आखिरकार हजारों करोड़ के सर्कस यानी  कोमनवेल्थ खेलो की पोल खुलनी शुरू हो  ही गयी !करोड़ों रूपये के घोटाले के आरोप सामने आ रहे हैं ! कहीं बिना काम  का कमीशन दिए जाने की बात हो रही है तो कहीं सामान के मूल्य से ज्यादा उसका  किराया दिए जाने का मुद्दा है !दरअसल घोटाले की बू तो तभी से आने लगी थी  जब इन खेलो के नाम पर जनता से अंधी वसूली की गयी थी ! और हमारी   मुख्यमंत्री ताल ठोक कर कह रहीं थी की यदि सुविधा से रहना है तो खर्चा तो  होगा ही  ! वहीँ दूसरी ओर देश की इज्ज़त का हवाला दिया जा रहा था की ये खेल  भारत की शान है !दिल्ली का मान बढेगा इन खेलो से! पता नहीं लोग क्यों चीख  पुकार मचा रहे हैं ? बल्कि लोगो को तो गर्व होना चाहिए हमारे नेताओ पर !   घोटालो मैं अव्वल नंबर पर ला खड़ा कर दिया है हमारे देश को ! आखिर कहीं तो  देश को ऊपर के पायदान पर होना चाहिए ! 
                       इन खेलो  की आड़ मैं भ्रष्टाचार  का नंगा खेल खेला गया वो भी पूरी बेशर्मी के साथ  !जैसे जैसे कोमनवेल्थ गेम्स करीब आते जा रहे हैं वैसे वैसे  इस से जुड़े नए   नए  आर्थिक  घोटालों के भी खुलासे होते जा रहे  हैं|एक तरफ  तो कोमनवेल्थ  के नाम पर  करोड़ों अरबों रूपया पानी की तरह बहाया जा रहा है|लेकिन उसी के  एवज में मंत्री,नेता  तथा उस से जुड़े अधिकारी भी अपने जेबें भरने में कोई  कसर नहीं छोड़ रहे हैं| आखिर ऐसी क्या बात थी जो सरकार के ही एक मंत्री ने  इन खेलो पर सवाल खड़े कर दिए ? यूपीए सरकार में पूर्व खेल  मंत्री एवं राज्यसभा सदस्य रहे  मणि शंकर अय्यर ने अपने एक वक्तव्य में यह तक कह डाला कि इन  खेलों का संरक्षण “भगवान नहीं बल्कि शैतान’ करेगा, और ‘जो लोग खेलों का  संरक्षण कर रहे हैं, शैतान ही हो सकते हैं,आखिर क्यों मणिशंकर अय्यर  इतना तिलमिला गए की उन्होंने इन खेलो का बेडा गर्क होने की बात तक बोल दी !उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह खेल सफल रहते हैं तो वह  ‘नाखुश’ होंगे.आज देश के केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने कोमनवेल्थ  प्रोजेक्ट में करोडो  के घोटाले का भंडाफोड़  कर दिया है! यदि केन्द्रीय  सतर्कता आयोग ऐसा नहीं करता तो शायद किसी को भनक भी नहीं लगती और जनता की  गाढ़ी कमाई पर ये नेता और सरकारी गिद्ध हाथ साफ़ कर जाते और दुआ मनाते  की ये  खेल हमारे देश मैं हर साल हों ! 
