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Wednesday, June 30, 2010

धन भाव बताता है आर्थिक योग


द्वितीय भाव धन व आर्थिक स्थिति को बताता है। इससे परिवार सुख व पैतृक संपत्ति की भी सूचना मिलती है। द्वितीय भाव में जो राशि होती है, उसका स्वामी द्वितीयेश कहलाता है। इसे धनेश भी कहते हैं।

1. धनेश लग्न में होने से परिवार से प्रेम रहता है, आर्थिक व्यवहार में पटुता हासिल होती है।

2. धनेश धन स्थान में हो तो परिवार का उत्कर्ष होता है व आर्थिक स्थिति हमेशा अच्‍छी रहती है।

3. धनेश तृतीय में हो तो भाई-बहनों की उन्नति व लेखन से आर्थिक लाभ का सूचक है।

4. धनेश चतुर्थ में हो तो माता-पिता से सतत सहयोग व लाभ मिलता है, चैन से जीवन बीतता है।

5. धनेश पंचम में हो तो कला से धनार्जन, संतान के लिए सतत खर्च करना पड़ता है।

6. धनेश षष्ठ में हो तो कमाया गया धन बीमारियों के लिए खर्च होता है, अतिविश्वास से धोखा होता है।

7. धनेश सप्तम में हो तो पत्नी/पति व घर के लिए ही सारा धन खर्च होता रहता है।

8. धनेश अष्टम में हो तो गलत तरीके से पैसा कमाने की वृत्ति रहती है व उससे आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं।

9. धनेश नवम में हो तो आर्थिक योग उत्तम, व्यवसाय के लिए दूर की यात्रा के योग आते हैं।

10. धनेश दशम में होने पर नौकरी से लाभ, पैतृक संपत्ति भरपूर मिलती है।

11. धनेश ग्यारहवें स्थान में होने पर मित्र-संबंधियों से सतत सहयोग व लाभ मिलता है।

12. धनेश व्यय में हो तो बीमारी, कोर्ट-कचहरी में धन व्यय होता है। दान-धर्म में भी खर्च होता है।

शनि, राहु और केतु : दोस्त या दुश्मन

शनि के अनुचर हैं राहु और केतु। शरीर में इनके स्थान नियु‍क्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मँडरा रहा है और यदि फेफड़ें, पेट और पैर में किसी भी प्रकार का विकार है तो आप केतु के शिकार हैं।

राहु और केतु की भूमिका एक पुलिस अधिकारी की तरह है जो न्यायाधीश शनि के आदेश पर कार्य करते हैं। ‍शनि का रंग नीला, राहु का काला और केतु का सफेद माना जाता है। शनि के देवता भैरवजी हैं, राहु की सरस्वतीजी और केतु के देवता भगवान गणेशजी है।

शनि का पशु भैंसा, राहु का हाथी और काँटेदार जंगली चूहा तथा केतु का कुत्ता, गधा, सुअर और छिपकली है। शनि का वृक्ष कीकर, आँक व खजूर का वृक्ष, राहु का नारियल का पेड़ व कुत्ता घास और केतु का इमली का दरख्त, तिल के पौधे व केला है। शनि शरीर के दृष्टि, बाल, भवें, हड्डी और कनपटी वाले हिस्से पर, राहु सिर और ठोड़ी पर और केतु कान, रीढ़, घुटने, लिंग और जोड़ पर प्रभाव डालता है।

राहु की मार : यदि व्यक्ति अपने शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की गंदगी पाले रखता है तो उसके ऊपर काली छाया मंडराने लगती है अर्थात राहु के फेर में व्यक्ति के साथ अचानक होने वाली घटनाएँ बढ़ जाती है। घटना-दुर्घटनाएँ, होनी-अनहोनी और कल्पना-विचार की जगह भय और कुविचार जगह बना लेते हैं।

राहु के फेर में आया व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। राहु ऐसे व्यक्ति की तरक्की रोक देता है। राहु का खराब होना अर्थात् दिमाग की खराबियाँ होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। राहु के खराब होने से गुरु भी साथ छोड़ देता है।



राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छे होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।

केतु की मार : जो व्यक्ति जुबान और दिल से गंदा है और रात होते ही जो रंग बदल देता है वह केतु का शिकार बन जाता है। यदि व्यक्ति किसी के साथ धोखा, फरेब, अत्याचार करता है तो केतु उसके पैरों से ऊपर चढ़ने लगता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन की सारी गतिविधियाँ रुकने लगती है। नौकरी, धंधा, खाना और पीना सभी बंद होने लगता है। ऐसा व्यक्ति सड़क पर या जेल में सोता है घर पर नहीं। उसकी रात की नींद हराम रहती है, लेकिन दिन में सोकर वह सभी जीवन समर्थक कार्यों से दूर होता जाता है।

केतु के खराब होने से व्यक्ति पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह से ग्रस्त रहता है। केतु के अच्छा होने से व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख उठाता है और रात की नींद चैन से सोता है।

शनि की मार : पराई स्त्री के साथ रहना, शराब पीना, माँस खाना, झूठ बोलना, धर्म की बुराई करना या मजाक उड़ाना, पिता व पूर्वजों का अपमान करना और ब्याज का धंधा करना प्रमुख रूप से यह सात कार्य शनि को पसंद नहीं। उक्त में से जो व्यक्ति कोई-सा भी कार्य करता है शनि उसके कार्यकाल में उसके जीवन से शांति, सुख और समृद्धि छिन लेता है। व्यक्ति बुराइयों के रास्ते पर चलकर खुद बर्बाद हो जाता है। शनि उस सर्प की तरह है जिसके काटने पर व्यक्ति की मृत्यु तय है।

शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दाँत और आँख की कमजोरी।

शनि की स्थिति यदि शुभ है तो व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति करता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। बाल और नाखून मजबूत होते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रीय होता है और समाज में मान-सम्मान खूब रहता हैं।

बचाव का तरीका : शनि के उपाय- सर्वप्रथम भैरवजी के मंदिर जाकर उनसे अपने पापों की क्षमा माँगे। जुआ, सट्टा, शराब, वैश्या से संपर्क, धर्म की बुराई, पिता-पूर्वजों का अपमान और ब्याज आदि कार्यों से दूर रहें। शरीर के सभी छिद्रों को प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें। दाँत, बाल और नाखूनों की सफाई रखें।

कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ। छायादान करें, अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसो का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में रख आएँ। अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। रात को सिरहाने पानी रखें और उसे सुबह कीकर, आँक या खजूर के वृक्ष पर चढ़ा आएँ।

राहु के उपाय- सिर पर चोटी रख सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर। भोजन भोजनकक्ष में ही करें। ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें। रात को सिरहाने मूली रखें और उसे सुबह किसी मंदिर में दान कर दें।

केतु के उपाय- संतानें केतु हैं। इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें। भगवान गणेश की आराधना करें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएँ। कान छिदवाएँ। कुत्ता भी पाल सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर।

कुत्ते के द्वारा शुभाशुभ शकुन विचारने का नियम

कुत्ता आज के जमाने में प्रत्येक घर में मिल जाता है,और सभी को पता है कि कुत्ता की अतीन्द्रिय जागृत होती है,किसी भी होनी अनहोनी को वह जानता है,अद्र्श्य आत्मा को देखने और किसी भी बदलाव को सूंघ कर जान लेने की क्षमता कुत्ते के अन्दर होती है,कुत्ते को दरवेश का दर्जा दिया गया है,समय असमय को बताने में कुत्ता अपनी भाषा में इन्सान को बताने की कोशिश करता है,और जो कुत्ते की भाषा को समझते है,वे अनहोनियों से बचे रहते है,और जो मूर्ख होते है,और अपने को जबरदस्ती हानि की तरफ़ ले जाना चाहते है वे उसकी भाषा को बकवास कह कर टाल देते है,कुत्ता अगर यात्रा के शुरु करते ही किसी कचडे पर पेशाब करता है,तो जान लीजिये कि यात्रा या शुरु किया जाने वाला कार्य सफ़ल है,यदि किसी सूखी लकडी पर पेशाब करता है,तो भौतिक धन की प्राप्ति होती है,अगर कुत्ता कांटेदार झाड पर,पत्थर या राख पर पेशाब करने के बाद काम शुरु करने वाले के आगे चल दे तो वह कार्य खराब हो जाता है,यदि कुत्ता किसी कपडे को लाकर सामने खडा हो तो समझना चाहिये कि कार्य सफ़ल है,यदि कुत्ता कार्य शुरु करने वाले के पैर चाटे,कान फ़डफ़डाये,अथवा काटने को दौडे तो समझना चाहिये कि सामने काफ़ी बाधायें आ रही है,यदि कुत्ता यात्रा के समय या काम शुरु करने के समय अपने शरीर को खुजलाना चालू कर दे तो जान लेना चाहिये के वह कार्य करने अथवा यात्रा पर जाने से मना कर रहा है,यदि कुत्ता किसी कार्य को शुरु करते वक्त या यात्रा पर जाते वक्त चारों पैर ऊपर की तरफ़ करके सोये तो भी कार्य या यात्रा नही करनी चाहिये,यदि गली मोहल्ले के आवारा कुत्ते किसी भी समय ऊपर की तरफ़ मुंह करके रोना चालू करें तो समझना चाहिये कि उस गली या मोहल्ले के प्रमुख व्यक्ति पर कोई मुशीबत आने वाली है,यात्रा करने के साथ या काम करने के साथ कुत्ते आपस में लड पडें तो भी काम या यात्रा में विघ्न पैदा होता है,कुत्ते के कान फ़डफ़डाने का समय सभी कामों के लिये त्यागने में ही भलाई होती है,कुत्ता अगर बैचैन होकर इधर उधर भागना चालू करे,तो समझना चाहिये कि कोई आकस्मिक मुशीबत आ रही है,किसी बात को सोचने के पहले या धन खर्च करते वक्त अगर कुत्ता अपनी पूंछ को पकडने की कोशिश करता है,तो मान लेना चाहिये कि आपने अपने भविष्य के लिये नही सोचा है,और खर्च करने के बाद पछताना पडेगा,कुत्ता अगर सुबह के समय लान या बगीचे में घास खा रहा हो तो समझ लेना चाहिये कि घर के अन्दर जो खाना बना है,उसमे किसी प्रकार इन्फ़ेक्सन है,कुत्ता अगर जूता लेकर भाग रहा हो तो समझना चाहिये कि वह बाहर जाने से रोक रहा है,लडकी के अपने ससुराल जाने के वक्त अगर कुत्ता रोना चालू कर दे,तो समझना चाहिये कि लडकी को ससुराल से वापस आने में संदेह है,कुत्ता अगर मालिक के पैर के पास जाकर सोना चालू कर दे तो समझना चाहिये कि घर में किसी सदस्य के आने का संकेत है,कुत्ता अगर अपने खुद के पैर चाटना चालू करे तो यात्राओं की शुरुआत समझनी चाहिये,कुत्ता अगर एकान्त में बैठना चालू कर दे,और बुलाने से आने में आनाकानी करे तो समझना चाहिये कि घर मे किसी सदस्य के लम्बी बीमारी में जाने का संकेत है,कुत्ता अगर पूंछ नीचे डालकर मुख्य दरवाजे के पास कुछ खोजने का प्रयत्न कर रहा हो तो समझना चाहिये कि कोई कर्जा मांगने वाला आ रहा है,कुत्ता अगर भोजन करते वक्त बार बार बाहर और अन्दर भाग रहा हो तो समझना चाहिये कि भोजन और कोई करने आने वाला है.

