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Saturday, July 24, 2010

सम्पादकीय : समीर चतुर्वेदी ( 24 /07 /2010 )


अभी  हाल ही में एक नया शब्द सुनने को मिला एक बारगी में सुन कर चौंक  पड़ा पर हमारा तथाकथित निष्पक्ष इलेक्ट्रोनिक मीडिया जो बोल दे सो कम है ! ये नया शब्द था "हिन्दू आतंकवाद " और इसके साथ जुमला जुड़ा था भगवा आतंकवाद ! मीडिया ने आखिर महंगाई और चौतरफा विरोध से घिरी कांग्रेस को एक और मौका दे ही दिया लोगो का ध्यान भटकाने के लिए ! अभी हाल ही में एक निजी चैनल ने दावा किया की उसने  भगवा यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा एक स्टिंग ऑपरेशन किया है जिसे इस चैनल ने बड़ी सुर्खियों के साथ टीवी पर भी दिखा दिया ! इस ऑपरेशन में साबित करने की कोशिश की गयी की मक्का मस्जिद और माले गाँव जैसे धमाकों में संघ का हाथ था !  बाद  में इस चैनल के खिलाफ कुछ हजार लोगों ने प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि इस चैनल ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर, कुछ लोगों की आपसी चर्चा या मीटिंग और उस चर्चा में कही गई बातों का हवाला देकरहिन्दू आतंकवादऔर भगवा आतंकका सिद्धांत गढ़ने की कोशिश की।खैर जो भी हुआ उसके बाद इस चैनल ने देश में हीरो बनने की कोशिश तेज कर दी!  जब चैनल के खिलाफ लोगो ने प्रदर्शन किया और कुछ लोगो ने महज वहाँ रखे गमलो और और शिशो को नुकसान पहुँचाया  तो यही चैनल वाले लोकतंत्र की दुहाई देते दिखाई दिए ! यानी चैनल के हिसाब से इनका हक है की ये किसी के विरुद्ध जो मन में आये बोल दे ! टी आर पी की दौड़ में जो इनके आगे आये उसको कुचल के रख दे बस इनके विरुद्ध कोई बोले ना !

                                                              चैनल का ये स्टिंग देख कर आखिर तक समझ नहीं आया की ये वास्तव में लोगो को क्या जानकारी देना चाहते है !दर्शक अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहा है कि उस स्टिंग आपरेशन से उसे किसी प्रकार की सूचना मिली, वह शिक्षित हो रहा है या उसका मनोरंजन हो रहा है!  और क्या इस ऑपरेशन से साबित हो जाता है की हिन्दू आतंकवाद वजूद में है ?और जिस व्यक्ति को मीडिया इस ऑपरेशन का सूत्रधार बता रहा था उसका खुद ये कहना था की ये टेप संघ के किसी दयानंद पांडे  के लैपटॉप के कैमरे से रिकॉर्ड किया गया था ! यानि चोरी का माल और खुद की पीठ ठोंक लो ! फिर भी सवाल ये उठता है की दयानद ने ये रिकॉडिंग किसके कहने पर की ? या दयानंद को इस चैनल ने पहले से ही इस काम के लिए तय कर लिया था ? या दयानंद की गिरफ्तारी के बाद  जो टेप  ख़ुफ़िया एजेंसियों ने कब्जे में लिया था उसे  ही इस न्यूज़ चैनल ने किसी तरह हासिल किया और इसे अपना स्टिंग बता दिया ! और जब माले गाँव और मक्का मस्जिद में हुए धमाको के दो दिन की भीतर ही हमारे देश की  जांच एजेंसियों ने ये खुलासा किया की ये धमाके सीमा पार के आतंकवादियों की करतूत है तो क्या हमारा ख़ुफ़िया तंत्र और जांच एजेंसियों ने झूठ  बोलाजब तक अंतिम रूप से जांच, न्यायालयीन सुनवाई और न्यायालय का निर्णय नहीं आ जाय किसी को दोषी करार देने, उसके बारे में नकारात्मक और उसे लांछित करने वाली टिप्पणी करने का हक न तो किसी संगठन को है और न ही मीडिया को ही। लेकिन इन सब के बावजूद मीडिया ने आरोपियों को अपराधी सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, आखिर क्यों? क्या किसी अन्य आतंक संगठन की तरह किसी हिंदूवादी संगठन ने इन धमाको की जिम्मेदारी ली थी ?

पुलिस द्वारा धमाके के मामले  गिरफ्तार लोगो के बार बार ये कहने पर की इन धमाको में इनका कोई हाथ नहीं है मीडिया ने चीखना शुरू कर दिया की अगर आप हिन्दुओ के मसीहा बन रहे हो तो क्यों नहीं जिम्मेदारी लेते विस्फोटों की ! यानी अब ये मीडिया बस एक ही बात साबित करना चाहता है वो ये है की या तो हिन्दू आतंकी है या फिर कायर ! मीडिया को समझना चाहिए की इस तरह के स्टिंग करके वे सिर्फ देश में  द्वेष फेला रहे है किसी भी खबर को दिखने से पहले उसके असर और पड़ने वाले प्रभावों का अध्यन और आकलन करना बहुत जरूरी है जो एक स्वस्थ समाज के लिए अति आवश्यक है !

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