                    चलिए मानते हैं की सरकार ने पूरी ईमानदारी से काम किया  और सभी लोग देश की इज्जत बढ़ाने में लगे थे , पर ये बात गले नहीं उतरती की  नागपुर में नया स्टेडियम बनाने में खर्चा आया महज  चौरासी करोड़ रूपये  लेकिन वहीँ दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम जो की पहले से तैयार है  उसकी मरम्मत पर खर्चा हुआ  726 करोड़ रूपये ! आखिर उस मरम्मत में ऐसा क्या  करवाया गया जो की 10 नए स्टेडियम बनाने का खर्चा एक को ही सजाने में लगा  दिया गया ! उस पर भी बड़ी दिलेरी के साथ कहा जा रहा है की सब कुछ ठीक है !  कहीं कोई बेईमानी नहीं हुई ! सरकार में रहते हुए भी मणिशंकर का कहना है की  इन खेलो की मेजबानी लेने के लिए भारत ने दुसरे राष्ट्रकुल देशो को लाखो  डॉलर की रिश्वत दी है ! लंदन में हुए बैटन रिले समारोह के  लिए एएम फिल्म्स नामक एक  कंपनी को बिना किसी कॉन्ट्रैक्ट के भुगतान किया गया था. ब्रिटिश सरकार ने   एएम फिल्म्स को मोटी रकम ट्रांसफर किए जाने पर सवाल उठाए थे.यह भी कहा गया कि इस कंपनी को हर महीने कॉस्ट्यूम डिजाइन के  लिए 25,000 पाउंड दिए गए. इस घोटाले ने हमारे देश की छवि न केवल भारत में  बल्कि पूरे संसार में धूमिल कर दिया  है.यदि विपक्ष आरोप लगाता तो  शायद इस बात को सोचा जा सकता था पर सत्ता पक्ष के ही लोग इस पर उंगलियाँ   उठा रहे हैं ! यानी दाल में  काला नहीं सारी दाल ही काली है ! 
                                               आज  कॉमनवेल्थ गेम्स का बजट निर्धारित बजट से 20  गुना बढ़ गया  है जिसका मुख्य कारण कॉमनवेल्थ गेम्स समिति के लोगों द्वारा की गई   घूसखोरी और धांधली है. घूसखोरी और धांधली का आलम यह था कि अगर कोई बड़ा  लुटेरा  भी हो तो वह भी शर्मा जाए . एक विदेशी कंपनी की सेवाएं ली गयी थी  स्पोंसर लाने के लिए , वो स्पोंसर तो ला नहीं पायी अलबत्ता उसे पचास करोड़  रूपये का भगतान जरूर कर दिया गया ! ये भुगतान किस आधार पर किया गया ये  कलमाड़ी साहब ही बेहतर बता सकते है !कॉमनवेल्थ गेम्स  के लिए काफी   निर्माण किया जाना था  जिसके लिए बहुत सारे टेंडर भी आए परन्तु किसी को नहीं पता कि टेंडर कब खुले  और किसको मिले. इसके अलावा बहुत सारा सामान भी खरीदा गया जो ज़रुरी भी था  लेकिन जो सामान खरीदा गया वह कई  गुना अधिक दामो में ख़रीदा गया ! इधर सुरेश  कलमाड़ी का कहना है की यदि प्रधानमंत्री या सोनिया गांधी कहें तो वे  इस्तीफा दे देंगे ! अब कोई कलमाड़ी साहब से पूछे की जो पैसा घोटाले में चला  गया वो प्रधान मंत्री का था या सोनिया जी का जो आप सिर्फ उनके कहने भर से  इस्तीफा दे देंगे ! मजे  की बात ये है की कलमाड़ी पर ही आरोप लग रहे हैं और  उन्होंने ही अपने आदमी नियुक्त करके इसकी जांच शुरू कर दी है इस जांच की  क्या रिपोर्ट आएगी सबको पहले ही  पता है 
                                                         सरकार तो   घोटाले की छानबीन के लिए एक और समिति  बना देगी, जो अगले कई  सालों तक छानबीन ही करती रहेगी न्याय का तो सवाल ही  नहीं. परतु इन सब में पिसेगा कौन – केवल आम आदमी. आम  जनता को तो सिर्फ खुशहाल जिंदगी चाहिए जो उसे इस महंगाई  के दौर में नसीब नहीं है. बस तो आप लोग घोटाला भूल के अपने दिए गए पैसो का  सर्कस देखिये ! 

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