Tuesday, June 29, 2010

काल सर्प दोष और निवारण


कालसर्प के बारे में बहुत सी भ्रांतियां सुनने को मिलती हैं.कालसर्प योग के बारे में पूरी तरह जानने के लिए इसका विस्तृत अध्ययन बहुत जरुरी है .कालसर्प के बारे में कुछ विद्वानों का मत है कि यह दोष अशुभ फलदायी होता है, जबकि कुछ विद्वान इस दोष को शास्त्र-सम्मत नहीं मानते.क्योंकि संसार के अनेक विद्वान, प्रतिष्ठित एवं राजनेताओं की जन्म कुंडली में यह दोष मौजूद है. उन्होंने इस दोष के होते हुए भी जीवन में कभी अभाव का अनुभव नहीं किया, बल्कि अपने-अपने कार्य क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के दम पर सफलता और यश अर्जित किया.इसलिए मात्रा कालसर्प योग सुनकर भयभीत हो जाने की जरूरत नहीं बल्कि उसका ज्योतिषीय विश्लेषण करवाकर उसके प्रभावों की विस्तृत जानकारी हासिल कर लेना ही बुध्दिमत्ता कही जायेगी. जब असली कारण ज्योतिषीय विश्लेषण से स्पष्ट हो जाये तो तत्काल उसका उपाय करना चाहिए.

प्रत्येक मनुष्य कोई न कोई परेशानी से गुजरता है . कालसर्प दोष एक ऐसा नाम है जिससे आज का आम व्यक्ति अच्छी तरह से परिचित है. कुछ लोगों का तो ये हाल है कि जन्म कुंडली देखते ही चौंक पडते है और कह उठते है की तुम्हारी कुंडली में तो कालसर्प-दोष है क्या तुमने इसका कोई उपाय किया या नहीं. अगर सामने वाला व्यक्ति ये कहें कि मुझे तो इसके बारे में कुछ भी नहीं मालुम, मुझे आज तक किसी ने कुछ नहीं बताया या फिर मुझे मालुम तो था किन्तु मैने अभी तक कोई उपाय नहीं किया हैं। इतना सुनते ही कालसर्प-दोष को बताने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति को कालसर्प-दोष के बारे में पूरा भाषण दे डालता है और फिर अनेको उपाय बताने लगता है.

कालसर्प दोष निवारण हेतु कुछ साधारण से उपाय भी हैं जिनसे इस दोष का निवारण किया जा सकता है. यदि पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका में क्लेश हो रहा हो, आपसी प्रेम की कमी हो रही हो तो भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या बालकृष्ण की ‍मूर्ति जिसके सिर पर मोरपंखी मुकुट धारण हो घर में स्थापित करें एवं प्रति‍दिन उनका पूजन करें एवं ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय अथवा ऊँ नमो वासुदेवाय कृष्णाय या ॐ नम: शिवाय का यथाशक्ति जाप करे. कालसर्प योग की शांति होगी। यदि कुंडली में कालसर्प दोष है तो नित्य प्रति भगवान शिव के परिवार का पूजन करें. आपके हर काम होते चले जाएँगे.यदि रोजगार में तकलीफ आ रही है अथवा रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा है तो पलाश के फूल गोमूत्र में डूबाकर उसको बारीक करें. फिर छाँव में रखकर सुखाएँ. उसका चूर्ण बनाकर चंदन के पावडर में मिलाकर शिवलिंग पर त्रिपुण्ड बनाए.21 दिन या 25 दिन में नौकरी अवश्य मिलेग‍ी. शिवलिंग पर प्रतिदिन मीठा दूध में थोड़ी भाँग डाल दें, फिर इसे शिवलिंग पर चढ़ाएँ इससे गुस्सा शांत होता है, साथ ही सफलता तेजी से मिलने लगती है.यदि शत्रु से भय है तो चाँदी के अथवा ताँबे के सर्प बनाकर उनकी आँखों में सुरमा लगा दें, फिर किसी भी शिवलिंग पर चढ़ा दें, भय दूर होगा व शत्रु का नाश होगा, नारियल के गोले में सप्त धान्य(सात प्रकार का अनाज), गुड़, उड़द की दाल एवं सरसों भर लें व बहते पानी में बहा दें अथवा गंदे पानी में (नाले में) बहा दें, आपका चिड़चिड़ापन दूर होगा। यह प्रयोग राहूकाल में करें. कालसर्प योग वाले श्रावण मास में प्रतिदिन रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज करें. जीवन में सुख शांति अवश्य आएगी और रूके काम होने लगेंगे.साथ ही साथ शुभ मुहूर्त में बहते पानी में कच्चा कोयला तीन बार प्रवाहित करें.हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें तथा भोजनालय (घर की रसोई )में बैठकर भोजन करें.साथ ही तांबे का बना सर्प विधिवत पूजन के उपरांत शिवलिंग पर समर्पित करें. इससे अनुकूल प्रभाव पड़ेगा और कालसर्प दोष का निवारण होगा.

