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Wednesday, August 4, 2010

ज्योतिषीय योग दिलाते हैं बैंक में नौकरी



जन्म-कुण्डली का विश्लेषण कर बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी की संभावना का पता लगाया जा सकता है। बैंक / लिपिक सेवा वाणिज्य के अन्तर्गत आते हैं। वाणिज्य और वित्त का कारक बुध है। गुरू ज्ञान और तरक़्क़ी का कारक है, शुक्र धन के प्रबंधन / नक़दी / अर्थ का कारक है और शनि ऋण / बॉण्ड / जनता के लेन-देन / ख़रीद-फ़रोख़्त का कारक है। इन ग्रहों का कुछ ख़ास भावों में होना उस व्यक्ति के वित्त-क्षेत्र में काम करने को इंगित करता है।
जिन जातकों के लग्न में वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक और धनु राशि हो, उनके इस पेशे में क़ामयाब होने की संभावना ज़्यादा रहती है। कोई बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश कर सकेगा और अधिकारी या लिपिक के तौर पर सफल हो सकेगा या नहीं, ये जानने के लिए कुछ ज्योतिषीय योगों पर विचार करते हैं।
चौथे, पाँचवे या दसवें भाव में बुध और गुरू की स्थिति बैंकिंग / वित्त / वाणिज्य के क्षेत्र से जुड़े पेशे को दर्शाती है। चौथे भाव को शिक्षा के लिए, पाँचवें को लोगों से संपर्क और लेन-देन के लिए, नौवें भाव को उच्च शिक्षा के लिए, छठे भाव को नौकरी के लिए और दसवें भाव को सरकारी क्षेत्र या सरकारी कंपनी में करियर के लिए देखा जाता है। अगर ग्यारहवें भाव या उसके स्वामी पर गुरू और बुध व त्रिकोण में स्थित शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो जातक बैंकिंग क्षेत्र से धन अर्जित करता है।
अगर चौथे या नौवें भाव का स्वामी बुध या गुरू हो तथा दसवें भाव से दृष्टि-संबंध हो, तो यह बैंक में नौकरी की सम्भावना को मज़बूत करता है। साथ ही इसमें अगर सूर्य की सहभागिता भी हो, तो जातक बैंक में अधिकारी बन सकता है। सूर्य सरकार या प्रशासन को भी दर्शाता है। यदि सूर्य ऊपर बताए गए संयोजन के साथ दसवें या ग्यारहवें भाव में सिंह राशि में बैठा हो, तो जातक शीघ्र ही तरक़्क़ी करता है और सरकारी बैंक व रिज़र्व बैंक आदि में उच्च-अधिकारी का पद भी हासिल कर सकता है।
अगर बुध या गुरू चौथे, नौवें या दसवें भाव के स्वामी हों और लग्न को देख रहे हों, तो जातक वाणिज्य से संबंधित शिक्षा / पेशे से जुड़ा होता है। यदि शुक्र चौथे, नौवें या दसवें भाव का स्वामी हो और दसवें, ग्यारहवें भाव में स्थित हो या उसे देख रहा हो तथा उस पर बुध या बृहस्पति की दृष्टि हो, तो ज़्यादातर देखा गया है कि ऐसा जातक बैंक में नक़द लेन-देन का काम संभालता है। यहाँ भी सूर्य की स्थिति कार्यक्षेत्र में उन्नति को तय करेगी। अगर चौथे, पाँचवें घर का स्वामी शनि हो और ख़ुद दसवें, ग्यारहवें भाव में बैठा हो या देख रहा हो तथा उसके ऊपर बुध या बृहस्पति की दृष्टि हो, तो प्रायः जातक जनता की पूँजी के व्यवहार या लेन-देन से संबंधित काम करता है।
यदि लग्न धनु हो और इसपर किसी भी रूप में सूर्य, बुध या शुक्र की दृष्टि हो, तो ऐसे में उस व्यक्ति के बैंकिंग क्षेत्र में काम करने की प्रबल सम्भावना रहती है। इसके अलावा अगर लग्न धनु हो और शनि जन्म-कुण्डली में या तो दूसरे या नौवें भाव में स्थित हो व उसपर बृहस्पति या बुध की दृष्टि हो, तो जातक बैंक और उससे जुड़ी सेवाओं के ज़रिए धनार्जन करेगा। इसी तरह यदि लग्न में धनु राशि हो और गुरू दूसरे, ग्यारहवें भाव के स्वामी को देख रहा हो या स्वयं इन भावों में कहीं बैठा हो तथा शुक्र और बुध साथ में बैठे हों व शक्तिशाली हों, तो जातक को बैंकिंग क्षेत्र में निश्चित तौर पर सफलता मिलती है।
यदि लग्न कन्या है, बुध मिथुन राशि में है और गुरू के साथ बैठा है तथा शुक्र शक्तिशाली है, तो जातक को इस क्षेत्र में क़ामयाबी हासिल होती है। इसी तरह कन्या लग्न की कुण्डली में अगर बुध और बृहस्पति की युति हो तथा उनपर शुक्र या चन्द्र की दृष्टि हो तो वह व्यक्ति इस क्षेत्र में सफलता अर्जित करता है। अगर बुध और चन्द्र दोनों ही शक्तिशाली हैं और तो जातक इस क्षेत्र में आकर काफ़ी प्रगति करता है।
यदि लग्न वृषभ है और लग्न में बुध शनि के साथ बैठा है या लग्न को देख रहा है या फिर शनि द्वारा देखा जा रहा है और गुरू शक्तिशाली है, तो जातक बैंकिंग क्षेत्र में क़ामयाबी पाकर अधिकारी बनता है। अगर वृषभ, कन्या या धनु लग्न है और नौवें, दसवें या ग्यारहवें भावों में बुध, शुक्र और शनि के बीच संबंध है, तो जातक बैंक में काम करेगा।
इसी तरह अगर सूर्य, बुध और गुरू शक्तिशाली हों व दसवें भाव से संबंधित हों तो जातक अर्थशास्त्री बन सकता है।
अगर ग्रहों की शक्ति क्षीण है या वे तटस्थ राशि में बैठे हैं, तो यह औसत शिक्षा को दिखलाता है और बैंक से जुड़ी क्लर्क वग़ैरह की नौकरी को इंगित करता है। यदि वे शत्रु राशियों में बैठे हैं या उनपर अशुभ दृष्टियाँ हैं, तो उन्हें नौकरी के दौरान बेहद समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
बुधादित्य योग वाणिज्य के क्षेत्र में दिलचस्पी को दर्शाता है। यह जातक को अर्थाशास्त्री, बैंक अधिकारी, सांख्यिकीविद, एमबीए या सीए बनाता है। बुध सूर्य से जितना क़रीब हो और पीछे हो, वह उतना ही बेहतर परिणाम देता है।

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