प्रिय मित्रों नमस्कार एक बार फिर से क्षमा मांगता हुआ की मैं ब्लॉग को देर  से अपडेट कर रहा हूँ ! पिछले दिनों कई लोगो ने सवाल किया था की जो गणेश  पूजा का विधान जोकि मैने  शीर्षक धन तथा सम्रद्धि बढ़ाने हेतु एक अभूतपूर्व सात्विक प्रयोग    के  नाम से   अक्टूबर  के अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया था क्या वो सिर्फ  दीवाली की रात ही  करने के लिए था  या किसी अन्य दिन भी किया जा सकता है !  और इस पूजा की प्रमाणिकता क्या है ! सो मैं आपको बता दूँ की यह पूजा गणेश  उप-पुराण के सन्दर्भ से है ! और ये पूजा सिर्फ दीवाली के लिए नहीं है ! हाँ  दीवाली पर इसका महत्व जरूर है ! आप इस पूजा को सवारथ सिद्धि योग या  त्रि-पुष्कर योग में भी कर सकते हैं ये आपको समान फलदायी होगी ! पूजा का  विधान भी वही होगा ! कई लोगों ने ये सवाल भी किया की क्या ये पूजा रोज की  जायेगी और इसका फल कितने दिन में प्राप्त होगा ! 
     दोस्तों जब आप पूजा एक बार कर के गणेश जी की नीम की लकड़ी की मूर्ति को  स्थापित कर लेंगे तो फिर जिस प्रकार आप रोज सामान्य पूजा करते हैं बस उसी  प्रकार आपने ये पूजा भी करनी है ! जहां तक फल प्राप्ति की बात है तो आज तक  जिसको भी मैंने इस विधान से पूजा करने को कहा है उसको निश्चित लाभ ही हुआ  है ! और मेरा मकसद आप लोगो तक वो सब विधियां और जानकारी देने का है जिसके  द्वारा आपको ज्यादा पचड़ों में न पड़कर सामान्य रूप से करके लाभ ले सकें !  सो इस बार जो लोग पूजा न कर पाएं हों तो नवम्बर और दिसम्बर के महीने में ये  योग दुबारा हैं आप तब कर सकते हैं ! हाँ पर ध्यान रखें पूजन से पहले गणेश  जी की प्रतिमा को पहले गंगाजल से स्नान कराएं और उसके बाद शुद्ध घी से भी  स्नान कराएं ! 
     कई लोगो ने काल सर्प योग के निवारण के बारे में भी जानकारी मांगी थी !  तो मैं अपने अगले ब्लॉग में काल सर्प योग के लिए पूजा का विवरण दूंगा जो  की मात्र सौ या दो सौ रूपये में हो जायेगी ! एक बार फिर आप सभी को प्रणाम  करता हुआ अपनी बात को यहीं विश्राम देता हूँ अगले लेख में आपसे फिर मुलाकात  होगी !
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