Monday, June 28, 2010

बढ़ाएं अपना व्यवसाय ज्योतिष उपाय

व्यवसाय में उन्नति के लिए यहां कुछ विशिष्ट उपायों का विवरण दिया जा रहा है, जो अलग-अलग राशियों से संबंधित हैं। लोग अपने व्यापार वृद्धिकरण उपाय नवरात्र जैसे शुभ पर्व पर करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जो किसी कारण नवरात्र पर न कर पाएं वे रामनवमी, हनुमान जयंती व अक्षय तृतीया पर उपाय कर लाभान्वित हो सकते हैं।
मेष- प्रथम नवरात्र को व्यवसाय स्थल पर कांच या मिट्टी के पात्र में जल भरकर रखें। लोहे, स्टील या अन्य धातु, वॉटर कूलर, जग में पीने का पानी भरकर नहीं रखना चाहिए। मीठा खाकर जल पीकर प्रस्थान करना शुभकारी है। कांच के बर्तन में थोड़ा पानी डालकर पांच सफेद फूल रखें। पानी बदलते रहें।
वृष- कार्यस्थल पर चमकीले एवं हल्के रंगों का प्रयोग कर साज-सज्जा करें। कार्यस्थल पर नवरात्र के किसी भी दिन एक दर्पण ऐसी दीवार पर लगाना चाहिए जो कि बाहर से दिखाई न दे, परंतु प्रवेश करते ही उस दर्पण पर दृष्टि पड़े। दरवाजे के सामने के बजाए किसी कोने में बैठने का स्थान होना चाहिए।
मिथुन- नवरात्र के दूसरे दिन हरे पत्तों सहित फूल लाकर अपनी दुकान या संस्था के ऑफिस में रखें। कार्यालय में आवाज करने वाला कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण न रखें। उत्तर या पूर्व की दीवार पर डॉल्फिन या पेंडुलम घड़ी अवश्य लगाएं। नवरात्र में दुकान या संस्थान के बाहर पांच हरे पौधे लगाएं।
कर्क- किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल कांच के पात्र में भरकर नवरात्र के किसी भी दिन दुकान के पूजाघर में रखना चाहिए। कार्यसिद्धि यंत्र नवरात्र में अपने पूजा घर में रख प्रतिदिन दर्शन करें। पूर्णिमा को अपनी दुकान के प्रवेश द्वार के दोनों ओर कुछ गंगाजल अवश्य छिड़कें।
सिंह- दुकान में इस प्रकार बैठना चाहिए कि बाहर से व्यक्ति का मुंह दिखाई न पड़े। नवरात्र में अष्टमी के दिन मिट्टी का शेर मंदिर में चढ़ाना चाहिए। लोहे या किसी भी धातु के फर्नीचर का प्रयोग बहुत कम करना चाहिए। प्रवेश द्वार पर रोली से जय मां दुर्गे अंकित करें। दुकान में प्रतिदिन भोग लगाएं ।
कन्या- प्रथम नवरात्र को मां दुर्गा का चित्र अपने दुकान या संस्थान के मंदिर में लगाएं। व्यापार शुरू करने से पहले पूरे नवरात्र दुर्गा चालीसा का पाठ करें। लकड़ी का फर्नीचर प्रयोग में लाएं। दूसरे नवरात्र को व्यवसाय स्थल के सम्मुख गाय को हरा चारा या पालक खिलाएं। अष्टमी को कन्या भोज करा उनका आशीर्वाद लें और हलवा-पूड़ी दक्षिणा में दें।
तुला- संस्थान के मध्य भाग में बैठना चाहिए। सात श्रीफल लाल वस्त्र में बांधकर कार्यस्थल की अलमारी में अष्टमी को रख दें। उस अलमारी में अन्य सामान नहीं होना चाहिए। शुक्रवार के दिन से शुरू कर सुगंधित पुष्प लाकर पूजा घर में चढ़ाने चाहिए। मां दुर्गा के दर्शन कर फिर दुकान खोलें। दुकान में सजावट व स्वच्छता का बहुत ध्यान रखें।
वृश्चिक- नवरात्र के प्रथम दिन मुख्य द्वार के दोनों ओर सिंदूर से स्वस्तिक बनाएं। दुकान के मंदिर में प्रथम मंगलवार, शनिवार को लाल पुष्प चढ़ाएं। नवरात्र के पहले दिन कार्यस्थल पर आते समय किसी पूज्य व्यक्ति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेकर आएं। प्रत्येक मंगलवार गंगाजल लेकर दुकान के सभी कोनों में फूल द्वारा छिड़कें।
धनु- कोष स्थान पर सफेद चंदन की लकड़ी हल्के गुलाबी रंग के कपड़े में लपेटकर रखंे। तीसरे नवरात्र पर दुकान के मंदिर में गाय के दूध से बने घी में छोटी इलायची डालकर दीपक जलाएं। पीठ पीछे पूजा घर न बनाएं। मुख्य द्वार के सामने न बैठें। गुरुवार के दिन पीले फूल मंदिर में चढ़ाएं। गाय को रोटी-गुड़ खिलाएं। धनदा यंत्र व्यापार स्थल पर नवरात्र में स्थापित करें।
मकर- नवरात्र के शनिवार से शुरू करें। उस दिन दुकान पर आए हुए भिखारी को एक मुट्ठी काला तिल दें। घोड़े की नाल मुख्य द्वार पर शाम के समय पीपल वृक्ष को छुआकर लगाएं। व्यापार बहुत मंदा हो गया हो तो नवरात्र में पड़ने वाले शनिवार को मिट्टी के घड़े पर ढक्कन लगाकर, टेप से बंद कर दुकान में रख दें। बुधवार प्रात: काल उसे बहते जल में बगैर ढक्कन खोले प्रवाहित कर दें।
कुंभ- कार्यस्थल में इस प्रकार बैठें कि आगे का स्थान खुला हो। कोई कोना या बंद दरवाजा न हो। नवरात्र में पड़ने वाले शनिवार को मिट्टी के कुल्हड़ में मिट्टी का ढक्कन रखें। उस ढक्कन में 250 ग्राम काले तिल रखें तथा अगले दिन वह कुल्हड़ तिल सहित किसी को दान कर दें या पीपल पर रख आएं। सजावट में लाल व सफेद रंग का प्रयोग न करें। शनिवार को दुकान पर आए भिखारी को खाली हाथ न लौटाएं।
मीन- पहली नवरात्र को कार्यस्थल जाने से पूर्व पूज्य व्यक्ति के चरण स्पर्श व कार्यसिद्धि यंत्र के दर्शन कर घर से निकलना चाहिए। नवरात्र के गुरुवार को पीला फल लाकर कार्यस्थल के पूजाघर में रखें, दूसरे दिन उसे किसी भिखारी को दान दें। गुरुवार के दिन कार्यस्थल पर आए हुए साधु को दान अवश्य दें। सफेद चंदन को पीले वस्त्र में बांधकर नवरात्र की नवमी को दुकान की तिजोरी में रखें। बुधवार को पीला पपीता खिलाएं। पहली नवरात्र को सफेद कपड़े का झंडा बनाकर पीपल के वृक्ष पर लगाएं, फिर प्रतिदिन जल चढ़ाएं।

स्वाहा का उच्चारण क्यों?

किसी भी शुभ कार्य में हवन होते हमने देखा है कि अग्नि में आहूति देते वक्त स्वाहा का उच्चारण किया जाता है। यह स्वाहा ही क्यों कहा जाए आईए जानते हैं इस शब्द के बारे में।अर्थ: स्वाहा शब्द का अर्थ है सु+आ+हा सुरो यानि अच्छे लोगों को दिया गया। अग्नि का प्रज्जवलन कर उसमें औषधियुक्त (खाने योग्य घी मिश्रित) की आहूति देकर क्रम से देवताओं के नाम का उल्लेख कर उसके पीछे स्वाहा बोला जाता है। जैसे इंद्राय स्वाहा यानि इंद्र को प्राप्त हो इसी तरह समस्त हविष्य सामग्री अलग-अलग देवताओं की समर्पित की जाती है।

धार्मिक महत्व

श्रीमद्भागवत एवं शिवपुराण के अनुसार दक्ष प्रजापति की कई पुत्रियां थी। उनमें से पुत्री का विवाह उन्होंने अग्नि देवता के साथ किया था। उनका नाम था स्वाहा। अग्नि अपनी पत्नी स्वाहा द्वारा ही भोजन ग्रहण करते है। दक्ष ने अपनी एक अन्य पुत्री स्वाधा का विवाह पितरों के साथ किया था। अत: पितरों को आहूति देने के लिए स्वाहा के स्थान पर स्वाधा शब्द बोला जाता है।

जन्म-समय का आप पर प्रभाव


जन्म-समय सुबह 4 से 6 बजे
आपका सूर्य पहले घर में मौजूद है। यह आपको अच्छा स्वास्थ्य और आत्मविश्वास दे रहा है। आप किसी भी बात को लेकर दृढ़ संकल्पित रहते हैं और आपका भविष्य अच्छा है।
जन्म समय सुबह 6 से 8 बजेआपका सूर्य 12वें घर में है, यह आपकी जिंदगी में ऐसे रहस्यपूर्ण बदलाव लाएगा जिसकी व्याख्या करना मुश्किल है। सख्त दिनचर्या अपनाएं और अपने दिमाग को शांत बनाए रखें। आय के मुकाबले खर्च अधिक हो सकते हैं।

जन्म समय सुबह 8 से 10 बजेआपका सूर्य 11वें घर में है। इसके मायने हैं कि आपके ढेर सारे दोस्त होंगे, सामाजिक संबंध बनाने के लिए आपको पैसों की जरूरत होगी। ज्यादातर समय शुभचिंतकों और दोस्तों से हाल-चाल जानने में ही बीतेगा। आपको लगेगा कि आप जितने के हकदार हैं, उससे कहीं अधिक हासिल कर रहे हैं।
जन्म समय सुबह 10 से 12 बजेआपका सूर्य 10वें घर में मौजूद है। पश्चिमी और भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह सूर्य का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। आप अपने प्रोजेक्ट्स और प्लान्स को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे। आप सर्वश्रेष्ठ साबित होंगे। शक्ति का दुरुपयोग आपको परेशानी में डाल सकता है।
जन्म समय दोपहर 12 से 2 बजेआपका सूर्य 9वें घर में है। यह स्थिति आपके यात्रा से भरी जिंदगी जीने, दार्शनिक, धार्मिक, तेज दिमाग, परोपकारी स्वभाव और प्रसिद्ध होने की ओर संकेत करती है। 9वां घर अच्छे भविष्य का है और आप भाग्य को अपने ऊपर मुस्कुराता महसूस कर सकते हैं। आपका स्वभाव परोपकार और दयालुता से भरा है।
जन्म समय दोपहर 2 से शाम 4 बजेआपका सूर्य आठवें घर में है जो कि मुद्रा संबंधी मामलों जैसे ऋण, ट्रस्ट, सार्वजनिक फंड, बैंक आदि में खास दखल होने का संकेतक है। कई ज्योतिषी इसे सेक्स और दुर्घटनाओं से भी जोड़कर देखते हैं। कानूनी मसलों का सामना करना पड़ सकता है।

