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Sunday, April 17, 2011

जवाब दो अन्ना हजारे

नमस्कार दोस्तों ... अन्ना हजारे का जादू पूरे जोर से चल रहा है ! सभी टीवी चेनल हजारे की तुलना गांधी से करने में लगे हैं ! और शायद अन्ना को भी अब ये लगने लगा है की सत्ता के मालिको का रिमोट  अब उनके हाथ में  आ गया है ! वास्तव में अन्ना का आन्दोलन जिस तरह शुरू हुआ और जितनी तेजी से इसने लोगों का समर्थन हासिल किया वो किसी जादू से कम नहीं था ! अब आमरण अनशन पर बैठने वाले अन्ना सरकार की गाडी में घूमते दिखाई दे रहे हैं ! अन्ना का अनशन रंग लाया , जन आन्दोलन को देख सरकार भी डर गयी ! बस सरकार के झुकते ही अन्ना ने भी अनशन तोड़ दिया ! अन्ना को बधाई देने वालो का तांता लग गया ! मुझे और मेरे जैसे कई लोगो को लगा की अब शायद भ्रष्टाचार पर पूरा अंकुश लगेगा !

लेकिन सबसे ज्यादा हैरत तब हुई जब अन्ना खुद कमिटी के सदस्य बन गए और शान्ति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण को भी कमिटी में शामिल  कर लिया ! कहीं अन्ना का मुख्या उद्देश्य यही तो नहीं था ? लगभग ७६ साल के अन्ना को ४२ साल पुराने लोकपाल बिल की याद एकदम क्यों आ गयी ? और कल तक नेताओं को पानी पी पी कर कोसने वाले अन्ना की टीम में पूर्व मंत्री शांति भूषण औरकल तक राजनीति में रहने वाले  स्वामी अग्निवेश का क्या काम ? क्यों नहीं अन्ना के आन्दोलन में कन्धा मिलाने वाली किरण बेदी को शामिल किया गया ? सिर्फ किरण बेदी के एक बार मना करने भर से ही उनकी भूमिका को ख़त्म कर दिया गया ? शांति भूषण के पक्ष में तर्क ये दिया गया की वो क़ानून के जानकार हैं तो क्या बाकी हिन्दुस्तान में कानून के जानकारों की कमी है ? प्रशांत भूषण साहब ने अपनी जो करोडो की संपत्ति की घोषणा की है उसका स्रोत क्या है ? चलिए मान लेते है की जो तीन सौ करोड़ रूपये जो भूषण साहब ने कमाए वो उनकी कानूनी पेशे से आये लेकिन सवाल ये उठता है आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना के साथ खड़े होने वाले भूषण साहब ने  ऐसे कौन से लोगो का केस इमानदारी से लड़ा की इतनी मोटी फीस उन्हें दी गयी ? और पूरे हिंदुस्तान  में सिर्फ ये पिता और पुत्र ही अन्ना को नज़र आये जो कानून की जानकारी रखते हैं और सबसे ज्यादा इमानदार हैं ? क्यों बाबा रामदेव के बयान से शांति भूषण तिलमिला गए जब बाबा रामदेव ने कहा की एक हे परिवार के दो लोग कमिटी में क्यों शामिल है तो तिलमिलाए हुए  भूषण साहब का जवाब आया की वहाँ योग नहीं करना ! तो माननीय भूषण जी बताये न की अन्ना हजारे और अरविन्द केजरीवाल को जब कानून की न इतनी जानकारी है और न ही अनुभव तो उन दो लोगों का भी वहाँ क्या काम है ?


अभी शांति भूषण जी पर कथित सी ड़ी को लेकर आरोप लग रहे हैं लेकिन अन्ना साहब का कहना है की ये फर्जी है और भूषण को बदनाम करने की चाल है ! कमाल की बात है किसी नेता का नाम अन्ना ले देते हैं और बिना सबूत उसे चोर ठहरा देते है पर जब कोई बात सबूतों के साथ आ रही है  चाहे वो किसी की साजिश ही हो तो अन्ना साहब ने एकदम शांति भूषण को चरित्र प्रमाण पत्र दे दिया ! ऐसा कौन सा यंत्र हाथ लग गया अन्ना हजारे के की जिसे वो बोलेंगे बेदाग़ है तो बेदाग़ है और जिसे अन्ना ने चोर कह दिया वो चोर है ! यानी जिसे अपने चरित्र का कोई प्रमाण पत्र लेना हो तो पहले अन्ना साहब हजारे से अनापत्ति पत्र जरूर ले ले ! अगर अन्ना कमिटी में शामिल हुए बिना ही इस लडाई को आगे ले जाते तो शायद उनकी छवि पर सवाल न उठाये जाते लेकिन जिस तरह से बातें और सवाल सामने आ रहे है उनका उत्तर मिलना ही चाहिए !

      दोस्तों आन्दोलन का समर्थक में भी हूँ  पर सवाल ये खड़ा होता है की कहीं इस आन्दोलन की आड़ में सिर्फ अपने हिस्से की ताक़त वाली कुर्सी पा लेने तक का खेल तो नहीं है मैं जानता हूँ की मेरे इस लेख को पड़ने के बाद मुझे कई तीरों का सामना करना पड़ेगा पर पेशे से पत्रकार होने के नाते किसी भी बात की गहराई तक सोचने की आदत सी है मुझे ! चलिए अगले लेख में आपसे फिर मुलाक़ात होगी नमस्कार

1 comment:

  1. चोर मचाये शोर? अन्ना और शान्तिभूषण ने इस विधेयक को तैयार किया, इसके लिये अनशन किया, लोगों को जागृत किया, और आप चाहते हैं कि इसमें वे खुद शामिल न हों किसी चोर को इसका सदस्य और किसी महाचोर को अध्यक्ष बना दिया जाय?

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