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Saturday, September 11, 2010

सम्पादकीय ( समीर चतुर्वेदी ) 11/09/2010


वैसे तो हमारा देश कई तरह के बाढ़ में डूबा हुआ है जैसे- घोटालों की बाढ़, भ्रष्टाचार की बाढ़, महंगाई की बाढ़ लेकिन अभी कुछ ही हफ्तों पहले गर्मी से तिलमिला रही दिल्ली अचानक पानी में डूब गई।दिल्ली में बाढ़ का खतरा एक बार फिर से मंडराया निचले इलाको में पानी भी आ गया ! दिल्ली वालो की मुसीबत कम होती नहीं दिखती ! पहले कोमनवेल्थ खेलो के की वजह से ट्रेफिक  जाम और अन्य मुसीबतों में फंसे लोग अब यमुना के बढते क्रोध का सामना कर रहे हैं ! खबरिया चेंनल कई दिन पहले से लोगो को सचेत करते दिखाई दे रहे थे !लेकिन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तो शायद अब भगवान् हो गयी है जिन्होंने पहले से ही खबर दिखने और चेतावनी देने वालो को कह दिया की दिल्ली में  बाढ़ जैसी कोई चीज नहीं है ! गोया की दिल्ली जब डूब ही जाए और जब तक लोग पूरी तरह बेघर न हो जाए तब तक बाढ़ नहीं कहा जा सकता ! दिल्ली  सरकार के बाढ़ राहत मंत्री राजकुमार चौहान ने तो अति उत्साहित होके यह तक कह दिया की यदि यमुना का जलस्तर 208 मीटर तक भी होगा तब भी दिल्ली  को कोई खतरा नहीं है  ! शाबास है ऐसे राजनेताओ को कोई राजकुमार चौहान से पूछे की उन्होंने इस विभाग का मंत्री होने से पहले बाढ़ के बारे में क्या जानकारी ली है और जिन निचले इलाकों में पानी भरा है क्या एक बार भी वो वहाँ के लोगो की हालत देखने गए है क्या ? पर जब तक सरकारी बंगलो में पानी न भरे तो भाई साहब कैसी बाढ़ ,जब तक सूबे की मुख्यमंत्री जाम में न फंसे कैसा जाम कहाँ है जाम ?
                                                             दरअसल मुख्यमंत्री आज अपने को जनता से बड़ा समझने लगी है जिस जनता ने उन्हें एक बार फिर गद्दी सौंपी उसी  जनता से शायद उनका मोह भंग हो गया है ! मुख्यमंत्री ने अपने शहर के दौरे के नाम पर उन इलाकों का दौरा किया जहां पानी का नामोनिशान नहीं था ! ठीक है बाढ़ एक प्राकर्तिकसमस्या है किसी भी सरकार या व्यक्ति का दोष नहीं है लेकिन यदि  हमारी

सरकार ही लोगो की मदद करने की बजाय सच्चाई से मुह मोड़ने लगे तो बेचारी
जनता कहाँ जाए ! अगर बात की जाए मुख्यमंत्री की तो जब दो दिन पहले ही उन्होंने कहा की दिल्ली में बाढ़ नहीं आ सकती तो आज अचानक इतनी हाय तौबा क्यों मची है !
                                         पिछले दस दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना के किनारे रहने वाले लोग अभी भी बुनियादी समस्याओं के लिए परेशान हैं और बाढ़ की वजह से अन्य स्थानों पर पलायन कर रहे हैं।यमुना नदी में आई बाढ़ से तटीय यमुना बाजारके निवासियों की जीवन शैली पूरी तरह से बदल गई है। इलाके में रहने वाले लोगों की संख्या हजारों में है, लेकिन खाना महज कुछ सौ लोगों को ही मिल पा रहा है। यमुना बाजार में पूरी तरह से पानी भरने की वजह से क्षेत्र के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि क्षेत्र के रहने वाले लोगों को अपने बच्चों और परिवार की महिलाओं के भोजन और अन्य सुविधाओं के लिए खासी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। कुल मिलकर त्रस्त जनता ही हो रही है ! शीला दीक्षित हैं की दिल्ली  को समस्याओ से पूरा मुक्त मानती हैं ! यदि  गलती से कोई दिल्ली की समस्याओं का नाम भी ले दे तो शायद उनका पारा सातवें आसमान पर चला जाता है !
                 लोगो की समस्याओं से अपना ध्यान हटाने वाले नेताओ को ये समझ लेना चाहिए की जिस गद्दी पर वो बैठे है वो उन्हें उसी जनता ने दी है जिसको आज वो नज़रअंदाज कर रहे हैं! यदि इसी जनता ने इन्हें नज़रंदाज़ करना शुरू किया तो शायद इनके लिए अपनी राजनीति भी करना मुश्किल होगा !

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