जन्म समय शाम 4 से 6 बजेआपका सूर्य सातवें घर में है, जिसे सामान्यत: साझेदारियों का घर कहा जाता है। शादी आपको दूसरे लोगों के मुकाबले अधिक प्रभावित करेगी। इसलिए इसे सफल बनाने का प्रयास करें, भले ही इसके लिए आपको कठिन मेहनत क्यों न करनी पड़े। ऐसे पेशे या व्यवसाय को चुनें जो आपको लोगों से सीधे संपर्क करने की आजादी देता हो। चूंकि सातवां घर आपके दुश्मनों का भी है, ऐसे में कानूनी दिक्कत आ सकती हैं।
जन्म समय शाम 6 से रात्रि 8 बजेआपका सूर्य छठवें घर में है, इसका मतलब यह है कि आपकी जिंदगी का बहुत कुछ साथियों और अधीनस्थों से आपको मिलने वाले सहयोग पर निर्भर करेगा। यह समाजसेवा की ओर भी संकेत करता है और आपको लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। अत्यधिक सतर्कता और परिश्रमी होने की आपकी आदत आपको लंबे समय तक कामयाबी और सम्मान दिलाएगी।
जन्म समय रात्रि 8 से 10 बजेआपका सूर्य पांचवें घर में मौजूद है जो आपको कलाकार वाली क्षमता और कौशल देगा। यह आपको जिंदगी के प्रति आशावादी नजरिया और मौके तलाशने की इच्छाशक्ति देगा। आपकी रुचि व्यवसाय में तब्दील हो सकती है। आप स्टेज और वास्तविक जिंदगी, दोनों में अभिनय करने वाले महान प्रेमी साबित हो सकते हैं, लेकिन इसके अतिरेक से बचें।
जन्म समय रात्रि 10 से 12 बजेआपका सूर्य चौथे घर में है जो घर और संपत्ति के लिहाज से बेहतरीन स्थान है। आप जमीन, रियल एस्टेट से लाभ अर्जित कर सकते हैं। आपके अभिभावक आपकी जिंदगी को बनाने या बिगाड़ने में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकते हैं।
जन्म समय रात्रि 12 से 2 बजेआपका सूर्य तीसरे घर में मौजूद है जो आपकी बौद्धिक क्षमता, यात्रा करने की चाहत और उच्च स्तर के रोमांच को दर्शाता है। आप पत्रकारिता या टीवी जर्नलिज्म से जुड़ सकते हैं। आपके भाई-बहन और पड़ोसी या तो आपको बना देंगे या बिगाड़ देंगे, लेकिन यह निश्चित है कि इनका आपके जीवन पर गहरा प्रभाव रहेगा। सूर्य की स्थिति आपको बेहतरीन सामाजिक जीवन देगी।
जन्म समय रात्रि 2 से तड़के 4 बजेआपका सूर्य दूसरे घर में है। यह वित्त और परिवार का घर है। इसका मतलब है कि आप पैसे बनाने में कामयाब होंगे, भले ही आप इसे संभाल न पाएं। भारतीय ज्योतिष में दूसरे घर को वाककला और भोजन का घर माना जाता है। आप एक महान वक्ता हो सकते हैं, आपके पास पैसा भी होगा।

गृह पीड़ा दूर करने का उपाय


सूर्य
सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रात:काल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
2? रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रात:काल उसे पीना चाहिए।
3? ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
4? लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
5? किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।6? हाथ में मोली (कलावा) छ: बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
7? लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
चन्द्रमा
व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
2? रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो।
3? ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
4? वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।
5? वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।
6? सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पूना चाहिए।
7? सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु सोमवार का दिन, चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
मंगल
1? लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
2? ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
3? बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
4? लाल वस्त्र लिकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
5? मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लिकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
6? बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
7? अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
बुध
1? अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
2? बुधवार के दिन हरे रंग की चूडिय़ाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।
3? हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
4? बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
5? घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
6? अपने घर में कंटीले पौधे, झाडिय़ाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
7? तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
गुरु
1? ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
2? सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
3? ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर नि:शुल्क सेवा करनी चाहिए।
4? किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
5? ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
6? गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
7? गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शुक्र
1? काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
2? शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
3? किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
4? किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
5? अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
6? किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
7? शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शनि
1? शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
2? शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।3? शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
4? भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
5? भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
6? किसी दु:खी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
7? घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
राहु
1? ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
2? हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
3? अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।4? जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
5? दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीम करना चाहिए।6? यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रात:काल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
7? झुठी कसम नही खानी चाहिए।
राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
केतु
1? भिखारी को दो रंग का कम्बल दान देना चाहिए।
2? नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।
3? बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए।
4? ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।
5? घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।
6? चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।
7? किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए।
केतु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा तथा मूल) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

स्वास्थ्य के लिये टोटके

स्वास्थ्य के लिये टोटके

1॰ सदा स्वस्थ बने रहने के लिये रात्रि को पानी किसी लोटे या गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिये रख दें। उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृत सम्बन्धी परेशानियां नहीं होती तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है।

2॰ हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें।

3॰ जिन लोगों को 1-2 बार दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपरोक्त प्रयोग संख्या 2 करें तथा निम्न प्रयोग भी करें :-एक पाचंमुखी रूद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार कर इसे किसी नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर दें।

4॰ किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे।

5॰ घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।

6॰ रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।

7॰ पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है।

8॰ रोग मुक्ति के लिए प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।

9॰ घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं।

10॰ पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें।

11॰ पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है।

12॰ मंदिर में गुप्त दान करें।

13॰ रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे।

14॰ सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं पैर से सिर की ओर जाती हैं, जो अधिक से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर लायेंगी, जिससे व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।

15॰ अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।

16॰ अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दिन एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति निश्चय ही दूर होती है।

17॰ किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया में सुखा लें। जिस कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से ´´ ॐ माधवाय नम:। ॐ अनंताय नम:। ॐ अच्युताय नम:।´´ मन्त्र की एक माला का जाप करें। कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा। दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य करें। इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा।

18॰ अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है। शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।

19॰ पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।

20॰ किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं। अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

21॰ किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, चुगावें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।

22॰ शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का टुकड़ा रखें। इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। फेंकने से पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें। ऐसा 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

23॰ सवा सेर (1॰25 सेर) गुलगुले बाजार से खरीदें। उनको रोगी पर से 7 बार वार कर चीलों को खिलाएं। अगर चीलें सारे गुलगुले, या आधे से ज्यादा खा लें तो रोगी ठीक हो जायेगा। यह कार्य शनि या मंगलवार को ही शाम को 4 और 6 के मध्य में करें। गुलगुले ले जाने वाले व्यक्ति को कोई टोके नहीं और न ही वह पीछे मुड़ कर देखे।

24॰ यदि लगे कि शरीर में कष्ट समाप्त नहीं हो रहा है, तो थोड़ा सा गंगाजल नहाने वाली बाल्टी में डाल कर नहाएं।

25॰ प्रतिदिन या शनिवार को खेजड़ी की पूजा कर उसे सींचने से रोगी को दवा लगनी शुरू हो जाती है और उसे धीरे-धीरे आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा। यदि प्रतिदिन सींचें तो 1 माह तक और केवल शनिवार को सींचें तो 7 शनिवार तक यह कार्य करें। खेजड़ी के नीचे गूगल का धूप और तेल का दीपक जलाएं।

26॰ हर मंगल और शनिवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कुत्तों को खिलाने से धीरे-धीरे आराम मिलता है। यह कार्य कम से कम 7 सप्ताह करना चाहिये। बीच में रूकावट न हो, अन्यथा वापस शुरू करना होगा।

27॰ साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग और ज्वार चारों बराबर-बराबर ले कर साफ कर के मिला दें। कुल वजन 1 किलो हो। इसको रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर उनको एक साथ पकाएं। जब चारों अनाज पूरी तरह पक जाएं, तब उसमें तेल-गुड़ मिला कर, किसी मिट्टी के दीये में डाल कर दोपहर को, किसी चौराहे पर रख दें। उसके साथ मिट्टी का दीया तेल से भर कर जलाएं, अगरबत्ती जलाएं। फिर पानी से उसके चारों ओर घेरा बना दें। पीछे मुड़ कर न देखें। घर आकर पांव धो लें। रोगी ठीक होना शुरू हो जायेगा।

28॰ गाय के गोबर का कण्डा और जली हुई लकड़ी की राख को पानी में गूंद कर एक गोला बनाएं। इसमें एक कील तथा एक सिक्का भी खोंस दें। इसके ऊपर रोली और काजल से 7 निशान लगाएं। इस गोले को एक उपले पर रख कर रोगी के ऊपर से 3 बार उतार कर सुर्यास्त के समय मौन रह कर चौराहे पर रखें। पीछे मुड़ कर न देखें।

29॰ शनिवार के दिन दोपहर को 2॰25 (सवा दो) किलो बाजरे का दलिया पकाएं और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिला कर एक मिट्टी की हांडी में रखें। सूर्यास्त के समय उस हांडी को रोगी के शरीर पर बायें से दांये 7 बार फिराएं और चौराहे पर मौन रह कर रख आएं। आते-जाते समय पीछे मुड़ कर न देखें और न ही किसी से बातें करें।

30॰ धान कूटने वाला मूसल और झाडू रोगी के ऊपर से उतार कर उसके सिरहाने रखें।

31॰ सरसों के तेल को गरम कर इसमें एक चमड़े का टुकड़ा डालें, पुन: गर्म कर इसमें नींबू, फिटकरी, कील और काली कांच की चूड़ी डाल कर मिट्टी के बर्तन में रख कर, रोगी के सिर पर फिराएं। इस बर्तन को जंगल में एकांत में गाड़ दें।

32॰ घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन से रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।

