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Saturday, July 10, 2010

अपने दिन को मंगलमय केसे बनाये



हिन्दू धर्म-शास्त्रो में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अनेक विधानों का उल्लेख मिलता है। लेकिन आज की व्यस्त जीवन में व्यक्ति के पास समय का अभाव है। ऐसी स्थितिओं में विशिष्ट तेजस्वी मंत्रों के उच्चारण द्वारा भगवान को स्मरण करके उनकी कृपा सरलता से प्राप्त कर सके उसके लिये कुछ विशिष्ट तेजस्वी मंत्रो का वर्णण किया जारहा हैं।

प्रातः कर दर्शनं मंत्र

सुबह बिस्तर से उठने से पेहले (अर्थातः बिस्तर छोडनेसे पूर्व) इस मंत्र के स्मरण से हमारे अंदर एक अद्भुत शक्ति का संचार होता हैं। जिस्से हमारे अंतरमन से हतासा और निराशा जेसी नकारात्म भावनाओं को दूर हो कर हमारे अंदर एक सकारात्मन द्रष्टिकोण का निर्माण होता है। जो हमे अपने जीवन में आगे बढने के लिये सरल और उत्तम मार्ग खोजने मे सहायक सिद्ध होती है।

यह प्रयोग अद्भुत और शीघ्र प्रभाव दिखाने मे समर्थ है।
कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती।
कर मूले तू गोविंद प्रभाते कर दर्शनं॥



भावार्थ:  उंगलियों के अग्र भाग में लक्ष्मी जी निवास करती हैं, हथेली के मध्य भाग में सरस्वती जी और हथेली के मूल में नारयण का वास है, जिनका सवेरे दर्शन करना शुभप्रद है।


मंत्र को ३ या ७ बार मन मे उच्चरण करे।

अपने दोनो हाथो को जोडकर हथेली को देखते हुवे दिये गये मंत्र को पढते हुवे अपने अंतर मन में एसा भाव लाये की हमारे हाथ के अग्र भाग में मां महालक्ष्मी, तथा हाथ के मध्य भाग मे मां सरस्वती का वास है, और हाथ के मूल भाग मे स्वयं भगवान हरि बिराजमानहै।

इस के लाभ: दिनभर मन प्रसन्न रहता है और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होकर हमे सभी कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। इस मंत्र के उच्चरण के बाद मे बिस्तर छोडे !

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