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Monday, November 1, 2010

राहू और सिर्फ राहू

प्रिय मित्रों आज हम यहाँ चर्चा करेंगे राहू के बारे में ! आज राहू के बारे में कुछ तथाकथित बाबा और ज्योतिषियों ने भ्रामक बाते फैला रखी हैं ! इनमे से कुछ तो ऐसे हैं जिनका दावा है की उनपर राहू की विशेष कृपा है ! पर जब इन लोगो से मैने खुद बात की तो पता चला की ये सिर्फ राहू के बारे मैं अधकचरी जानकारी रखते हैं और राहू के बारे सैद्धांतिक रूप से भी नहीं जानते !  राहू के प्रति भक्ति भाव रखना तो दूर इन्हें सिर्फ और सिर्फ अपनी कमाई से मतलब है ! इनमे से कई लोगों से मैने खुद बात की और जब उनसे राहू के तथ्यों के बारे में बात की तो कोई नाराज हुआ और किसी  ने मुझे मूर्ख की संज्ञा दी ! मैने कई वेब साईट भी चेक की जिनमे इन तथाकथित लोगो ने राहू के बारे में ऐसी ऐसी बातें लिख रखी हैं जिनसे राहू का दूर दूर तक कोई लेना देना  नहीं है ! इनमे से कई लोगो ने मेरे ब्लॉग पर ऐसी भाषा में प्रतिक्रिया दी है जिसे मैं सार्वजनिक नहीं करसकता और न ही कोई सभ्रांत व्यक्ति इस भाषा का इस्तेमाल कर सकता है ! इनकी इस भाषा से ही  इनके ज्ञान और संस्कार पता चलते हैं !

कुछ लोगो ने राहू का रिश्ता तो सांप से  तो जोड़ दिया परन्तु आज तक ये नहीं बता पाए की राहू का सर्प से रिश्ता क्या है ! है ! पुराणो के अनुसार कुल आठ महासर्प हैं जिनके नाम हैं --- १ वासुकी २ अनंत  ३ शंक्पाल  ४ कारकोटक ५ पद्मा  ६ महापद्मा ७ दक्ष  ८ गुलिकी ! और ये सब  कादरु माँ के पुत्र हैं ..माँ कादरु महर्षि कश्यप की पत्नी हैं और राहू की नानी हैं तथा ये आठ महानाग राहू के मामा हैं परन्तु इनका राहू के उपाय से कोई लेना देना नहीं है ! परन्तु राहू को सांप से जोड़ने वाले इस बात पर चर्चा ही नहीं करना चाहते ! सांप का अर्थ है विष और विष शनि के आधीन आता है संसार में १८ विष हैं जिनमे 10 विष वनस्पति के और आठ विष धातु से हैं !


आज कालसर्प दोष के नाम पर अनजान तथा सामान्य व्यक्ति को ऐसा डर दिखाया जाता है की यदि गलती से उसकी कुंडली मैं यदि कालसर्प हो तो समझो की वो तो बर्बाद ही  हो गया ! वास्तव में ये काल सर्प दोष कब से चला ? असल में कालसर्प दोष के जनक राजस्थान के ज्योतिषी रहे जिन्होंने राहू को सर्प का सर और केतु को उसकी पूंछ मानकर इसे नाम दिया कालसर्प दोष का ! इसकी परिभाषा दी गयी की यदि राहू और केतु के मध्य सभी गृह आ गए तो समझो बन गया काल सर्प दोष ! पहली बात ये है की ये दोष नहीं योग है ! और अगर काल सर्प योग है भी तो इन बाबा लोगों को ये नहीं पता की किस स्तिथि में इसका क्या निदान है ! और उसकी जरूरत भी क्या है इन्हें मतलब है बस अपनी कमाई से !

       आज  कुछ राहू के तथाकथित परम भक्तो का ये भी कहना है की राहू इच्छाओं का कारक है ! वे राहू को सेक्स शराब मांस तथा व्यसनों से जोडके देखते हैं ! इनलोगों का कहना है की राहू को अंडा प्रिय है! भाई लोगों राहू को छाया गृह होते हुए भी प्रधान गृह का दर्जा प्राप्त है औरअगर राहू को शराब और अंडा ही चाहिए तो  जब नवग्रह की पूजा होती है तो राहू के लिए उस पूजा में अंडे और शराब व् मांस का भोग क्यों नहीं लगाया जाता ! बस जब मैने इन लोगो से इसी विषय में सवाल किया तो ये लोग भड़क गए ! सबसे पहले इन लोगो की नाराजगी ही इस बात को लेकर थी की जिस कालसर्प योग जैसे विषय पर ये लोग अच्छा खासा पैसा लेते हैं उसे मैं लोगो को मुफ्त उपाय बता कर क्यों प्रचारित कर रहा हूँ ! आज इन सभी राहू के भक्तों से ये प्रश्न है की आप बैंकोक के मंदिर के हिसाब से पूजा करेंगे या भारतीय वेद या प्राचीन ऋषियों के पद्दति के अनुसार ! आप थाई पुजारियों की तरह क्या राहू को केक का भोग लगायेंगे !
      खैर इस लेख को देने का मेरा मतलब ये नहीं है की मेरी लडाई सभी ज्योतिषियों और तांत्रिकों से है मेरी लडाई केवेल उन लोगो से है जो आधा अधुरा ज्ञान लेकर लोगो को मूर्ख बनाने का धंधा खोल के बैठे है!  सीधा सा सवाल है जब काल सर्प का निदान सौ से दो सौ रूपये में हो सकता है तो फिर हज़ारों का खर्चा क्यों ! सो मेरा ये  युद्ध इन तथाकथित परम भक्तो से चलता हे रहेगा !

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