33॰ यदि पर्याप्त उपचार करने पर भी रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो अथवा बार-बार एक ही रोग प्रकट होकर पीड़ित कर रहा हो तथा उपचार करने पर भी शांत हो जाता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने वजन के बराबर गेहू¡ का दान रविवार के दिन करना

Sunday, June 27, 2010

रुद्राक्ष

एक मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप-एक मुखी रुद्राक्ष शिव का स्वरुप हैलाभ-एक मुखी रुद्राक्ष ब्रहम हत्या आदि पापो को दूर करने वाला हैमंत्र -एक मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः “मंत्र का जाप कर के धारण करे
दो मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप-दो मुखी रुद्राक्ष देवता स्वरुप है,पापो को दूर करने वाला और अर्धनारीइश्वर स्वरुप हैलाभ-दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अर्धनारीइश्वर प्रस्सन होते हैमंत्र -दो मुखी रुद्राक्ष को “ॐ नमः “का जाप कर के धारण करे
तीन मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि स्वरुप हैलाभ-तीन मुखी रुद्राक्ष हत्या आदि पापो को दूर करने में समर्थ है,शौर्य और ऐश्वर्या को बढाने वाला हैमंत्र -तीन मुखी रुद्राक्ष को “ॐ क्लीं नमः” का जाप कर के धारण करे
चतुर्मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- चतुर्मुखी रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्म जी का स्वरुप है,लाभ-चतुर्मुखी रुद्राक्ष के स्पर्श और दर्शन मात्र से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, की प्राप्ति होती हैमंत्र -चतुर्मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र का जाप कर के धारण करे
पञ्च मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- पञ्च मुखी रुद्राक्ष पञ्च देवो(विष्णु,शिव,गणेश,सूर्य और देवी)का स्वरुप हैलाभ- “पञ्च वक्त्रं तु रुद्राक्ष पञ्च ब्रहम स्वरूप्कम” इस के धारण मात्र से नर हत्या का पाप मुक्त हो जाता है,इस को धारण करने से काल अग्नि स्वरुप अगम्य पाप दूर होते हैमंत्र -पञ्च मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः “मंत्र का जाप कर के धारण करे
छह मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप-छह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कार्तिके स्वरुप हैलाभ-छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से श्री और आरोग्य की प्राप्ति होती हैमंत्र- छह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः”मंत्र का जाप कर के धारण करे”
सप्त मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- सप्त मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कामदेव स्वरुप हैलाभ-सप्त मुखी रुद्राक्ष अत्यंत भाग्य शाली और स्वर्ण चोरो आदि पापो को दूर करता है
अष्ट मुखी रुद्राक्ष
स्वरुप- यह रुद्राक्ष साक्षात् साक्षी विनायक देव हैलाभ-इस के धारण करने से पञ्च पातको का नाश होता है
इस को “ॐ हम नमः” मंत्र का जाप कर के धारण करने से परम पद की प्राप्ति होती है!
नवमुखी रुद्राक्ष
इसे भेरव और कपिल मुनि का प्रतीक माना गया हैनौ रूप धारण करने वाली भगवती दुर्गा इस की अधीश्तात्री मानी गई है
जो मनुष्य भगवती परायण हो कर अपनी बाई हाथ अथवा भुजा पर इस को धारण करता है, उस पर नव शक्तिया प्रसन्न होती है
वह शिव के सामान बलि हो जाता है इसे”ॐ ह्रीं हुं नमः”का जाप कर के धारण करना चाहये
दश मुखी रुद्राक्ष
दश मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान जनादन है
इस के धारण करने से ग्रह, पिचाश,बेताल,ब्रम्ह राक्षश,और नाग आदि का भय दूर होता है
इसे मंत्र”ॐ ह्रीं नमः”का जाप कर के धारण करना चाहिए
एकादश मुखी रुद्राक्ष
एकादश मुखी रुद्राक्ष एकादश रुदर स्वरुप है
शिखा पर धारण करने से पुण्य फल,श्रेष्ठ यज्ञो के फल की प्राप्ति होती है
एकादश मुखी रुद्राक्ष को ह्रीं हम नमः का जाप कर के धारण करने से साधक सर्वत्र विजय होता है
द्वादश मुखी रुद्राक्ष
द्वादश मुखी रुद्राक्ष महा विष्णु का स्वरुप है
इस रुद्राक्ष को “ॐ क्रों क्षों रों नमः”का जाप कर के धारण करने से साधक साक्षात् विष्णु जी को मही धारण करता है
इसे कान में धारण करने से द्वादश आदित्य भी प्रस्सन होते है
तेरह मुखी रुद्राक्ष
तेरह मुखी रुद्राक्ष काम देश स्वरुप है
इस रुद्राक्ष को धारण करने से समस्त कामनाओ की इच्छा भोगो की प्राप्ति होती है
इसे “ॐ ह्रीं हुम नमः का जाप कर के धारण करना चाहये
चौदह मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष अक्षि से उत्पन हुआ है,यह भगवान का नेत्र स्वरुप है
इस रुद्राक्ष को “ॐ नमः शिवाय” का जाप कर के धारण करना चाहिएइस को धारण करने से साधक शिव तुल्य हो कर सब व्यधियो और रोगों को हर लेता है और आरोग्य प्रदान करता है
ॐ नमः शिवाय:

वास्तु दोष निवारण के कुछ सरल उपाय

कभी-कभी दोषों का निवारण वास्तुशास्त्रीय ढंग से करना कठिन हो जाता है। ऐसे में दिनचर्या के कुछ सामान्य नियमों का पालन करते हुए निम्नोक्त सरल उपाय कर इनका निवारण किया जा सकता है।

* पूजा घर पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 06 से 08 बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए।

* पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए। इससे घर में सपन्नता आती है। मकान के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए।

* घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, अन्यथा घर में बरकत और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी।

* पूजाघर में तीन गणेशों की पूजा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा घर में अशांति उत्पन्न हो सकती है। तीन माताओं तथा दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है। धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं। पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें।

* घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए। ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं। दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो। इससे घर में कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर तेल डालें।

* खिड़कियां खोलकर रखें, ताकि घर में रोशनी आती रहे।

* घर के मुख्य द्वार पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।

* महत्वपूर्ण कागजात हमेशा आलमारी में रखें। मुकदमे आदि से संबंधित कागजों को गल्ले, तिजोरी आदि में नहीं रखें, सारा धन मुदमेबाजी में खर्च हो जाएगा।

* घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी।

* सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए। रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए।

* घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए।

* घर के मध्य भाग में जूठे बर्तन साफ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए।

* उत्तर-पूर्वी कोने को वायु प्रवेश हेतु खुला रखें, इससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा।

* अचल संपत्ति की सुरक्षा तथा परिवार की समृद्धि के लिए शौचालय, स्नानागार आदि दक्षिण-पश्चिम के कोने में बनाएं।

* भोजन बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव अर्पित करें या गाय खिलाएं, धनागम के स्रोत बढ़ेंगे।

* पूजा-स्थान (ईशान कोण) में रोज सुबह श्री सूक्त, पुरुष सूक्त एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें, घर में शांति बनी रहेगी।

* भवन के चारों ओर जल या गंगा जल छिड़कें।

* घर के अहाते में कंटीले या जहरीले पेड़ जैसे बबूल, खेजड़ी आदि नहीं होने चाहिए, अन्यथा असुरक्षा का भय बना रहेगा।

* कहीं जाने हेतु घर से रात्रि या दिन के ठीक १२ बजे न निकलें।

* किसी महत्वपूर्ण काम हेतु दही खाकर या मछली का दर्शन कर घर से निकलें।

* घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दें।

* घर में मकड़ी का जाल नहीं लगने दें, अन्यथा धन की हानि होगी।

* शयनकक्ष में कभी जूठे बर्तन नहीं रखें, अन्यथा परिवार में क्लेश और धन की हानि हो सकती है।

* भोजन यथासंभव आग्नेय कोण में पूर्व की ओर मुंह करके बनाना तथा पूर्व की ओर ही मुंह करके करना चाहिए।

