के रहने वालो का जो हाल बनाया जा रहा है शायद उसकी मिसाल दूसरी न बने . अभी हाल ही में सरकार ने प्रस्ताव रखा की विदेशी खिलाडियों को रेडियशन से बचने के लिए एक महीने के लिए मोबाइल टावरो को सील कर दिया जाए. वाह भाई शीला जी कमाल का फैसला है आपका . इतने सालो से दिल्ली में रह रहे लोगो की सेहत का ख़याल आपको कभी नहीं आया . और जरा ये तो बताने का कष्ट करे की जो खिलाडी यहाँ आ रहे है उनके देश मे मोबाइल फ़ोन नहीं होते क्या ? और अपने पिछले कार्यकालों मे शीला जी ने दिल्ली वालो की सेहत या उन्हें प्रदुषण से बचाने के लिए कितने ठोस कदम उठाये ? शायद नहीं दिल्ली वालो की सेहत दिल्ली वाले अपने आप संभाले ये कोई सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. दिल्ली के बाज़ार एक महीने के लिए इसलिए बंद करने का विचार है क्योकि बाहर के लोग यहाँ की भीड़ न देखे . पर एक महीने तक जो दिहाड़ी मजदूर खाली होगा या इन बाजारों मे काम करने वाले खाली रहेंगे उसका क्या . लेकिन सरकार के पास इन बेकार बातो का कोई जवाब नहीं है . हमें तो बस विदेशी मेहमानों को खुश करना है . चाहे दिल्ली मे अपने लोग भूख से बेहाल हो या रोज किसी के हाथ लुट जाए . जब से दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियां शुरू हुई है, तब से यहां रहने वालौं लोगों पर महंगाई का पहाड टूट पडा है। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट में महंगाई का जो चाबुक चलाया था, पीठ पर उसके जख्म अभी भर नहीं पाए थे कि दिल्ली सरकार ने उन्हें और गहरे तक कुरेद दिया।दाम बढ़ाने के मुद्दे पर शीला दीक्षित का कहना है की जब सुविधाए मिलती है तो टैक्स तो लगेगा ही.
महंगाई आम जनता के लिए परेशानी का सबब होती है, देश पर राज करने वाले उद्योगपतियों व उनके राज में सरकार चलाने वाले लोगों को इससे कोई फर्क नहींपड़ता। अगर पड़ता होता तो अब तक बयानबाजियों से ऊपर उठकर महंगाई को रोकने के वास्तविक उपाय किए जाते। महंगाई किस प्रकार दूर होगी, शायद ये विचार किसी के पास नहीं है अगर सरकार की यह हालत है तो विपक्ष भी इससे अलग नहींहै। उसे महंगाई के नाम पर केवल हंगामा मचाना आता है, सत्ता की कुर्सी थोड़ी हिले और उसे पैर जमाने के लिए जरा जगह और मिल जाए, बस इतना ही मकसद नजर आता है। महंगाई क्यों बढ़ रही है, इसका जवाब कहीं से भी नहीं मिल रहा है। यदि सरकार को महंगाई रोकनी है तो सट्टेबाजी, एकाधिकार, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बढ़ते नियंत्रण के विरुद्ध भी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक सक्रिय होना पड़ेगा और सशक्त कदम उठाने होंगे।

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