सिद्धि वाले बाबा

दिल्ली में एक दिन मेरे मित्र ने मुझे एक पता दिया . बताया की ये सज्जन एक महान आदमी है बड़े ज्ञानी है , बिना कुछ पूछे सब कुछ बता देते है . में भी उनके पास पहुँच गया जोकि मेरी आदत में है. किसी भी ज्योतिष के बारे में अगर ये पता चले की वो बड़े विद्वान है तो में अपने आपको रोक नहीं पता . खैर जैसे तैसे में उनका पता लेकर वहां पहुंचा . जाते ही उन सज्जन ने जिनकी उम्र लगभग ६० साल थी मुझे अपने कमरे में बिठा लिया . फिर न जाने क्यों उन्होंने ऊपर जाने का बहाना लिया और वापिस लौट कर मेरे और मेरे परिवार के सब लोगो के नाम बताना शुरू कर दिया . में ऐसे चमत्कार पहले भी देख चूका था सो मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ा . लेकिन मेरे साथ जो मित्र गए थे वो ये सब देख के सम्मोहन जैसी अवस्था में आगये . बस तभी उन सज्जन ने अपना असली जाल बनाना शुरू कर दिया . उनके अनुसार वो आत्माओं से बात कर सकते थे . मैंने उनसे कहा की आप मेरे दिवंगत पिता से बात कर सकते है तो उनका जवाब हाँ में था . जब मैंने कहा की आप मेरे पिता की बात मुझ से करा दो तो उनका पारा सातवे आसमान पे था . वो एक बार फिर ऊपर गए और लौट के बोले की में यानी समीर चतुर्वेदी से मेरे पूर्वज या यु कहिये की पितृ नाराज है . मैंने जब उनसे पूछ की उनकी नाराजगी दूर करने का क्या उपाय है तो वो बोले की एक बड़ी पूजा रखवानी होगी और पूजा का खर्च लगभग १५०० रुपये था . मेरे ये कहने पर की में इतना पैसा नहीं दे सकत तो उनका कहना था की आप जीवन भर परेशान रहोगे. जब मैंने कहा की आप वजह बताये ये प्रमाण दे की मेरे पूर्वज मेरे से नाराज है तो बस बाकी कसर भी पूरी हो गयी . वो इतना क्रोध में आ गए की उन्हें ये भी ध्यान नहीं रहा की की ज्योतिषी न होते हुए भी उन्होंने कुछ ऐसी बाते बोल दी की जिनका ज्योतिष से कोई लेना देना नहीं था . जब मैंने उन्हें ज्योतिष सम्बन्धी कुछ सवाल किये तो वो पूजा का बहाना करके वह से चल दिए कुल मिला कर किसी भी शहर या गाँव में कुछ ऐसे लोग है जो कोई छोटी मोटी सिद्धि लेकर लोगो का उल्लू काटना शुरू कर देते है . जहां तक सिद्धी की बात है मै इससे इनकार नहीं करता क्युकि में ऐसे कई लोगो से मिल चूका हु जिनके पास ऐसी सिद्धियाँ है . पर वे लोगो को इस तरह मुर्ख नहीं बनाते

आप स्वयं जान सकते हैं कि आपका आज का दिन कैसा व्यतीत होगा...........


क्सर जीवन में कुछ चीजें ऎसी देखने को मिल ही जाती हैं जो कि प्रथम दृ्ष्टया तो कुछ तर्कसंगत प्रतीत नहीं होती लेकिन यदि उन्हे प्रायोगिक तौर पर परखने का अवसर मिले तो उनमें कहीं न कहीं कुछ ऎसी सच्चाई, कुछ ऎसी सुसंगति दिखाई पड जाती है कि इन्सान स्वयं को हतप्रभ सा अनुभव करने लगता है। आज आप लोगों के सामने भी एक ऎसी ही विधि रखने जा रहा हूँ, जिसे पढकर शायद आपकी पहली प्रतिक्रिया यही होगी कि क्या बकवास लिखा है! ऎसा कुछ नहीं हो सकता।

अत: जो पाठक जल्दी में, बिना आजमाए केवल पढ कर ही इस पोस्ट के विषय में अपना निर्णय देना चाहेंगें, उनका अनुमान बहुत हद तक भ्रमपूर्ण हो सकता है। आशा है जिज्ञासु तत्वांवेषी पाठक इस पोस्ट को भी उसी भाव से स्वीकारेंगें, जैसा कि वो हमारे पूर्व के लेखों को स्वीकार करते रहे हैं। हाँ इतना अवश्य कहना चाहूँगा कि निर्णय देने के अधिकारी आप तभी हो सकते हैं, जब कि आप स्वयं परीक्षा करके सही गलत रूपी किसी अन्तिम निष्कर्ष तक पहुँच चुके हों।
खैर...हम आपको एक ऎसी विधि के बारे में बताना चाह रहे थे कि जिसके जरिए आप स्वयं प्रतिदिन अपने दिन के फल के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि आपका आज का दिन कैसा व्यतीत होगा। वो भी बिना किसी ग्रह, राशी अथवा ज्योतिष की जानकारी के।जिसमें कि आपको शत-प्रतिशत सच्चाई मिलेगी। आप एकबार स्वयं आजमा कर देखिए और फिर उसके बाद निसंकोच होकर बताईयेगा कि आपका क्या अनुभव रहा।
विधि यह है कि आप प्रतिदिन प्रात:काल स्नान इत्यादि के पश्चात बासी मुँह किसी कागज पर 108 के अन्दर कोई भी एक संख्या मन में सोच कर लिख लीजिए। फिर उसमें 35 जोड दीजिए और जिस दिन-वार की संख्या को उसमें से घटा दीजिए, फिर 21 से भाग दे दीजिए-----जो शेष बचे उसका फल यहाँ पर देख लीजिए।
दिन-वार की संख्या इस प्रकार है----रविवार 5, सोमवार 1, मंगलवार 3, बुधवार 4, बृ्हस्पतिवार 11, शुक्रवार 7 और शनिवार 13।
उदाहरणस्वरूप जैसे कि आज बृ्हस्पतिवार का दिन है ओर मैंने प्रश्न करने का विचार करके मन में सोचकर कागज पर 96 की संख्या लिख दी, अब उसमें 35 जोडे तो योगफल 131(96+35) हो गया। फिर इसमें से बृ्हस्पतिवार के दिन की संख्या 11 घटाकर 21 से भाग दिया तो शेष बचा 15। अब आगे 15 नम्बर की संख्या का फल देखा तो यह मिला---"परेशानी और खर्च ज्यादा होगा" । इसी प्रकार आप प्रतिदिन का देखें किन्तु ध्यान रहे कि एक व्यक्ति सिर्फ एक ही बार देखे। ऎसा न हो कि पहली बार में आपको कुछ अशुभ फल मिले तो आप दूसरी बार फिर से ट्राई करने की सोचने लगें कि शायद अब अच्छा फल मिल जाए।
संख्या का फल:-
1. किसी अच्छे सज्जन व्यक्ति का दर्शन पाकर लाभ होगा।
2. मन में भान्ती भान्ती के विचार उठेंगें, कार्य पूर्ण होगा।
3. दिन अच्छा व्यतीत होगा।
4. आज का दिन चिन्ता व्यथा में ही गुजरेगा।
5. अन्य दिनों की अपेक्षा आज दौड धूप अधिक करनी पडेगी, लाभ होगा।
6. सुख और प्रसन्नता के साथ दिन बीतेगा।
7. कोई गुप्त चिन्ता सताएगी, नुक्सान होगा।
8. आज दिन भर आप चिन्तित रहेंगें, रात को नींद भी नहीं आएगी।
9. आज खर्च अधिक करना पडेगा, लाभ कम रहेगा।
10.चिन्ता, व्यथा और परिवार के लोग परेशान करेंगें।
11. जिस काम को सोचोगे, पूरा होगा।
12. काम सफल होगा, मन में आशा का संचार होगा।
13. झगडा-झंझट और चिन्तायुक्त दिन व्यतीत होगा।
14. इज्जत-मान और धन का लाभ होगा।
15.मानसिक परेशानी और खर्च अधिक होगा।
16.बढिया व्यतीत होगा।
17. बेहद खराब गुजरेगा।
18. सुख-शान्ती से व्यतीत होगा।
19.चिन्तित रहना पडेगा।
20.सारा दिन शुभ और लाभयुक्त बीतेगा।
21.अथवा 0 शेष रहने पर पैसे की चिन्ता सताएगी।
हालांकि इस विधि का मूल वैदिक ज्योतिष विद्या से कोई सम्बंध सरोकार नहीं है। बहुत साल पहले ये विधि एक प्राचीन ग्रन्थ की भाषा टीका में पढने को मिली थी! आप स्वयं आजमा कर देखिए और फिर बिना किसी संकोच के अवश्य बताईयेगा कि परिणाम क्या निकला....

EDITORS POST (LIVE DELHI ALERT) 21/6/2010

एक और चोट दिल्ली में रहने वाले आम आदमी पर. अब मार पड़ी CNG को लेकर . सीधा २५ प्रतिशत की वृद्धि . आखिर सरकार चाहती क्या है समझ से परे है . जिस तरह का हाहाकार देश में मचा है शायद हमारे हुक्मरान उस पर ध्यान नहीं देना चाहते . पहले बजट में पेट्रोल और डीजल के दाम बड़ा दिए गए उसके बाद डीजल पर वेट लगा कर उसे और महंगा किया उसके बाद रसोई गैस के दाम मे बढोतरी फिर लगा CNG का नंबर .अभी सांस भी नहीं आ पाई थी की रसोई गैस के दाम में फिर से २५ रूपये की वृद्धि और उसके बाद फिर से पेट्रोल और डीजल के दाम बदने की तेयारी शुरू हो गयी. सबकी साँसे फूली हुई है की अब अगला कदम इस सरकार का क्या होगा . एक ओर तो सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने का दावा कर रही हैं और वहीं दूसरी ओर पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दाम बढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है। ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी होने से महंगाई और ज्यादा बढ़ेगी क्योंकि की वस्तुओं के परिवहन खर्च में बढ़ोतरी हो जाएगी। अब शायद सब मजबूर है चुनकर भेजा है तो झेलना ही पड़ेगा . शायद कांग्रेस पार्टी को अब ये लगने लगा है की वो जो भी कदम उठाएंगे कोई उसका विरोध नहीं करेगा . एक निरंकुश शासन की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है . जहां जब क़ानून व्यवस्था की बात हो तो सूबे की मुख्यमंत्री का बयान आता है की महिलाए रात के समय घर से बाहर ही न निकले . बिजली की दरे बढाने के पीछे तर्क दिया जाता है की अब दिल्ली वालो की कमाई बढ गयी है सो दाम बढाये जा सकते है.जबकी दिल्ली में बिजली की कीमतों का निर्धारण दिल्ली सरकार का मामला ही नहीं है. यह काम है DERC का जो की दिल्ली सरकार के आधीन नहीं है.तो फिर क्या बात है कि शीला दीक्षित बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिये इतनी मेहनत कर रही हैं वोह तो भगवान् भला करे रेगुलारिटी बोर्ड का जिसने निजी बिजली कंपनियों की पोल खोल के रख दी पिछले साल दिल्ली की दो निजी बिजली कंपनियों ने कितना मुनाफा कमाया? पहली ने करीब 450 करोड़ रुपये, और दूसरे ने करीब 468 करोड़ रुपये. सो शीला सरकार को कदम वापिस खीचना पड़ा
राष्ट्रकुल खेलो के नाम पर दिल्ली के रहने वालो का जो हाल बनाया जा रहा है शायद उसकी मिसाल दूसरी न बने . अभी हाल ही में सरकार ने प्रस्ताव रखा की विदेशी खिलाडियों को रेडियशन से बचने के लिए एक महीने के लिए मोबाइल टावरो को सील कर दिया जाए. वाह भाई शीला जी कमाल का फैसला है आपका . इतने सालो से दिल्ली में रह रहे लोगो की सेहत का ख़याल आपको कभी नहीं आया . और जरा ये तो बताने का कष्ट करे की जो खिलाडी यहाँ आ रहे है उनके देश मे मोबाइल फ़ोन नहीं होते क्या ? और अपने पिछले कार्यकालों मे शीला जी ने दिल्ली वालो की सेहत या उन्हें प्रदुषण से बचाने के लिए कितने ठोस कदम उठाये ? शायद नहीं दिल्ली वालो की सेहत दिल्ली वाले अपने आप संभाले ये कोई सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. दिल्ली के बाज़ार एक महीने के लिए इसलिए बंद करने का विचार है क्योकि बाहर के लोग यहाँ की भीड़ न देखे . पर एक महीने तक जो दिहाड़ी मजदूर खाली होगा या इन बाजारों मे काम करने वाले खाली रहेंगे उसका क्या . लेकिन सरकार के पास इन बेकार बातो का कोई जवाब नहीं है . हमें तो बस विदेशी मेहमानों को खुश करना है . चाहे दिल्ली मे अपने लोग भूख से बेहाल हो या रोज किसी के हाथ लुट जाए . जब से दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियां शुरू हुई है, तब से यहां रहने वालौं लोगों पर महंगाई का पहाड टूट पडा है। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट में महंगाई का जो चाबुक चलाया था, पीठ पर उसके जख्म अभी भर नहीं पाए थे कि दिल्ली सरकार ने उन्हें और गहरे तक कुरेद दिया।दाम बढ़ाने के मुद्दे पर शीला दीक्षित का कहना है की जब सुविधाए मिलती है तो टैक्स तो लगेगा ही.
महंगाई आम जनता के लिए परेशानी का सबब होती है, देश पर राज करने वाले उद्योगपतियों व उनके राज में सरकार चलाने वाले लोगों को इससे कोई फर्क नहींपड़ता। अगर पड़ता होता तो अब तक बयानबाजियों से ऊपर उठकर महंगाई को रोकने के वास्तविक उपाय किए जाते। महंगाई किस प्रकार दूर होगी, शायद ये विचार किसी के पास नहीं है अगर सरकार की यह हालत है तो विपक्ष भी इससे अलग नहींहै। उसे महंगाई के नाम पर केवल हंगामा मचाना आता है, सत्ता की कुर्सी थोड़ी हिले और उसे पैर जमाने के लिए जरा जगह और मिल जाए, बस इतना ही मकसद नजर आता है। महंगाई क्यों बढ़ रही है, इसका जवाब कहीं से भी नहीं मिल रहा है। यदि सरकार को महंगाई रोकनी है तो सट्टेबाजी, एकाधिकार, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बढ़ते नियंत्रण के विरुद्ध भी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक सक्रिय होना पड़ेगा और सशक्त कदम उठाने होंगे।

सर्व-कार्य-कारी सिद्ध मन्त्र

१॰ “ॐ पीर बजरङ्गी, राम-लक्ष्मण के सङ्गी, जहाँ-जहाँ जाए, फतह के डङ्के बजाए, दुहाई माता अञ्जनि की आन।”

२॰ “ॐ नमो महा-शाबरी शक्ति, मम अनिष्ट निवारय-निवारय। मम कार्य-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा।”

विधिः- यदि कोई विशेष कार्य करवाना हो अथवा किसी से अपना काम बनवाना हो तो कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व अथवा व्यक्ति-विशेष के पास जाते समय उक्त दो मन्त्रों में से किसी भी मन्त्र का जप करता हुआ जाए। कार्य में सिद्धि होगी।

वास्तु में दिशाओं की अहमियत पहचानें

वास्तु शास्त्र की अहमियत अब अंजानी नहीं रह गई है। अधिकांश लोग मान चुके हैं कि मकान की बनावट, उसमें रखी जाने वाली चीजें और उन्हें रखने का तरीका जीवन को प्रभावित करता है। ऐसे में, वास्तु शास्त्र की बारीकियों को समझना आवश्यक है। इन बारीकियों में सबसे अहम है-दिशाएं। वास्तु के अनुसार दिशाओं का भी भवन निर्माण मे उतना ही महत्व है, जितना कि पंच तत्वों का है। दिशाएं कौन-कौन सी हैं और उनके स्वामी कौन-कौन से हैं और वो किस तरह जीव को प्रभावित कर सकती हैं-ये समझना जरुरी है।वास्तु विज्ञान शास्त्रों के अनुसार चार दिशाओं के अतिरिक्त चार उपदिशाएं या विदिशाएं भी होती हैं। ये चार दिशाएं हैं- ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य। समरागण सूत्र में दिशाओं व विदिशाओं का उल्लेख इस प्रकार किया गया है।
1.पूर्वः- पूर्व दिशा का स्वामी इन्द्र हैं और इसे सूर्य का निवास स्थान भी माना जाता है। इस दिशा को पितृ स्थान माना जाता है अतः इस दिशा को खुला व स्वच्छ रखा जाना चाहिए। इस दिशा मे कोई रूकावट नहीं होनी चाहिए। यह दिशा वंश वृद्धि मे भी सहायक होती है। यह दिशा अगर दूषित होगी तो व्यक्ति के मान सम्मान को हानि मिलती है व पितृ दोष लगता है। प्रयास करें कि इस दिशा मे टॉयलेट न हो वरना धन व संतान की हानि का भय रहता है। पूर्व दिशा में बनी चारदीवारी पश्चिम दिशा की चार दीवारी से ऊंची नहीं होनी चाहिए। इससे भी संतान हानि का भय रहता है।
2.पश्चिमः- जब सूर्य अस्तांचल की ओर होता है तो वह दिशा पश्चिम कहलाती है। इस दिशा का स्वामी श्वरूणश् है। यह दिशा वायु तत्व को प्रभावित करती है और वायु चंचल होती है। अतः यह दिशा चंचलता प्रदान करती है। यदि भवन का दरवाजा पश्चिम मुखी है तो वहां रहने वाले प्राणियों का मन चंचल होगा। पश्चिम दिशा सफलता यश, भव्यता और कीर्ति प्रदान करती है। पश्चिम दिशा का स्वामी वरूण है। इसका प्रतिनिधि ग्रह शनि है। ऐसे में गृह का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा वाला हो तो वो गलत है। इस कारण ग्रह स्वामी की आमदनी ठीक नहीं होगी और उसे गुप्तांग की बीमारी हो सकती है।
3.उत्तरः- उत्तर दिशा का स्वामी कुबेर है और यह दिशा जल तत्व को प्रभावित करती है। भवन निर्माण करते समय इस दिशा को खुला छोड़ देना चाहिए। अगर इस दिशा में निर्माण करना जरूरी हो तो इस दिशा का निर्माण अन्य दिशाओं की अपेक्षा थोड़ा नीचा होना चाहिए। यह दिशा सुख सम्पति, धन धान्य एवं जीवन मे सभी सुखों को प्रदान करती है। उत्तर मुखी भवन इसकी दिशा का ग्रह बुध है। उत्तरी हिस्से में खाली जगह न हो। अहाते की सीमा के साथ सटकर और मकान हों और दक्षिण दिशा मे जगह खाली हो तो वह भवन दूसरों की सम्पति बन सकता है।
4.दक्षिणः- आम तौर पर दक्षिण दिशा को अच्छा नहीं मानते क्योंकि दक्षिण दिशा को यम का स्थान माना जाता है और यम मृत्यु के देवता है अतः आम लोग इसे मृत्यु तुल्य दिशा मानते है। परन्तु यह दिशा बहुत ही सौभाग्यशाली है। यह धैर्य व स्थिरता की प्रतीक है। यह दिशा हर प्रकार की बुराइयों को नष्ट करती है। भवन निर्माण करते समय पहले दक्षिण भाग को कवर करना चाहिए और इस दिशा को सर्वप्रथम पूरा बन्द रखना चाहिए। यहां पर भारी समान व भवन निर्माण साम्रगी को रखना चाहिए। यह दिशा अगर दूषित या खुली होगी तो शत्रु भय का रोग प्रदान करने वाले होगी।
5.ईशानः- पूर्व दिशा व उत्तर दिशा के मध्य भाग को ईशान दिशा कहा जाता है। ईशान दिशा को देवताओं का स्थान भी कहा जाता है। इसीलिए हिन्दू मान्यता के अनुसार कोई शुभ कार्य किया जाता है तो घट स्थापना ईशान दिशा की ओर की जाती है। सूर्योदय की पहली किरणें भवन के जिस भाग पर पड़े, उसे ईशान दिशा कहा जाता है। यह दिशा विवेक, धैर्य, ज्ञान, बुद्धि आदि प्रदान करती है। भवन मे इस दिशा को पूरी तरह शुद्ध व पवित्र रखा जाना चाहिए। यदि यह दिशा दूषित होगी तो भवन मे प्रायः कलह व विभिन्न कष्टों के साथ व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट होती है। इस दिशा का स्वामी रूद्र यानि भगवान शिव है और प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है।
6.आग्नेयः- पूर्व दिशा व दक्षिण दिशा को मिलाने वाले कोण को अग्नेय कोण संज्ञा दी जाती है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है इस कोण को अग्नि तत्व का प्रभुत्व माना गया है और इसका सीधा सम्बन्ध स्वास्थ्य के साथ है। यह दिशा दूषित रहेगी तो घर का कोई न कोई सदस्य बीमार रहेगा। इस दिशा के दोषपूर्ण रहने से व्यक्ति क्रोधित स्वभाव वाला व चिड़चिड़ा होगा। यदि भवन का यह कोण बढ़ा हुआ है तो संतान को कष्टप्रद होकर राजभय आदि देता है। इस दिशा के स्वामी गणेश हैं और प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है। यदि आग्नेय ब्लॉक की पूर्वी दिशा मे सड़क सीधे उत्तर की ओर न बढ़कर घर के पास ही समाप्त हो जाए तो वह घर पराधीन हो सकता है।

टोने-टोटके - कुछ उपाय –

छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत्‌
जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय
स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत्‌ जानकारी दी जा रही है...

परीक्षा में सफलता हेतु : परीक्षा में सफलता हेतु गणेश रुद्राक्ष धारण करें। बुधवार को गणेश जी के मंदिर में जाकर दर्शन करें और मूंग के लड्डुओं का भोग लगाकर सफलता की प्रार्थना करें।
पदोन्नति हेतु : शुक्ल पक्ष के सोमवार को सिद्ध योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधें और उन्हें हर समय अपने साथ रखें, पदोन्नति के साथ-साथ व्यवसाय में भी लाभ होगा।
मुकदमे में विजय हेतु : पांच गोमती चक्र जेब में रखकर कोर्ट में जाया करें, मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होगा।
पढ़ाई में एकाग्रता हेतु : शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को इमली के २२ पत्ते ले आएं और उनमें से ११ पत्ते सूर्य देव को ¬ सूर्याय नमः कहते हुए अर्पित करें। शेष ११ पत्तों को अपनी किताबों में रख लें, पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी।
कार्य में सफलता के लिए : अमावस्या के दिन पीले कपड़े का त्रिकोना झंडा बना कर विष्णु भगवान के मंदिर के ऊपर लगवा दें, कार्य सिद्ध होगा।
व्यवसाय बाधा से मुक्ति हेतु : यदि कारोबार में हानि हो रही हो अथवा ग्राहकों का आना कम हो गया हो, तो समझें कि किसी ने आपके कारोबार को बांध दिया है। इस बाधा से मुक्ति के लिए दुकान या कारखाने के पूजन स्थल में शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को अमृत सिद्ध या सिद्ध योग में श्री धनदा यंत्र स्थापित करें। फिर नियमित रूप से केवल धूप देकर उनके दर्शन करें, कारोबार में लाभ होने लगेगा।
गृह कलह से मुक्ति हेतु : परिवार में पैसे की वजह से कलह रहता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख में पांच कौड़ियां रखकर उसे चावल से भरी चांदी की कटोरी पर घर में स्थापित करें। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को या दीपावली के अवसर पर करें, लाभ अवश्य होगा। क्रोध पर नियंत्रण हेतु : यदि घर के किसी व्यक्ति को बात-बात पर गुस्सा आता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख को साफ कर उसमें जल भरकर उसे पिला दें।
मकान खाली कराने हेतु : शनिवार की शाम को भोजपत्र पर लाल चंदन से किरायेदार का नाम लिखकर शहद में डुबो दें। संभव हो, तो यह क्रिया शनिश्चरी अमावस्या को करें। कुछ ही दिनों में किरायेदार घर खाली कर देगा। ध्यान रहे, यह क्रिया करते समय कोई टोके नहीं।
बिक्री बढ़ाने हेतु : ग्यारह गोमती चक्र और तीन लघु नारियलों की यथाविधि पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र में बांधकर बुधवार या शुक्रवार को अपने दरवाजे पर लटकाएं तथा हर पूर्णिमा को धूप दीप जलाएं। यह क्रिया निष्ठापूर्वक नियमित रूप से करें, ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी और बिक्री बढ़ेगी।

कुन्डली की वैज्ञानिक व्याख्या

जो कुन्डली हम किसी भी सोफ़्टवेयर से कम्प्यूटर पर देखते है,वह हमारे जन्म समय का आसमानी नक्शा होता है.जो ग्रह इस कुन्डली मे जिस स्थान पर विराजमान होता है,वही हाल पैदा होने वाले जातक का होता है.जब जातक जन्म लेता है,उस समय की प्रकृति किस प्रकार से अपने अन्दर गुण दोष आदि लेकर जन्म स्थान पर उपस्थित होती है,इसका पूरा विवेचन ग्रहों के अनुसार ही मिलता है.शरीर और ब्रहमाण्ड का एक रूप समझ कर ही कुन्डली की व्याख्या की जाती है,प्रकृति के गुण और दोष यद ब्रह्माण्डे तत्पिण्डे के अनुसार ही समझे जा सकते हैं.कुन्डली को कितने ही रूपों मे बनाया जाता है,उत्तरी भारत की बनाई जाने वाली कुन्डलियों मे लगन को ऊपर से तथा बायी तरफ़ के लिये गणना इसलिये की जाती है कि पृथ्वी की गति बायीं तरफ़ ही है,इसी लिये सूर्य हमे दाहिने तरफ़ को जाता हुआ महसूस होता है.दक्षिणी भारत की कुन्डली को दाहिनी तरफ़ गिना जाता है,इसका कारण वे लोग सूर्य को महत्वपूर्ण मानकर अपने को सूर्य के या चन्द्र के अथवा अन्य ग्रह के अनुसार ग्रह के साथ लेकर चलते है.पाश्चात्य कुन्डलियों मे भी उत्तरी भारत की तरह से पृथ्वी को ही रूप मानकर बायीं तरफ़ ही चलाया जाता है,मगर पहला घर उत्तरी भारत की कुन्डली के चौथे स्थान से और माता के पेट से ही गर्भ समय से गिना जाने के कारण,वह लगन को बायीं तरफ़ से ही मानते हैं.लगन का मतलब होता है जो राशि पूर्व मे उदय होती है,लगन कहा जाता है,सभी राशियां पूर्व दिशा से ही उदय होती है.प्रत्येक राशि का अलग नाम है,और जो बारह राशियां है,उनके नाम,मेष,वृष,मिथुन,कर्क,सिंह,कन्या,तुला,वृश्चिक,धनु,मकर,कुम्भ,मीन हैं,मगर इनके कुन्डली मे नाम न लिख कर केवल एक से लेकर बारह तक के नम्बर ही लिख देते हैं,जैसे मेष के लिये १,और वृष के लिये २,मिथुन के लिये ३,कर्क के लिये ४,सिंह के लिये ५ इसी प्रकार क्रम से सभी राशियों के नम्बर कुन्डली मे लिख देते है.जो राशी पूर्व मे जन्म के समय उदय होती है,उसी राशि का नम्बर लगन मे लिख देते है.इस प्रकार से मैने उत्तरभारतीय पद्धति से कुन्डली के प्रति समझाने के उद्देश्य से नम्बर को दाहिने से बायीं तरफ़ ले जाने का क्रम अंकित किया है.हमारे पूरवजों ने जो कुछ पहले से अनुसन्धान किया है,खोज की है,उसके अनुसार उनको ग्रहों के स्वरूप का ज्ञान था,सम्सार की कोई भी वस्तु हो,चाहे वह शरीर से अपना सम्बन्ध रखती हो,चाहे वह प्रकृति के पदार्थों से,मन से आत्मा से,बुद्धि से राज्य से,उसका कोई न कोई प्रतिनिधि कोई न कोई ग्रह जरूर होता है,जैसे सूर्य से विचार करने के लिये पिता,आत्मा,आंख,हड्डी,आत्मा,राज्य,दिल आदि का विचार किया जाता है,चन्द्र से माता,रक्त,मन,कामनायें,फ़ेफ़डे,आदि का विचार किया जाता है,मंगल से छोटा भाई,हिम्मत,रक्षा,चोरी,जुल्म,पाप,चोट,मांस आदि का विचार किया जाता है,खाल,सांस की नली,बुद्धि,अन्तडिया,लिखना,पढना प्राप्त की जाने वाली जानकारी से अपना वास्ता बुध ग्रह रखता है,इसी प्रकार से सभी ग्रहों का बोध और उनसे मिलने वाली आर्थिक सहायता का विचार किया जाता है.